Friday, 4 September 2009

अब ये 'सीआरपीटीए' क्या बला है?
प्रिंसिपल का एक और भ्रष्ट कारनामा
कल्याण रेलवे स्कूल के प्रिंसिपल की भ्रष्ट गतिविधियां और रेल प्रशासन सहित पैरेंट-टीचर्स को गुमराह करने की उनकी चालबाजियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. अब उन्होंने जो बेवकूफी या चालाकी की है, उससे उनके 'मूर्ख' होने के प्रति रेल प्रशासन को पक्का विश्वास हो जाना चाहिए.
प्रिंसिपल ने अब पीटीए की मीटिंग की सूचना और उसका एजेंडा 'सेन्ट्रल रेलवे सेकेंडरी स्कूल एंड जूनियर कॉलेज, कल्याण (वेस्ट)' के लेटरहेड पर जारी किया है, जबकि पैरेंट टीचर्स एसोसिएशन (पीटीए) का रेलवे स्कूल से कोई संबंध नहीं है. इसके बावजूद प्रिंसिपल ने 'सीआरपीटीए' का उल्लेख करते हुए यह मीटिंग 11 सितंबर को 11.30 बजे मल्टीमीडिया, स्कूल परिसर में बुलाई है. कई पैरेंट्स यह नोटिस लेकर 'रेलवे समाचार' के कार्यालय में आए और बताया कि ऐसी कोई संस्था नहीं है जबकि प्रिंसिपल द्वारा उन्हें और रेल प्रशासन को बुरी तरह दिग्भ्रमित किया जा रहा है.
पैरेंट्स ने प्रिंसिपल/प्रेसीडेंट, पीटीए द्वारा जारी किए गए इस मीटिंग के एजेंडा पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके कई प्रस्ताव तो सिर्फ प्रिंसिपल द्वारा पैसा खाने/बनाने वाले हैं. जैसे एजेंडा के आइटम नं. 2 में प्रत्येक क्लास में माइक सिस्टम लगाने का है. उनका कहना है कि 100 साल पुराने इस स्कूल में आज तक माइक सिस्टम की जरूरत नहीं महसूस हुई, तो अब क्यों है? जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह स्कूल न तो यूनिवॢसटी है और न ही इसे कोई अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त है. इसके अलावा स्कूल में यदि माइक सिस्टम की जरूरत है भी तो उसकी व्यवस्था के लिए प्रिंसिपल द्वारा रेल प्रशासन को लिखा जाना चाहिए. इसके लिए पीटीए में चर्चा क्यों? जबकि पीटीए का बाकी स्कूल से कोई संबंध नहीं है. पैरेंट्स का कहना है कि इस तरह प्रिंसिपल द्वारा पीटीए अथवा स्कूल एकाउंट्स में करीब 3-4 लाख रु. का नया घपला किए जाने की पूर्व तैयारी की जा रही है.
उन्होंने बताया कि आइटम नं. 3 और 5 का भी पीटीए से कोई संबंध नहीं होना चाहिए. आइटम-3 में पर्सनेलिटी डेवलपमेंट कोर्स शुरू करने का प्रस्ताव है, जबकि आयटम-5 में स्कूल एवं जूनियर कॉलेज में टीचर्स की भर्ती की बात कही गई है. यह दोनों ही आइटम सर्वप्रथम प्रिंसिपल के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं और दूसरे इनका पीटीए से कोई संबंध नहीं है. स्कूल में कोई नया कोर्स शुरू करना है तो उसकी लिखित पूर्व अनुमति/संस्तुति रेल प्रशासन से और संबंधित शिक्षा संस्था से ली जानी आवश्यक है. प्रिंसिपल ने यह नहीं किया है, जबकि पीटीए का न तो इससे कोई संबंध है और न ही पीटीए का मंच इस आइटम पर विचार-विमर्श के लिए उपयुक्त या अधिकृत है. इसके साथ ही आइटम-5, जिसमें स्कूल एवं जूनियर कॉलेज के लिए टीचर्स को रखे जाने अथवा उनकी भर्ती की बात कही गई है, वह भी पीटीए से सर्वथा असंबद्ध है. स्कूल में टीचर्स की भर्ती की जानी है अथवा उन्हें ठेके (भाड़े) पर रखा जाना है या इसमें से कुछ नहीं करना है, यह पूरी तरह रेल प्रशासन के अधिकार क्षेत्र का मामला है. इसमें प्रिंसिपल महोदय कहीं नहीं आते हैं. वह ज्यादा से ज्यादा स्कूल में टीचर्स एवं स्टाफ की जरूरत के बारे में रेल प्रशासन को लिखित रूप से बता सकते हैं.
