अभिनंदन की दाल में हींग का तड़का
उज्जैन रनिंग स्टाफ को झटका
उज्जैन : 8 अगस्त को उज्जैन के रनिंग स्टाफ ने प.रे. की एक यूनियन की स्थानीय शाखा के जब अपने नये मंडल अध्यक्ष एवं मंडल सचिव का स्वागत समारोह आयोजित किया, तब उन्हें नहीं मालूम था कि उनके रनिंग मुख्यालय (उज्जैन) के टूटने की खबर उन्हें इन्हीं नेताओं के मुख से सुनने को मिलेगी.
कार्यक्रम में उज्जैन के रनिंग, ट्रैफिक, इंजीनियरिंग, सिगनल एवं वाणिज्य विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों की मौजूदगी में यूनियन के रतलाम मुख्यालय के नेताओं ने कहा कि उज्जैन चालक/गार्ड मुख्यालय अब बहुत दिन नहीं चलेगा, रेलवे बोर्ड की पॉलिसी है कि 2-3 घंटे के अंतर पर लॉबियां न हों और इसके लिए अब आपको स्वयं संघर्ष करना होगा.
यह समाचार सुनकर समस्त रनिंग स्टाफ के चेहरे लटक गए. उल्लेखनीय है कि पैसेंजर एवं मालगाड़ी में उज्जैन मुख्यालय से चारों तरफ (भोपाल, रतलाम, बड़ौदा, कोटा, इंदौर एवं गुना) सुरक्षित एवं किफायती वर्किंग, आज तक होती आई है. चूंकि मुंबई-दिल्ली के बीच लॉबियां कम करने का रेलवे बोर्ड का प्रस्ताव था, जिसमें रतलाम रनिंग मुख्यालय टूटने के पूरे आसार थे, परंतु रतलाम मंडल मुख्यालय के कर्मचारियों व नेताओं ने अधिकारियों को अपने घर में होने का भरपूर फायदा उठा कर न केवल हाल ही में नीमच लॉबी तुड़वा दी है, बल्कि रतलाम से भोपाल तक एवं रतलाम से चित्तौड़ तक मालगाड़ी में वर्किंग भी ले लिया है.
उज्जैन मुख्यालय का तो यह हाल है कि पिछले 70 वर्षों से उनके एकाधिकार खंड उज्जैन-भोपाल पर अब न केवल रतलाब स्टाफ, बल्कि इटारसी एवं भोपाल (पश्चिम-मध्य रेलवे) का स्टाफ भी कार्य कर रहा है. अब उज्जैन स्टाफ को समझ में आ रहा है कि ए$क वर्ष पूर्व वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक रतलाम के पत्र, जिसमें उज्जैन स्टाफ को इटारसी एवं बीना तक वर्किंग देने का जो प्रावधान था, वह आज तक लागू क्यों नहीं हो पाया और क्यों इटारसी एवं भोपाल वाले उसी परिपत्र का फायदा उठाकर उज्जैन तक वर्किं ग कर रहे हैं. जबकि उज्जैन स्टाफ उस पत्र के आदेशानुसार इटारसी एवं बीना तक मालगाड़ी वर्किंग करने को सहर्ष तैयार है. परंतु रतलाम मंडल के अधिकारी एवं नेतागण उनकी इस मांग को अपने स्वार्थवश पूरा नहीं होने देना चाहते हैं.
उज्जैन रनिंग स्टाफ को झटका
उज्जैन : 8 अगस्त को उज्जैन के रनिंग स्टाफ ने प.रे. की एक यूनियन की स्थानीय शाखा के जब अपने नये मंडल अध्यक्ष एवं मंडल सचिव का स्वागत समारोह आयोजित किया, तब उन्हें नहीं मालूम था कि उनके रनिंग मुख्यालय (उज्जैन) के टूटने की खबर उन्हें इन्हीं नेताओं के मुख से सुनने को मिलेगी.
कार्यक्रम में उज्जैन के रनिंग, ट्रैफिक, इंजीनियरिंग, सिगनल एवं वाणिज्य विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों की मौजूदगी में यूनियन के रतलाम मुख्यालय के नेताओं ने कहा कि उज्जैन चालक/गार्ड मुख्यालय अब बहुत दिन नहीं चलेगा, रेलवे बोर्ड की पॉलिसी है कि 2-3 घंटे के अंतर पर लॉबियां न हों और इसके लिए अब आपको स्वयं संघर्ष करना होगा.
यह समाचार सुनकर समस्त रनिंग स्टाफ के चेहरे लटक गए. उल्लेखनीय है कि पैसेंजर एवं मालगाड़ी में उज्जैन मुख्यालय से चारों तरफ (भोपाल, रतलाम, बड़ौदा, कोटा, इंदौर एवं गुना) सुरक्षित एवं किफायती वर्किंग, आज तक होती आई है. चूंकि मुंबई-दिल्ली के बीच लॉबियां कम करने का रेलवे बोर्ड का प्रस्ताव था, जिसमें रतलाम रनिंग मुख्यालय टूटने के पूरे आसार थे, परंतु रतलाम मंडल मुख्यालय के कर्मचारियों व नेताओं ने अधिकारियों को अपने घर में होने का भरपूर फायदा उठा कर न केवल हाल ही में नीमच लॉबी तुड़वा दी है, बल्कि रतलाम से भोपाल तक एवं रतलाम से चित्तौड़ तक मालगाड़ी में वर्किंग भी ले लिया है.
उज्जैन मुख्यालय का तो यह हाल है कि पिछले 70 वर्षों से उनके एकाधिकार खंड उज्जैन-भोपाल पर अब न केवल रतलाब स्टाफ, बल्कि इटारसी एवं भोपाल (पश्चिम-मध्य रेलवे) का स्टाफ भी कार्य कर रहा है. अब उज्जैन स्टाफ को समझ में आ रहा है कि ए$क वर्ष पूर्व वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक रतलाम के पत्र, जिसमें उज्जैन स्टाफ को इटारसी एवं बीना तक वर्किंग देने का जो प्रावधान था, वह आज तक लागू क्यों नहीं हो पाया और क्यों इटारसी एवं भोपाल वाले उसी परिपत्र का फायदा उठाकर उज्जैन तक वर्किं ग कर रहे हैं. जबकि उज्जैन स्टाफ उस पत्र के आदेशानुसार इटारसी एवं बीना तक मालगाड़ी वर्किंग करने को सहर्ष तैयार है. परंतु रतलाम मंडल के अधिकारी एवं नेतागण उनकी इस मांग को अपने स्वार्थवश पूरा नहीं होने देना चाहते हैं.
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