Friday, 18 September 2009

'रेलवे समाचार' की मुहिम रंग लाई

जीएम कोटे की भर्तियों की

सीबीआई
जांच के आदेश


नयी दिल्ली :
उत्तर पश्चिम रेलवे के पूर्व महाप्रबंधक अशोक गुप्ता के ठिकानों पर 11 सितंबर को पड़े सीबीआई छापे के परिप्रेक्ष्य में रेलमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले पांच वर्षों के दौरान महाप्रबंधक कोटे की भर्तियों की सीबीआई से जांच कराने की घोषणा कर दी है. रेल मंत्री की इस घोषणा से 'रेलवे समाचार' की मुहिम भी पूरी होती नजर आ रही है, जो कि लगातार इस मामले में लिखता रहा है कि पूर्व रेलमंत्री और उनके कुनबे ने जोनल महाप्रबंधकों पर दबाव डाल-डालकर बड़े पैमाने पर एक प्रदेश विशेष के बेरोजगार युवकों की भर्ती करवाई थी जो कि यह नौकरी पाने के लिए अपने खेत-बाग, गहना-गुरिया बेचकर 4 से 5 लाख रु. दिए थे. यहां तक कि जिनके पास देने के लिए कुछ नहीं था, उनसे नौकरी की एवज में पूर्व रेलमंत्री और उनके कुनबे ने उनकी जमीनें अपने नाम लिखा ली थीं. इस संबंध में गत वर्ष जद(यू) के महासचिव श्री शिवानंद तिवारी ने एक प्रतिनिधि मंडल के साथ प्रधानमंत्री को सप्रमाण एक ज्ञापन देकर ऐसी सभी भर्तियों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी.
इसके साथ ही रेलमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले पांच वर्षों के रेलवे के संपूर्ण कामकाज की आंतरिक समीक्षा (जांच) करने के भी आदेश दिए हैं. इससे पूर्व रेल मंत्री के पिछले पांच वर्षों के भ्रष्टाचारपूर्ण मनमानी कामकाज की सही स्थिति तो सामने आएगी ही बल्कि उनके कार्यकाल में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच से पिछले पांच वर्षों के दौरान चले मनमानी एकछत्र राज का भारी भ्रष्टाचार भी उजागर होगा. परंतु रेल मंत्री से 'रेलवे समाचार' की यह अपेक्षा है कि सीबीआई द्वारा पिछले पांच वर्षों में उच्च रेल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने अथवा मामला दर्ज करके जांच करने की जो अनुमतियां रेल बोर्ड (रेल मंत्रालय) से मांगी गई हैं और वह नहीं दी गई हैं, उन्हें शीघ्र जारी किया जाए तो इस काम और उनकी इस महत्वपूर्ण घोषणा को और अधिक बल मिलेगा.
ज्ञातव्य है कि पूर्व रेलमंत्री के दबाव में और उनके कार्यकाल में ऐसी सर्वाधिक भर्तियां उत्तर रेलवे, दिल्ली, उत्तर-मध्य रेलवे, इलाहाबाद, उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर, पश्चिम-मध्य रेलवे, जबलपुर, पूर्व रेलवे एवं दक्षिण-पूर्व रेलवे, कोलकाता, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे, बिलासपुर के साथ ही बिहार प्रदेश स्थित पूर्व मध्य रेलवे एवं यहां स्थापित हो रही नयी रेलवे उत्पादन इकाइयों में ही हुई हैं. 'रेलवे समाचार' ने करीब एक साल पहले ही एक अनुमान के आधार पर पूर्व रेल मंत्री के कार्यकाल में उनके दबाव के चलते हुई ऐसी करीब 15 हजार भर्तियों का उल्लेख प्रकाशित किया था. जबकि इसमें यदि तमाम रेलवे भर्ती बोर्डों की उनके समय में हुई भर्तियों को जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा करीब 50 हजार भर्तियों का है, जिनमें से 90 प्रतिशत भर्तियां बिहार से ही हुई है. रेलमंत्री से 'रेलवे समाचारÓ की मांग है कि सिर्फ जोनल महाप्रबंधकों द्वारा की गई भर्तियों की ही नहीं बल्कि पिछले पांच वर्षों के दौरान विभिन्न रेलवे भर्ती बोर्डों (आरआरबी) द्वारा की गई भर्तियों की भी लगे हाथ यदि जांच कराई जाए, तो सिर्फ इसी मद में पूर्व रेलमंत्री और उनके कुनबे सहित उ.प.रे., उ.रे., उ.म.रे., उ.पू.रे., पू.रे., द.पू.रे., द.पू.म.रे. के पूर्व महाप्रबंधकों एवं कुछ आरआरबी चेयरमैनों द्वारा किए गए करोड़ों के भ्रष्टाचार का आकलन आसानी से किया जा सकता है.
रेलमंत्री को इस घोषणा के लिए हार्दिक बधाई देते हुए 'रेलवे समाचार' उनसे इस बात की और अपेक्षा करता हैै कि वे शीघ्र ही जोनल महाप्रबंधकों के इस तथाकथित 'डिस्क्रीशनरी पावर' को यदि पूरी तरह से खत्म कर दें तो अंग्रेजों द्वारा डाली गई यह एक और परंपरा रेलवे से समाप्त हो जाएगी. यदि यह संपूर्ण रूप से संभव न भी हो तो भी इस 'पावर' को इतना सीमित और पारदर्शी कर दिया जाए कि इसमें भ्रष्टाचार की संभावनाओं को खत्म किया जा सके.

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