उ.रे. का क्लेम्स कई गुना बढ़ा
नयी दिल्ली : विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर रेलवे का दावा ï(क्लेम्स) भुगतान करीब ढ़ाई गुना से भी ज्यादा बढ़ गया है. इससे वाणिज्य अधिकारियों में चिंता फैली हुई है क्योंकि वे इसे रोक पाने या न्यूनतम करने में विफल हो रहे हैं. हालांकि इसके कुछ मुख्य कारणों की जानकारी उन्हें भी है, परंतु इन कारणों को ही रोक पाने में वे स्वयं को असहाय पा रहे हैं. इस संबंध में उ.रे. के एक वाणिज्य अधिकारी ने साफ तौर पर यह स्वीकार किया कि हां, क्लेम्स भुगतान काफी बढ़ गया है. परंतु उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति सिर्फ उ.रे. की ही नहीं बल्कि सभी जोनल रेलों की है क्योंकि यहां भी अब फर्जी लाशों का धंधा शुरू कर दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार स्टेशनों पर लाइन पार करते समय अथवा दरवाजे पर लटक कर यात्रा करते समय होने वाली मौतों या रेल लाइनों के पास मिली लावारिश लाशों की बोली लगाकर खरीद लिया जाता है और फिर उनका फर्जी मामला बनाकर रेलवे से दुर्घटना मौत का दावा वसूल किया जाता है. इस सारे गोरखधंधे में पूरा एक माफिया लगा हुआ है, जिसमें लावारिस लाशों की खरीद-फरोख्त करने वाले एजेंटों सहित कुछ वकील, स्टेशन मास्टर, क्लेम्स निरीक्षक और आरसीटी के कुछ पदाधिकारियों की भी मिलीभगत बताई जाती है.
'रेलवे समाचार' को भी इसी तरह की जानकारी कुछ दिन पहले ही मिली है और 'रेलवे समाचार' ने तभी से इस मामले की गहराई से छानबीन शुरू कर दी है. परंतु ऐसे सर्वाधिक फर्जी मामले उ.रे. में होने की जानकारी चिंताजनक है. उ.रे. के उक्त वाणिज्य अधिकारी ने यह भी कहा कि हम अपने स्तर पर ऐसे मामलों की संख्या घटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए सभी जरूरी दिशा-निर्देश संबंधित अधिकारियों एवं निरीक्षकों को दिए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि क्लेम्स सिस्टम में बदलाव के लिए भी रेल मंत्रालय को लिखा गया है. यदि यह संशोधन हो जाता है तो ऐसे फर्जी मामले रोकने में ज्यादा कारगर ढंग से मदद मिलेगी.
नयी दिल्ली : विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर रेलवे का दावा ï(क्लेम्स) भुगतान करीब ढ़ाई गुना से भी ज्यादा बढ़ गया है. इससे वाणिज्य अधिकारियों में चिंता फैली हुई है क्योंकि वे इसे रोक पाने या न्यूनतम करने में विफल हो रहे हैं. हालांकि इसके कुछ मुख्य कारणों की जानकारी उन्हें भी है, परंतु इन कारणों को ही रोक पाने में वे स्वयं को असहाय पा रहे हैं. इस संबंध में उ.रे. के एक वाणिज्य अधिकारी ने साफ तौर पर यह स्वीकार किया कि हां, क्लेम्स भुगतान काफी बढ़ गया है. परंतु उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति सिर्फ उ.रे. की ही नहीं बल्कि सभी जोनल रेलों की है क्योंकि यहां भी अब फर्जी लाशों का धंधा शुरू कर दिया गया है.
सूत्रों के अनुसार स्टेशनों पर लाइन पार करते समय अथवा दरवाजे पर लटक कर यात्रा करते समय होने वाली मौतों या रेल लाइनों के पास मिली लावारिश लाशों की बोली लगाकर खरीद लिया जाता है और फिर उनका फर्जी मामला बनाकर रेलवे से दुर्घटना मौत का दावा वसूल किया जाता है. इस सारे गोरखधंधे में पूरा एक माफिया लगा हुआ है, जिसमें लावारिस लाशों की खरीद-फरोख्त करने वाले एजेंटों सहित कुछ वकील, स्टेशन मास्टर, क्लेम्स निरीक्षक और आरसीटी के कुछ पदाधिकारियों की भी मिलीभगत बताई जाती है.
'रेलवे समाचार' को भी इसी तरह की जानकारी कुछ दिन पहले ही मिली है और 'रेलवे समाचार' ने तभी से इस मामले की गहराई से छानबीन शुरू कर दी है. परंतु ऐसे सर्वाधिक फर्जी मामले उ.रे. में होने की जानकारी चिंताजनक है. उ.रे. के उक्त वाणिज्य अधिकारी ने यह भी कहा कि हम अपने स्तर पर ऐसे मामलों की संख्या घटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं और इसके लिए सभी जरूरी दिशा-निर्देश संबंधित अधिकारियों एवं निरीक्षकों को दिए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि क्लेम्स सिस्टम में बदलाव के लिए भी रेल मंत्रालय को लिखा गया है. यदि यह संशोधन हो जाता है तो ऐसे फर्जी मामले रोकने में ज्यादा कारगर ढंग से मदद मिलेगी.
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