एनईआर ने शुरू किया ई-प्रोकरमेंट
गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) स्टोर्स डिपाटरमेंट ने महाप्रबंधक श्री यू.सी.डी. श्रेणी के नेतृत्व में संपूर्ण टेंडर सिस्टम का आधुनिकीकरण करते हुए न सिर्फ समय की बचत की है बल्कि इससे सालाना करोड़ों रु. की भी बचत होगी. जुलाई 2009 से एनईआर ने ई-प्रोकरमेंट की शुरुआत कर दी है. जुलाई 2005 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रहे इस कार्य को अंतिम रूप दिया गया. नवंबर 2008 में उ.रे. ने शत-प्रतिशत ई-टेंडरिंग की सर्वप्रथम शुरुआत की थी. जनवरी 2009 में एनईआर सहित अन्य 8 रेलों को ई-प्रोकरमेंट सिस्टम (ईपीएस) शुरू करने का निर्देश रेलवे बोर्ड द्वारा दिया गया था. एनईआर ने इस दरम्यान अपने एकाउंट्स एवं स्टोर्स कर्मचारियों को ईपीएस के लिए प्रशिक्षित किया. इसके साथ ही वेंडर्स/सप्लायर्स को भी इसकी पर्याप्त जानकारी मुहैया कराई गई.
तत्पश्चात 5 मई 2009 में पहला लिमिटेड टेंडर इसके माध्यम से खोला गया. तब से अब तक ईपीएस के माध्यम से करीब 200 से ज्यादा टेंडर खोले जा चुके हैं. सीओएस कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार टेंडर ओपनिंग में जहां परंपरागत रूप से 15 दिन का समय लगता था वहीं ईपीएस में मात्र 1 दिन लगने लगा है. जिससे पूरे 14 दिन के समय की बचत हुई है. सप्लायर्स की मैनुअल टेंडरिंग की अपेक्षा ईपीएस माध्यमों में 50 प्र.श. लागत की बचत हुई है. ई-टेंडरिंग के समय किसी वेंडर की व्यक्तिगत उपस्थित की जरूरत नहीं रह गई है. टेंडरों के विज्ञापन खर्च की भी सालाना करोड़ों की बचत होगी. टेंडर डिस्पैच में जहां मैनुअली 2 से 10 दिन का कुल समय लगता था. वहीं यह अब उसी दिन होने लगा है. इससे 8-9 दिन का समय बच गया है. टेंडर बुलेटिन प्रकाशित करने और उन्हें वेंडर्स को भेजने का भी खर्च बच गया है. इसके अलावा टेंडर्स ओपनिंग नंबरिंग, सर्किलिंग एवं अन्य गतिविधियों के लिए बड़ी संख्या में स्टाफ की जरूरत खत्म हो गई है.
इससे टेंडर सेक्शन के स्टाफ में करीब 8 कर्मचारियों की कमी की जा सकती है. इससे सालाना करीब 25 से 30 लाख रु. की बचत होगी. डाक से वेंडर्स को टेंडर भेजे जाने की जरूरत खत्म हो गई है, जिससे सालाना करीब 10 लाख की बचत होगी. वर्ष 2008-09 में ही एनईआर ने इस मद में करीब 6 लाख की बचत कर ली है. ईपीएस से सालाना लाखों की स्टेशनरी बचेगी. इसके साथ ही प्रत्येक टेंडर/कोटेशन को ओपन करने दो-दो बार नंबरिंग करने फिर एक्जामिनेशन, सर्किलिंग और साइन करने, टेंडर डाक्यूमेंट्स को तैयार करने और उनकी बिक्री से भी पूरी तरह निजात मिल गई है.
इसके अलावा ईपीएस से टेंडर मेनीपुलेशंस, कार्टेलिंग आदि भी समाप्त होगी तथा पर्याप्त पारदर्शिता आएगी, ऐसी उम्मीद है. 4 अगस्त को महाप्रबंधक श्री श्रेणी ने स्टोर्स डिपार्टमेंट का सघन निरीक्षण किया. इस अवसर पर सीओएस श्री एम. के. सुराना एवं अन्य स्टोर्स अधिकारी तथा पीएचओडी उनके साथ थे. एनईआर द्वारा सालाना करीब 350 करोड़ रु. की स्टोर्स खरीद की जाती है. निरीक्षण के दौरान श्री श्रेणी ने स्टोर्स डिपार्टमेंट की इस ईपीएस उपलब्धि पर उसके कर्मचारियों को 10 हजार रु. का नकद पुरस्कार प्रदान किया. इसके साथ ही उन्होंने इंजी., इले. एसएंडटी और एकाउंट्स विभागों को भी 5-5 हजार रु. के प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए. श्री श्रेणी ने इस अवसर पर श्री सुराना, डिप्टी सीएमएम श्री अमित दुबे सहित ईपीएस प्रक्रिया से जुड़े रहे सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की तारीफ की. जबकि सभी अधिकारियों ने ईपीएस की शुरुआत के लिए श्री श्रेणी के मार्गदर्शन को महत्व दिया है.