आइटम नं. 4 में मेन गेट पर एक ब्लैक बोर्ड लगाने की बात है. उसे ठीक मानते हुए पैरेंट्स का कहना है कि वहां ब्लैक बोर्ड पहले भी था, जिसे प्रिंसिपल ने ही हटवा दिया था और अब वही फिर से वहां ब्लैक बोर्ड लगाना चाहते हैं. तो यह पैसे की बरबादी है, मगर फिर भी वह इस आइटम से सहमत हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह आइटम नं. 6-7 से भी यह जानते हुए सहमत हो सकते हैं कि इसमें प्रिंसिपल महोदय ने अपना कमीशन पहले ही तय कर लिया होगा, जबकि आयटम नं. 7 में प्रस्तावित 2 कार्पेट की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि यह कार्पेट एक तो प्रिंसिपल साहब के व्यक्तिगत इस्तेमाल में आ सकते हैं, दूसरे कार्पेट पर चलने लायक प्रिंसिपल का चरित्र नहीं है.
एजेंडा आइटम नं. 9 भी आइटम नं. 5 की ही तरह है जो कि प्रिंसिपल और पीटीए के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. इसमें क्रिकेट, फुटबाल और खो-खो स्पोर्ट्स टीचर की नियुक्ति का प्रस्ताव रखा गया है, जबकि पीटीए का इससे कोई संबंध नहीं है. यही स्थिति आइटम नं. 10 की है, जिसमें भाड़े (ठेके) पर तीन सफाई वाले और चार सुरक्षा रक्षक रखे जाने के लिए किसी निजी एजेंसी की नियुक्ति किए जाने की बात कही गई है. यह 'निजीकरण' प्रिंसिपल के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. यदि स्कूल में इनकी आवश्यकता है तो प्रिंसिपल द्वारा इसके रेल प्रशासन को लिखा जाना चाहिए क्योंकि पीटीए का भी प्रिंसिपल के इस 'निजीकरण या ठेकेदारी' से कोई संबंध नहीं है, हालांकि पेशे से मूलत: 'ठेकेदार' प्रिंसिपल साहब इस स्कूल में भी अपनी अथवा अपने किसी 'उठल्लू' के माध्यम से 'ठेकेदारी' शुरू करना चाहते हैं.
पैरेंट्स का कहना है कि इस एजेंडा का आइटम नं. 8 प्रिंसिपल द्वारा फेंका गया सबसे बड़ा 'ब्लफ' है. क्योंकि तथाकथित नई पीटीए के गैरकानूनी गठन के बाद से अब तक सिर्फ एक ही मीटिंग हुई है और इसमें ऐसा कोई आइटम तय नहीं किया गया था. फिर प्रिंसिपल ने इस आइटम में केजी स्टाफ एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के वेतन को पुनर्निर्धारित कैसे मान लिया. "Item no. 8 Committee has decided to revise the salary of K. G. Staff and Class IV employees..." प्रिंसिपल की इस 'अंगरेजी' का क्या यही आशय नहीं है? अथवा इसका क्या आशय (अर्थ) निकलता है. यह अंग्रेजी के जानकार किसी भी सभ्य व्यक्ति से जाना जा सकता है.
सबसे अधिक आश्चर्यजचक बात यह है कि इस पूरे एजेंडा में पीटीए के लेखा-जोखा को प्रस्तुत किए जाने का कोई आइटम नहीं रखा गया है. पैरेंट्स का कहना है कि प्रिंसिपल ने पिछली पहली मीटिंग जो कि एक मेनीपुलेशन के तहत बुलाई गई थी, यह कहकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे को टाल दिया था कि लेखा-जोखा अगली मीटिंग में रखा जाएगा. परंतु इस एजेंडा से जाहिर है कि प्रिंसिपल द्वारा यह लेखा-जोखा प्रस्तुत किए जाने का कोई इरादा नहीं है. सभी पैरेंट्स ने रेल प्रशासन से इस प्रिंसिपल के खिलाफ अविलंब कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई किए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि पीटीए एकाउंट्स से प्रिंसिपल ने जो टीचर्स रखे हैं वह क्वालिफाइड नहीं हैं और उन्हें प्रिंसिपल ने अपने निहित स्वार्थ वश एक 'समझौते' के तहत रखा है. इसकी जांच की जानी चाहिए.
