Friday 18 September, 2009

उ.प.रे. के पूर्व महाप्रबंधक अशोक गुप्ता

के ठिकानों पर सीबीआई का छापा


करोड़ों की संपत्ति बरामद


जयपुर :
कुल मिलाकर मात्र 11 दिन पहले 31 अगस्त को उ.प.रे. जयपुर के महाप्रबंधक पद से रिटायर हुए श्री अशोक गुप्ता (आईआरटीएस) के गुडग़ांव, दिल्ली स्थित ठिकानों पर सीबीआई ने शुक्रवार 11 सितंबर को एक साथ छापा मारकर करोड़ों रुपए की नामी-बेनामी संपत्ति बरामद की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने छापे में श्री गुप्ता की 4 करोड़ रु. से ज्यादा की संपत्ति का पता लगाया है. सीबीआई ने श्री गुप्ता के गुडग़ांव स्थित 18 बैंक खातों सहित उनके कई लॉकर्स को भी सील कर दिया है. ज्ञातव्य है कि यह छापा सीबीआई की जयपुर शाखा ने मारा है और दूसरे दिन देर रात तक श्री गुप्ता के गुडग़ांव वाले मकान में उनसे पूछताछ चल रही थी.
श्री गुप्ता ने बतौर महाप्रबंधक/उ.प.रे. जयपुर में 27 मार्च 2007 को पदभार संभाला था और 31 अगस्त 2009 को इसी पद से रिटायर हुए हैं. बताते हैं कि श्री गुप्ता ने जो भी चल-अचल संपत्ति बनाई है, वह वर्ष 2006 के बाद की है. सीबीआई को एक टिप मिली थी कि श्री गुप्ता ने 1.50 करोड़ की जो संपत्ति दर्शायी है, वास्तव में वह उससे कई गुना ज्यादा के मालिक बन बैठे हैं. सीबीआई के प्रवक्ता श्री अतुल गुप्ता ने बताया कि जांच एजेंसी की जयपुर शाखा को एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें कहा गया था कि श्री गुप्ता ने अपनी ज्ञात आय से काफी ज्यादा संपत्ति अर्जित की है. उन्होंने बताया कि छापे में अब तक श्री गुप्ता की 4 करोड़ की संपत्ति का पता चला है.
उन्होंने बताया कि सीबीआई टीम ने श्री गुप्ता के गुडग़ांव पालम विहार स्थित मकान, जहां उनका पूरा परिवार रहता है, पर छापा मारा. इस छापे में दो फ्लैट और एक दूकान तथा उनके बेटे का एक कार्यालय पाया गया है. उनका बेटा चार्टर्ड एकाउंटेंट है. इसके साथ ही उनका और एक मकान दिल्ली में मिला है. इसके अलावा श्री गुप्ता के नाम दो बड़े प्लाटों के कागजात भी बरामद हुए हैं. पालम विहार स्थित भारतीय स्टेट बैंक के एक खाते से 96 लाख रु. की जमा राशि और गुडग़ांव स्थित अन्य 17 बैंक खातों से 6 लाख की अन्य राशि का पता चला है. छापे में 4 लाख की ज्वेलर उनके एक लॉकर से मिली है.
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि छापे में पालम विहार स्थित मकान से 1 लाख की नकदी, 1.37 करोड़ की फिक्स डिपॉजिट और 14 लाख की ज्वेलरी सहित विभिन्न कंपनियों के 10 लाख मूल्य के शेयर सर्टिफिकेट बरामद हुए हैं. प्रवक्ता के अनुसार सीबीआई टीम ने श्री अशोक गुप्ता के भाई किरनचंद गुप्ता के गुडग़ांव स्थित बैंक खातों को भी सील किया है और उनके पास से 20 लाख रु. की नकदी और 16 लाख की ज्वेलरी भी बरामद की है. प्रवक्ता ने बताया कि देर रात तक सीबीआई टीम श्री गुप्ता और उनके पारिवारिक सदस्यों से पूछताछ कर रही थी और जरूरत पडऩे पर बाद में गुप्ता को गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
हमारे विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार श्री गुप्ता ने अपनी अकड़बाजी और पद के घमंड में कई अफसरों को बेवजह परेशान किया था, जबकि दूसरी तरफ उन्हीं के देखते हुए ग्रुप 'डी' की भर्तियों में अनाप-शनाप अवैध कमाई भी कर रहे थे. सूत्रों का कहना है कि सिर्फ भर्तियों में ही नहीं कई अन्य इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स में निजी सीमेंट कंपनियों और बड़े ठेकेदारों के साथ मिलकर श्री गुप्ता ने रेलवे को करोड़ों का चूना लगया है और इन सबकी दलाली उनके सचिव एवं उनका प्रोटोकॉल इंस्पेक्टर वसूल रहे थे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री गुप्ता जब उ.रे. में सीएफटीएम थे, तब से वह दिल्ली के एक डिप्टी एसएस सुरेश गौतम को अपना बगलबच्चा बनाए हुए थे. डीआरएम, सीओएम/पू.म.रे. और बोर्ड में रहते हुए भी वे गौतम को हमेशा अपने साथ व्यक्तिगत नौकर की तरह चिपकाये रहे. महाप्रबंधक बनने के बाद वे गौतम को जयपुर लेकर आये और यहां उन्हें प्रोटोकॉल इंस्पेक्टर बना दिया. इसके बाद रिटायरमेंट के मात्र 3 दिन पहले उन्होंने बिना किसी नियम या सेलेक्शनप्रक्रिया को अपनाए अथवा परीक्षा लिए बिना ही गौतम को ग्रुप 'बी' अफसर बनाकर चले गए हैं.
