Friday, 4 September 2009

बिना लर्निंग रोड चालक भेजकर चलवाते
हैं अपरिचित खंड में गाडिय़ां


यात्रियों के जान-माल को भारी खतरा

परंतु जानकारी नहीं देना चाहते अधिकारी
सूचना अधिकार की अवहेलना
कर रहा है प.रे. का रतलाम मंडल


मुकेश कुमार सिंह, प्रतिनिधि

रतलाम : प्राप्त रिपोर्टों के आधार पर यह स्पष्ट होता है कि प.रे. का रतलाम मंडल जनसूचना अधिकार अधिनियम की बुरी तरह अवहेलना कर रहा है. उज्जैन के श्री आर. के. माथुर ने इस अधिनियम के तहत प्राप्त अधिकार में जनसूचना अधिकारी, रतलाम मंडल से यह जानकारी चाही थी कि 1. रतलाम मंडल में समस्त रनिंग स्टाफ (लोको पायलट, सहायक लोको पायलट एवं शंटर थ्री फेस लोको (डब्ल्यूएजी9) की परीक्षा/ट्रेनिंग में उत्तीर्ण क्यों नहीं हुए जबकि यह एक पावर सेवर इंजन है. 2. कुछ रनिंग स्टाफ थ्री फेस लोको का प्रशिक्षण उत्तीर्ण होने पर भी इस लोको का वर्किंग नहीं करते हैं, ऐसा क्यों?
इसके जवाब में केंद्रीय जनसूचना अधिकारी एवं वरि. मं.वि. इंजी. (क.प.) रतलाम मंडल ने कहा है कि उपरोक्त संदर्भित विषय में पैरा-1 एवं पैरा-2 के तहत चाही गई जानकारी इस कार्यालय में मांगे गए फार्मेट में उपलब्ध नहीं है. फिर भी यदि आवेदक इस जवाब से संतुष्ट नहीं है और इस संबंध में और कोई जानकारी चाहता है तो वह किसी भी कार्यदिवस में निर्धारित शुल्क अदाकर वरि. मं. वि. इंजी. ï(क.प.) की मध्यस्थता में उनके कार्यालय में आकर उपलब्ध रिकार्ड का अवलोकन कर सकता है. यही जवाब अपील करने पर अपीलेट अथॉरिटी एडीआरएम/रतलाम ने भी दोहरा दिया है.
इसी प्रकार एक अन्य आवेदनकर्ता उज्जैन निवासी राजेंद्र नागर ने जानकारी चाही थी कि 1. रनिंग स्टाफ का साप्ताहिक विश्राम (30 घंटे) किन स्थितियों में निरस्त किया जा सकता है? उसे निरस्त करने का अधिकार किसे है? ऐसी स्थिति में कर्मचारी के ड्यूटी पर न जाने पर उसके खिलाफ कौन-सी कार्रवाई की जाती है? 2. इंजन पायलेटिंग की परिभाषा नियमानुसार क्या है? क्या बिना लर्निंग रोड वाले चालक को अपरिचित खंड में इंजन पायलेटिंग के लिए भेजा जा सकता है? ऐसी स्थिति में यदि दुर्घटना हो जाती है तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होती है?
आवेदक राजेंद्र नगर के उपरोक्त सवालों का जवाब भी वरि. मं.वि. इंजी. (क.प.) रतलाम ने उन्हीं शब्दों में दोहरा दिया है जिन शब्दों में आर. के. माथुर को दिया है, जबकि आवेदक नागर ने कोई रिकार्ड नहीं मांगा है तथापि उन्हें कहा गया है कि या तो वे भा.रे. की वेबसाइट से जीएंडएसआर रूल्स एवं ऑपरेटिंग मैनुअल को डाउनलोड कर लें अथवा 1792 रु. भरकर उसकी कॉपी उनके कार्यालय से प्राप्त कर लें. यही जवाब उन्हें अपीलेट अथॉरिटी एडीआरएम द्वारा भी दोहरा दिया गया है.
यह सरासर जानकारी चाहने वालों को दिग्भ्रमित करने और उन्हें मूर्ख समझकर अपनी खाल बचाने के लिए मंडल अधिकारियों द्वारा जनसूचना अधिकार अधिनियम का खुला मजाक उड़ाया जा रहा है. इन अधिकारियों को भाषा की भी तमीज नहीं है क्योंकि अपीलेट अधिकारी ने आवेदकों को दिए गए जवाब में 'हिदायतÓ शब्द का इस्तेमाल किया है. इसका मतलब 'चेतावनीÓ होता है. इस शब्द का इस्तेमाल सूचना चाहने वालों का अपमान करना है. इसीलिए अपीलेट अधिकारी को भाषा और शब्दों के चयन की समझ देने के साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जानी चाहिए. क्योंकि एडीआरएम/अपीलेट अथॉरिटी द्वारा 'हिदायत' और 'पुन: हिदायत' शब्दों का इस्तेमाल न सिर्फ अत्यंत आपत्तिजनक है बल्कि मानहानिकारक भी है.
उपरोक्त दोनों आवेदकों द्वारा चाही गई जानकारी ऐसी नहीं है, जो संवेदनशील हो, बल्कि यह निहायत सामान्य दर्जे की जानकारी है. परंतु वरि. मं.वि. इंजी. (क.प.) एवं एडीआरएम, रतलाम द्वारा अपमानजनक तरीके से यह जानकारी नकारे जाने का वास्तविक कारण भी आवेदकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों में ही निहित है. क्योंकि रतलाम मंडल और प.रे. प्रशासन यूनियनों के साथ मिलकर उज्जैन लॉबी को खत्म करने का पुरजोर प्रयास पिछले दो सालों से कर रहा है, जबकि यदि कोई लॉबी टूटनी थी तो वह रतलाम की लॉबी है. परंतु अधिकारी और यूनियनें मिलकर रतलाम के बजाय उज्जैन लॉबी तोडऩे पर उतारू हैं और सारे संरक्षा-सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर बिना लर्निंग रोड के ही अपरिचित सेक्शनों में ड्राइवरों को भेजकर यात्री एवं मालगाडिय़ां चलवाई जा रही हैं. यही बात पूछकर, जिसका सही जवाब देना दोनों अधिकारियों को मुश्किल में डाल सकता है, दोनों आवेदकों ने उन्हें सांसत में डाल दिया है. इसीलिए उपरोक्त प्रकार के टालू जवाब देकर यह दोनों अधिकारी अपनी खाल बचा रहे हैं और लाखों यात्रियों के जानमाल को जोखिम में डाल रहे हैं.

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