अत: कुल मिलाकर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे प्रिंसिपल महोदय की भ्रष्ट गतिविधियां चार-चार बार के एवार्डेड इस स्कूल को गर्त में ले जा रही हैं. इसके अलावा 'रेलवे समाचार' के पास उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार पीटीए के पंजीकरण के समय रजिस्ट्रार ने इसके नाम के साथ लगे 'सेंट्रल रेलवे' शब्दों को हटवाने के बाद ही इसका पंजीकरण किया था. क्योंकि 'सेंट्रल रेलवे' के साथ पीटीए का कोई संबंध नहीं जोड़ा जा सकता था. तो 'सीआरपीटीए' नामक न तो किसी संस्था का अस्तित्व है और न ही इसका कोई संबंध रेलवे स्कूल से हो सकता है. ऐसे में पीटीए की मीटिंग और इसका एजेंडा स्कूल के पैड पर तथाकथित 'प्रेसीडेंट/पीटीए' (प्रिंसिपल) द्वारा कतई जारी नहीं किया जा सकता है. यह निश्चित रूप से गैरकानूनी है और उनकी इन तमाम गैरकानूनी एवं नियमों के विपरीत गतिविधियों को रोकने तथा स्कूल को बचाने के लिए सर्वप्रथम जरूरी है कि प्रिंसिपल महोदय को या तो तुरंत निलंबित किया जाए अथवा जबरन छुट्टी पर भेजा जाए. यही कार्रवाई उनकी प्रमुख संरक्षक सीनियर डीपीओ के खिलाफ भी की जानी चाहिए. इसके अलावा प्रिंसिपल की सबसे 'खास संगिनी' प्राइमरी एचएम को कल्याण स्कूल से अविलंब अन्यत्र शिफ्ट किया जाना चाहिए. जब तक इस 'तिकड़ी' को तोड़ा नहीं जाएगा तब तक इस स्कूल को भ्रष्टाचार और अंदरूनी राजनीति से मुक्त नहीं किया जा सकेगा.

प्रिंसिपल को बचाने में लगीं हैं सीनियर डीपीओ
तमाम पर्दाफाश हो जाने के बाद भी कल्याण रेलवे स्कूल के महाभ्रष्ट प्रिंसिपल महोदय की बचकानी हरकतें लगातार जारी हैं, क्योंकि उन्हें अहंकारी और अकर्मण्य तथा सर्वथा अक्षम सीनियर डीपीओ श्रीमती रीता हेमराजानी की लगातार शह मिली हुई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले हफ्ते भ्रष्ट प्रिंसिपल महोदय ने एक लिखित फरमान जारी किया कि इंटरवल टाइम में स्कूल के गेट बंद रहेंगे और कोई भी अध्यापक या छात्र स्कूल के बाहर नहीं जाएगा. आश्चर्य इस बात का है कि इस बचकाने और गैरकानूनी फरमान पर स्कूल के लगभग सभी अध्यापकों ने बिना समझे-बूझे हस्ताक्षर कर दिए. बताते हैं कि एक वरिष्ठ अध्यापक के विरोध पर कि 'इंटरवल टाइम में स्कूल के गेट बंद नहीं होने चाहिए' के परिणामस्वरूप प्रिंसिपल महोदय स्कूल के गेट बंद नहीं करवा पाये.
हस्ताक्षर करने वाले अध्यापकों को बताते हैं कि प्रिंसिपल साहब ने साफ कहा कि उक्त फरमान सीनियर डीपीओ के कहने से निकाला गया है क्योंकि इससे बच्चे बाहर नहीं जाएंगे तो स्कूल में खोली गई कैंटीन का धंधा अच्छा होगा. स्कूल सूत्रों का कहना है कि कैंटीन ठेकेदार से प्रिंसिपल साहब ने अपना कमीशन तय कर लिया है. यही वजह है कि सीनियर डीपीओ के साथ मिलकर वह कैंटीन का धंधा बढ़वाने में लग गए हैं, जबकि स्कूल के ज्यादातर छात्र गेट 41 रेलवे कालोनी, वालधुनी और एफ टाइप कालोनी सहित आसपास के ही रहने वाले हैं जो 40 मिनट के इंटरवल में अपने घर जाकर कुछ खा आते हैं क्योंकि नजदीक रहने के कारण ही वे टिफिन लेकर नहीं आते हैं. ऐसे में इंटरवल के समय स्कूल के गेट जबरन बंद करना और इस प्रकार उनका शोषण करके कैंटीन का धंधा बढ़वाकर सिर्फ अपनी कमाई के बारे में सोचने वाले प्रिंसिपल महोदय की मंशा साफ स्पष्ट हो जाती है.