गोरखपुर : पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) स्टोर्स डिपाटरमेंट ने महाप्रबंधक श्री यू.सी.डी. श्रेणी के नेतृत्व में संपूर्ण टेंडर सिस्टम का आधुनिकीकरण करते हुए न सिर्फ समय की बचत की है बल्कि इससे सालाना करोड़ों रु. की भी बचत होगी. जुलाई 2009 से एनईआर ने ई-प्रोकरमेंट की शुरुआत कर दी है. जुलाई 2005 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चल रहे इस कार्य को अंतिम रूप दिया गया. नवंबर 2008 में उ.रे. ने शत-प्रतिशत ई-टेंडरिंग की सर्वप्रथम शुरुआत की थी. जनवरी 2009 में एनईआर सहित अन्य 8 रेलों को ई-प्रोकरमेंट सिस्टम (ईपीएस) शुरू करने का निर्देश रेलवे बोर्ड द्वारा दिया गया था. एनईआर ने इस दरम्यान अपने एकाउंट्स एवं स्टोर्स कर्मचारियों को ईपीएस के लिए प्रशिक्षित किया. इसके साथ ही वेंडर्स/सप्लायर्स को भी इसकी पर्याप्त जानकारी मुहैया कराई गई.
तत्पश्चात 5 मई 2009 में पहला लिमिटेड टेंडर इसके माध्यम से खोला गया. तब से अब तक ईपीएस के माध्यम से करीब 200 से ज्यादा टेंडर खोले जा चुके हैं. सीओएस कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार टेंडर ओपनिंग में जहां परंपरागत रूप से 15 दिन का समय लगता था वहीं ईपीएस में मात्र 1 दिन लगने लगा है. जिससे पूरे 14 दिन के समय की बचत हुई है. सप्लायर्स की मैनुअल टेंडरिंग की अपेक्षा ईपीएस माध्यमों में 50 प्र.श. लागत की बचत हुई है. ई-टेंडरिंग के समय किसी वेंडर की व्यक्तिगत उपस्थित की जरूरत नहीं रह गई है. टेंडरों के विज्ञापन खर्च की भी सालाना करोड़ों की बचत होगी. टेंडर डिस्पैच में जहां मैनुअली 2 से 10 दिन का कुल समय लगता था. वहीं यह अब उसी दिन होने लगा है. इससे 8-9 दिन का समय बच गया है. टेंडर बुलेटिन प्रकाशित करने और उन्हें वेंडर्स को भेजने का भी खर्च बच गया है. इसके अलावा टेंडर्स ओपनिंग नंबरिंग, सर्किलिंग एवं अन्य गतिविधियों के लिए बड़ी संख्या में स्टाफ की जरूरत खत्म हो गई है.
इससे टेंडर सेक्शन के स्टाफ में करीब 8 कर्मचारियों की कमी की जा सकती है. इससे सालाना करीब 25 से 30 लाख रु. की बचत होगी. डाक से वेंडर्स को टेंडर भेजे जाने की जरूरत खत्म हो गई है, जिससे सालाना करीब 10 लाख की बचत होगी. वर्ष 2008-09 में ही एनईआर ने इस मद में करीब 6 लाख की बचत कर ली है. ईपीएस से सालाना लाखों की स्टेशनरी बचेगी. इसके साथ ही प्रत्येक टेंडर/कोटेशन को ओपन करने दो-दो बार नंबरिंग करने फिर एक्जामिनेशन, सर्किलिंग और साइन करने, टेंडर डाक्यूमेंट्स को तैयार करने और उनकी बिक्री से भी पूरी तरह निजात मिल गई है.
इसके अलावा ईपीएस से टेंडर मेनीपुलेशंस, कार्टेलिंग आदि भी समाप्त होगी तथा पर्याप्त पारदर्शिता आएगी, ऐसी उम्मीद है. 4 अगस्त को महाप्रबंधक श्री श्रेणी ने स्टोर्स डिपार्टमेंट का सघन निरीक्षण किया. इस अवसर पर सीओएस श्री एम. के. सुराना एवं अन्य स्टोर्स अधिकारी तथा पीएचओडी उनके साथ थे. एनईआर द्वारा सालाना करीब 350 करोड़ रु. की स्टोर्स खरीद की जाती है. निरीक्षण के दौरान श्री श्रेणी ने स्टोर्स डिपार्टमेंट की इस ईपीएस उपलब्धि पर उसके कर्मचारियों को 10 हजार रु. का नकद पुरस्कार प्रदान किया. इसके साथ ही उन्होंने इंजी., इले. एसएंडटी और एकाउंट्स विभागों को भी 5-5 हजार रु. के प्रोत्साहन पुरस्कार प्रदान किए. श्री श्रेणी ने इस अवसर पर श्री सुराना, डिप्टी सीएमएम श्री अमित दुबे सहित ईपीएस प्रक्रिया से जुड़े रहे सभी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की तारीफ की. जबकि सभी अधिकारियों ने ईपीएस की शुरुआत के लिए श्री श्रेणी के मार्गदर्शन को महत्व दिया है.
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