बी. आर. सिंह अस्पताल : एक अनुभव
कुसुममणि त्रिपाठी 'कुसुम'
कोलकाता : बी.आर. सिंह अस्पताल, सियालदह मंडल पूर्व रेलवे का एक प्रतिष्ठित अस्पताल है. इस अस्पताल में एक से बढ़कर एक अच्छे डॉक्टर मौजूद हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में महारत हासिल किये हुए हैं. मुझे खुशी है कि इस रेलवे अस्पताल में इतने अच्छे डॉक्टर हैं परंतु दु:ख है कि अज्ञानतावश रेलवे कर्मचारी-अधिकारीगण कुकुरमुत्ते की तरह उग आये प्राइवेट नर्सिंग होम में जाते हैं और गलत डाइग्नोसिस से अपनी सेहत और पैसा दोनों बरबाद करते हैं. मुझे यह भी लिखने में कोई संकोच नहीं है कि मैं भी नामी-गिरामी नर्सिंग होम के गलत डाइग्नोसिस का शिकार थी. मुझे पेट में दर्द था. चलने में असुविधा होती थी. दिनांक 5 जून को प्रात: दर्द बढ़ गया और मैं उसी दिन बी. आर. सिंह अस्पताल के केबिन नं. 03 में भर्ती हो गयी. मुझे इस अस्पताल में 13 जून तक रहना पड़ा. मैं डॉ. प्रामाणिक की देखरेख में भर्ती हुई थी. तमाम तरह के खून की जांच, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउन्ड एक्सरे आदि तमाम जांच किये गये और तब असली मर्ज पकड़ में आया. अस्पताल में प्रवास के दौरान मैंने अनुभव किया कि साफ-सफाई का स्तर अच्छा था. विशेष रूप से न्यू केबिन परिसर का रखरखाव काफी उम्दा था. अस्पताल के डॉक्टरों-नर्सों का व्यवहार भी काबिले तारीफ है. डॉ. मिलन मजूमदार, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. इन्दिरा झा, डॉ. शर्मिष्ठा मुखर्जी, डॉ. तरुण चौधरी और यहां तक कि डॉक्टरों की एक टीम के साथ एम. डी. डॉ. घोषाल भी मुझे देखने आये. मेरी हौसलाअफजाई की. न्यू-केबिन की नर्सों का व्यवहार भी काफी अच्छा था.
मुझे अस्पताल प्रबंधन से कुछ शिकायतें भी हैं क्योंकि मुझे प्रतिदिन पीने के पानी हेतु 50 से 60 रुपये खर्च करने पड़ते थे. अस्पताल में एक्वागार्ड की व्यवस्था नहीं है. पूछने पर पता चला कि एक-दो मशीनें लगी थीं, जो खराब पड़ी हैं. मरीजों को मंहगी दवायें, दूध, फल, खाना दिया जाता है. इसी के साथ अस्पताल प्रबंधन को पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था भी करनी चाहिए. अस्पताल में केवल न्यू केबिन के 16 कमरों में 34 बेड़ हैं, जो लगभग मरीजों से भरे रहते हैं. ऐसे में एक या दो मेट्रन/नर्स ड्यूटी पर रहती हैं और उनके लिये मरीजों को ठीक से अटेंड करना काफी कठिन होता है. मुझे लगा कि अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है. अस्पताल प्रशासन को इन समस्याओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
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समय-सारणी की नियमितता
कोलकाता : मेम्बर ट्रैफिक श्री श्रीप्रकाश की अध्यक्षता में महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण समेत पूर्व रेलवे के उच्च अधिकारियों की एक बैठक मुख्यालय फेयरली प्लेस में हुई जिसमें गाडिय़ों को समय-सारणी के अनुरूप चलाने एवं यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष बल दिया गया. पूर्व रेलवे की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञाप्ति के मुताबिक यातायात सदस्य श्री प्रकाश ने कहा कि ट्रेनों को समय पर खोलने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रेनों की समय-सारणी को नियमित करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. इसके साथ ही उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया. बैठक के उत्तरार्ध में पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण ने रेलवे के पिछले साल के कामकाज की समीक्षा की और अगले साल के लिए लक्ष्य को भी निर्धारित किया. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2009-10 में आमदनी को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