इसके अलावा पता चला है कि करीब 15 दिन पहले प्रिंसिपल की प्रमुख संरक्षक सीनियर डीपीओ श्रीमती रीता हेमराजानी ने अपने बगलबच्चे प्रिंसिपल एवं उनके भ्रष्टाचार एवं स्कूल में हुई तमाम अनियमितताओं से संबंधित जो रिपोर्ट प्रशासन को सौंपी थी, उसे प्रशासन ने खारिज कर दिया है और उन्हें 31 अगस्त से पहले वास्तविक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया. बताते हैं कि आजकल रात-दिन एक करके बड़ी तत्परता से स्कूल में यह रिपोर्ट बनाई जा रही है और नये सिरे से लीपापोती करके प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी हो रही है.
जबकि पता चला है कि विजिलेंस ने भी कुछ रिकार्ड मंगवाये हैं. जिसके जवाब में भी प्रिंसिपल ने तथ्यों को छिपा लिया है. इस तरह खिन्न हो रहे प्रिंसिपल महोदय अपने तमाम भ्रष्टाचार को छिपाने के चक्कर में दिन-प्रतिदिन और ज्यादा नंगे होते जा रहे हैं, जबकि सीनियर डीपीओ को उनकी तमाम नंगई देखकर भी शर्म नहीं आ रही है. क्योंकि उन्हें भी तो अपना कम्प्यूटर सप्लाई का 'धंधा' चलाना है. यह कहना है स्कूल के कुछ अध्यापकों का. उनका कहना है कि प्रिंसिपल से पहले यदि प्रशासन ने शीघ्र ही श्रीमती रीता हेमराजानी का उनके वर्तमान पद से नहीं हटाया तो जो स्थिति आज प्रिंसिपल महोदय की है, वही श्रीमती हेमराजानी की होने वाली है. क्योंकि जिस प्रकार इस महाभ्रष्ट प्रिंसिपल को अपने यहां लेने के लिए आज कोई रेलवे तैयार नहीं है, उसी प्रकार श्रीमती हेमराजानी की भी यही स्थिति हो सकती है.
हालांकि प्रिंसिपल के मामले में रेल प्रशासन की स्थिति समझ में आती है कि जिस प्रकार गुरुनानक देव ने दुव्र्यवहार करने वाले ग्रामीणों को वहीं रहने और बाहर कहीं न जाने का आशीष दिया, जबकि उनका अत्यंत आदर-सत्कार करने वाले दूसरे गांव के ग्रामीणों को उन्होंने कहा कि वह दूर-दूर तक बिखर जाएं. नानक देव जी के इन विसंगतिपूर्ण आशीर्वादों से आश्चर्यचकित उनके शिष्यों ने जब उनसे पूछा तो नानक जी ने उन्हें समझाया कि दुष्ट लोग जहां जाएंगे, वहां दुष्टता ही फैलाएंगे, इसलिए उन्हें वहीं रहने और बाहर न जाने का आशीष दिया, जबकि सज्जनता और शिष्टता का व्यवहार करने वालों को बिखर जाने के लिए कहा क्योंकि वह जहां जाएंगे अपने सद्गुणों को दूसरों तक फैलाएंगे. इससे समाज में सज्जन लोगों की संख्या बढ़ेगी. तब शिष्यों को समझ में आया था गुरुदेव नानक जी के दोनों आशीर्वादों का मर्म. इसी तरह रेल प्रशासन भी यह मान रहा है कि यह प्रिंसिपल जहां भी जाएगा, वहां अपनी भ्रष्टता को ही फैलाएगा. इसलिए फिलहाल इसे यहीं रखकर 'सुधारा' जाए, जिसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी शुरू कर दी है.
शीघ्र ही भ्रष्ट शिरोमणि की पदवी से नवाजे जाने वाले प्रिंसिपल महोदय की कुछ और ऐसी करतूतों का पर्दाफाश किया जाएगा, जिससे मजबूर होकर प्रशासन को न सिर्फ प्रिंसिपल महोदय को तुरंत निलंबित करना पड़ेगा, बल्कि चल रही कच्छप जांच को शीघ्र पूरा करके उन्हें तो फोस्र्ड वीआरएस लेने के लिए कहा जाएगा अथवा प्रशासन खुद उन्हें घर भेज देगा. यदि ऐसा नहीं होता है तो प्रशासन की अकर्मण्यता और प्रिंसिपल की भ्रष्टता के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जाएगी.

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