सूत्रों का कहना है कि श्री गुप्ता की तमाम अवैध कमाई गौतम और वी. शंकर (सचिव/जीएम) के पास रखी हो सकती है. सूत्रों का कहना था कि सीबीआई टीम यदि इन दोनों को हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ करेगी तो श्री गुप्ता की सारी पोल खुल जाएगी. उल्लेखनीय है कि रिटायरमेंट के हफ्ते भर पहले ही 25 अगस्त को जीएम हाउस खाली करके ईमानदारी और आदर्शवादिता का ढोंग करने वाले श्री गुप्ता का रिटायरमेंट के दिन 31 अगस्त को रात 9.30 बजे के बाद बोर्ड/सीवीसी विजिलेंस क्लीयरेंस आया था और तब करीब रात 10.30 बजे उन्हें उनके फाइनल सेटलमेंट का करीब 73 लाख का चेक देने एक डिप्टी एफए एंड सीएओ उनके सूट नं. 1 में गया था, जहां वह जीएम बंगला खाली करने के बाद पिछले एक हफ्ते से टिके हुए थे.
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि करीब एक महीने पहले उन्हें बोर्ड विजिलेंस द्वारा एक लंबी प्रश्नावली थमाई गई थी. यह मामला भर्ती मामले से अलग और काफी गंभीर माना जा रहा था, जिसके चलते श्री गुप्ता का न सिर्फ फाइनल सेटलमेंट रुक जाना था, बल्कि रिटायरमेंट से पहले उन्हें मेजर पेनाल्टी चार्जशीट भी दिए जाने का निर्णय बोर्ड विजिलेंस में हो चुका था. सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में डायरेक्टर विजिलेंस संजय कुमार (आईपीएस) ने व्यक्तिगत रूप से जयपुर का दौरा करके श्री गुप्ता से विस्तृत पूछताछ भी की थी. परंतु अपनी अवैध कमाई और फेवर की बदौलत श्री गुप्ता को देर से ही सही मगर विजिलेंस क्लीयरेंस मिल गया था. इस संबंध में हमारे सूत्रों का कहना है कि 25 अगस्त को शिफ्टिंग के दौरान श्री गुप्ता का एक खास आदमी दिल्ली में बोर्ड के एक उच्च अधिकारी को उसके घर पर जाकर मिला था और उसे काफी मोटा 'नजराना' भेंट करके आया था. सूत्रों ने यह भी बताया कि इसके बाद इस नजराने की दूसरी किश्त 28-29 अगस्त को पहुंचाई गई थी. इसी नजराने की बदौलत ही अंतत: रात 9.30 बजे श्री गुप्ता का विजिलेंस क्लीयरेंस आ पाया था. तथापि हमारे सूत्रों सहित कई उच्च पदस्थ अधिकारियों का भी यह मानना है कि इतनी भी देर होना एक रिटायर हो रहे महाप्रबंधक के लिए बड़े ही शर्म की बात होती है कि उसे अपना फाइनल सेटलमेंट लेने के लिए रात 10-11 बजे तक इंतजार करते हुए इस तरह से बेइज्जत होना पड़े.
'सबक'
जो रेल अधिकारी अपने सरकारी पद के घमंड में 'लोगों' की बात नहीं सुनते हैं अथवा उसे दखलंदाजी मानते हैं या उनसे मिलने से कतराते हैं, उन्हें सतर्क हो जाना चाहिए. क्योंकि ऐसे लोगों की भूमिका रेलवे विजिलेंस से भी ज्यादा बड़ी है. यह लोग बिना किसी अपेक्षा के संबंधित गड़बडिय़ों से अधिकारियों को अवगत कराते हैं और साथ ही सीवीसी एवं रेलवे विजिलेंस सहित सीबीआई को जो मामले पता नहीं चल पाते हैं उन्हें खोज कर व्यवस्था को ठीक करने के लिए इन जांच एजेंयिों की मदद करते हैं. इसीलिए श्री अशोक गुप्ता, जिनके यहां पड़े सीबीआई छापे में प्रमुख भूमिका ऐसे ही लोगों की भी रही है, के हस्र से तमाम रेल अधिकारियों को सबक लेना चाहिए. उल्लेखनीय है कि श्री गुप्ता के खिलाफ चली इस मुहिम की महत्वपूर्ण कड़ी 'रेलवे समाचार' भी था. जिसने अपनी वेबसाइट पर विस्तार से श्री गुप्ता की करतूतों को उजागर किया था और उन्हें बोर्ड विजिलेंस सहित पीएमओ, सीवीसी, सीबीआई तक पहुंचाया था.

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