कुसुममणि त्रिपाठी 'कुसुम'
कोलकाता : बी.आर. सिंह अस्पताल, सियालदह मंडल पूर्व रेलवे का एक प्रतिष्ठित अस्पताल है. इस अस्पताल में एक से बढ़कर एक अच्छे डॉक्टर मौजूद हैं, जो अपने-अपने क्षेत्र में महारत हासिल किये हुए हैं. मुझे खुशी है कि इस रेलवे अस्पताल में इतने अच्छे डॉक्टर हैं परंतु दु:ख है कि अज्ञानतावश रेलवे कर्मचारी-अधिकारीगण कुकुरमुत्ते की तरह उग आये प्राइवेट नर्सिंग होम में जाते हैं और गलत डाइग्नोसिस से अपनी सेहत और पैसा दोनों बरबाद करते हैं. मुझे यह भी लिखने में कोई संकोच नहीं है कि मैं भी नामी-गिरामी नर्सिंग होम के गलत डाइग्नोसिस का शिकार थी. मुझे पेट में दर्द था. चलने में असुविधा होती थी. दिनांक 5 जून को प्रात: दर्द बढ़ गया और मैं उसी दिन बी. आर. सिंह अस्पताल के केबिन नं. 03 में भर्ती हो गयी. मुझे इस अस्पताल में 13 जून तक रहना पड़ा. मैं डॉ. प्रामाणिक की देखरेख में भर्ती हुई थी. तमाम तरह के खून की जांच, सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउन्ड एक्सरे आदि तमाम जांच किये गये और तब असली मर्ज पकड़ में आया. अस्पताल में प्रवास के दौरान मैंने अनुभव किया कि साफ-सफाई का स्तर अच्छा था. विशेष रूप से न्यू केबिन परिसर का रखरखाव काफी उम्दा था. अस्पताल के डॉक्टरों-नर्सों का व्यवहार भी काबिले तारीफ है. डॉ. मिलन मजूमदार, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. इन्दिरा झा, डॉ. शर्मिष्ठा मुखर्जी, डॉ. तरुण चौधरी और यहां तक कि डॉक्टरों की एक टीम के साथ एम. डी. डॉ. घोषाल भी मुझे देखने आये. मेरी हौसलाअफजाई की. न्यू-केबिन की नर्सों का व्यवहार भी काफी अच्छा था.
मुझे अस्पताल प्रबंधन से कुछ शिकायतें भी हैं क्योंकि मुझे प्रतिदिन पीने के पानी हेतु 50 से 60 रुपये खर्च करने पड़ते थे. अस्पताल में एक्वागार्ड की व्यवस्था नहीं है. पूछने पर पता चला कि एक-दो मशीनें लगी थीं, जो खराब पड़ी हैं. मरीजों को मंहगी दवायें, दूध, फल, खाना दिया जाता है. इसी के साथ अस्पताल प्रबंधन को पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था भी करनी चाहिए. अस्पताल में केवल न्यू केबिन के 16 कमरों में 34 बेड़ हैं, जो लगभग मरीजों से भरे रहते हैं. ऐसे में एक या दो मेट्रन/नर्स ड्यूटी पर रहती हैं और उनके लिये मरीजों को ठीक से अटेंड करना काफी कठिन होता है. मुझे लगा कि अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी है. अस्पताल प्रशासन को इन समस्याओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
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समय-सारणी की नियमितता
कोलकाता : मेम्बर ट्रैफिक श्री श्रीप्रकाश की अध्यक्षता में महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण समेत पूर्व रेलवे के उच्च अधिकारियों की एक बैठक मुख्यालय फेयरली प्लेस में हुई जिसमें गाडिय़ों को समय-सारणी के अनुरूप चलाने एवं यात्रियों की सुरक्षा पर विशेष बल दिया गया. पूर्व रेलवे की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञाप्ति के मुताबिक यातायात सदस्य श्री प्रकाश ने कहा कि ट्रेनों को समय पर खोलने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रेनों की समय-सारणी को नियमित करने की दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. इसके साथ ही उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया. बैठक के उत्तरार्ध में पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण ने रेलवे के पिछले साल के कामकाज की समीक्षा की और अगले साल के लिए लक्ष्य को भी निर्धारित किया. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2009-10 में आमदनी को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
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