नवंबर में तैयार हो जायेगा
भारत का सबसे लंबा रेलवे पुल
एर्नाकुलम(केरल) : देश के सबसे लंबे रेलवे पुल के निर्माण को फाइनल टच दिया जा रहा है. केरल के एर्नाकुलम जिले में कोच्ची के पास पूरी वेम्बानाड झील के ऊपर कुल 4.62 किमी. लंबा बनाया गया यह पुल मुख्य जमीन से वल्लारपद्म द्वीप को जोड़ रहा है, जहां प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) बनाया जा रहा है. इसी साल नवंबर में चालू हो रहा यह पुल भारत का अब तक का सबसे लंबा रेलवे पुल होगा. वर्तमान में देश का सबसे लंबा रेल पुल नेहरू सेतु (3.065 किमी) है जो कि कोलकाता-दिल्ली लाइन पर देहरी-आन-सोन के पास है.
अब तक का देश में बना यह सबसे लंबा रेलवे पुल है और इसके प्रोजेक्ट कांट्रैक्टर एफकॉन ने काफी बेहतरीन काम किया है. यह कहना है रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) के डीजीएम श्री केशव चंदन का, जो कि इस पूरे प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं. श्री चंदन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मई 2007 में हुई थी. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का ढांचागत निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, अब सिर्फ रेल लिंक वर्क बाकी बचा है जो कि एक-दो महीने में पूरा हो जायेगा. ज्ञातव्य है इस प्रोजेक्ट का ढांचा झील के वाटर लेवल से 7 मीटर ऊंचा बनाया गया है और इस 4.62 किमी. लंबे पुल में कुल 134 खंबे बनाये गये हैं, जिनके ऊपर रेल लाइन बिछाई जा रही है.
श्री चंदन के अनुसार यह पुल आईसीटीटी प्रोजेक्ट की रेल लाइन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. इस पुल को 700 मीटर इसलिए वाटर सरफेस पर बढ़ाना पड़ा क्योंकि जमीन अधिग्रहण की समस्या थी. जहां पर आबादी है और जमीन का मिल पाना अत्यंत कठिन था. इसलिए झील के ऊपर 700 मीटर और इस पुल को बढ़ाना पड़ा क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा जमीन के अधिग्रहण का जबरदस्त विरोध हुआ था. उन्होंने बताया इस पूरे प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 246 करोड़ रु. थी. मगर स्टील जैसे कच्चे माल की लागत बढ़ जाने से इसकी लागत बढ़कर 298 करोड़ रु. हो गई है. इस पूरी परियोजना का वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. इसमें करीब 1800 मीट्रिक टन सीमेंट और 5000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है.
नवंबर 2009 में शुरू हो रहे इस आईसीटीटी प्रोजेक्ट से निर्यातकों को करोड़ों रुपये की बचत होगी, जो कि वे अब तक दुबई और कोलंबो पोर्ट लिंक को अपने गुड्स निर्यात के लिए ट्रांसशिपमेंट में करोड़ों की राशि खर्च कर रहे थे. इसके अलावा केरल राज्य में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से अन्य तमाम औद्योगिक गतिविधियों को गति मिलेगी. आईसीटीटी के साथ ही इसके आसपास 1600 करोड़ रु. की लागत से एक एलएनजी टर्मिनल, पोर्ट आधारित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), इंटरनेशनल शिप रिपेयर काम्प्लेक्स, और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (गेल)के लिए पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स तथा क्रूज शिप टर्मिनल भी बनाये जाने वाले हैं.
भारत का सबसे लंबा रेलवे पुल
एर्नाकुलम(केरल) : देश के सबसे लंबे रेलवे पुल के निर्माण को फाइनल टच दिया जा रहा है. केरल के एर्नाकुलम जिले में कोच्ची के पास पूरी वेम्बानाड झील के ऊपर कुल 4.62 किमी. लंबा बनाया गया यह पुल मुख्य जमीन से वल्लारपद्म द्वीप को जोड़ रहा है, जहां प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (आईसीटीटी) बनाया जा रहा है. इसी साल नवंबर में चालू हो रहा यह पुल भारत का अब तक का सबसे लंबा रेलवे पुल होगा. वर्तमान में देश का सबसे लंबा रेल पुल नेहरू सेतु (3.065 किमी) है जो कि कोलकाता-दिल्ली लाइन पर देहरी-आन-सोन के पास है.
अब तक का देश में बना यह सबसे लंबा रेलवे पुल है और इसके प्रोजेक्ट कांट्रैक्टर एफकॉन ने काफी बेहतरीन काम किया है. यह कहना है रेल विकास निगम लि. (आरवीएनएल) के डीजीएम श्री केशव चंदन का, जो कि इस पूरे प्रोजेक्ट के इंचार्ज हैं. श्री चंदन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मई 2007 में हुई थी. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट का ढांचागत निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, अब सिर्फ रेल लिंक वर्क बाकी बचा है जो कि एक-दो महीने में पूरा हो जायेगा. ज्ञातव्य है इस प्रोजेक्ट का ढांचा झील के वाटर लेवल से 7 मीटर ऊंचा बनाया गया है और इस 4.62 किमी. लंबे पुल में कुल 134 खंबे बनाये गये हैं, जिनके ऊपर रेल लाइन बिछाई जा रही है.
श्री चंदन के अनुसार यह पुल आईसीटीटी प्रोजेक्ट की रेल लाइन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. इस पुल को 700 मीटर इसलिए वाटर सरफेस पर बढ़ाना पड़ा क्योंकि जमीन अधिग्रहण की समस्या थी. जहां पर आबादी है और जमीन का मिल पाना अत्यंत कठिन था. इसलिए झील के ऊपर 700 मीटर और इस पुल को बढ़ाना पड़ा क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा जमीन के अधिग्रहण का जबरदस्त विरोध हुआ था. उन्होंने बताया इस पूरे प्रोजेक्ट की शुरुआती लागत 246 करोड़ रु. थी. मगर स्टील जैसे कच्चे माल की लागत बढ़ जाने से इसकी लागत बढ़कर 298 करोड़ रु. हो गई है. इस पूरी परियोजना का वित्त पोषण केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. इसमें करीब 1800 मीट्रिक टन सीमेंट और 5000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल किया गया है.
नवंबर 2009 में शुरू हो रहे इस आईसीटीटी प्रोजेक्ट से निर्यातकों को करोड़ों रुपये की बचत होगी, जो कि वे अब तक दुबई और कोलंबो पोर्ट लिंक को अपने गुड्स निर्यात के लिए ट्रांसशिपमेंट में करोड़ों की राशि खर्च कर रहे थे. इसके अलावा केरल राज्य में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत से अन्य तमाम औद्योगिक गतिविधियों को गति मिलेगी. आईसीटीटी के साथ ही इसके आसपास 1600 करोड़ रु. की लागत से एक एलएनजी टर्मिनल, पोर्ट आधारित विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड), इंटरनेशनल शिप रिपेयर काम्प्लेक्स, और गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (गेल)के लिए पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स तथा क्रूज शिप टर्मिनल भी बनाये जाने वाले हैं.
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