एसएसई/पी-वे से परेशान गैंग के कर्मचारी
भुसावल : एसएसई/पी-वे (सीपीडब्ल्यूआई) नंदुरबार के मातहत कार्यरत गैंग नं. 1 व 2 के 16 कर्मचारियों ने हस्ताक्षर करके 'रेलवे समाचार' को भेजी गई एक लिखित शिकायत में कहा है कि एसएसई द्वारा काम का बंटवारा निष्पक्ष रूप से नहीं किया जाता है. जहां गैंग नं. 1 को एक टीपी के लिए दो आदमी दिए जाते हैं, वहीं गैंग नं. 2 को तीन टीपी के लिए दो आदमी देते हैं. जबकि उनसे ट्रेक की साफ-सफाई भी जबरन करवाई जाती है. उन्होंने लिखा है कि जब काम समय पर पूरा नहीं होता तो एसएसई द्वारा उन्हें गालियां दी जाती हैं और कहा जाता है कि 'काम नहीं करना है तो नौकरी छोड़कर चले जाओ.' कई बार मारपीट भी करते हैं. उन्होंने लिखा है कि जमादार को लगातार ट्रांसफर की धमकी दी जाती है और ड्यूटी से ज्यादा समय तक काम करवाया जाता है. गैंगमैनों ने लिखा है कि एसएसई/पी-वे नंदुरबार द्वारा अपने बंगले पर ज्यादा आदमी रखे गए हैं, जिससे उन पर काम का बोझ अधिक पड़ रहा है. यदि बंगले के आदमी हटाकर काम पर लगवाये जाएं तो दोनों गैंग का बोझ काफी हलका हो सकता है.
गैंगमैनों ने लिखा है एसएसई/पी-वे/नंदुरबार द्वारा रेलवे का सामान ढोने के लिए सवारी या मालगाड़ी का उपयोग किया जाता है, परंतु इसे फर्जी तरीके से रेलवे ट्रक से ढोया दिखाकर डीजल की चोरी की जाती है और इस तरह उक्त ट्रक का इस्तेमाल निजी सामान ढोने के लिए किया जाता है. इसी तरह 8-10 लोगों की फर्जी हाजिरी लगाकर उनका उपयोग अपने निजी कामों के लिए किया जाता है. उन्होंने साफ लिखा है कि एसएसई के घर पर भारत चिंधू, रमेश नारायण, हरिशंकर वाघ, भिका रामदास, इस्तीया जूलिया, पांडुरंग धोंडे, भाईदास, पार्वतीबाई, रंगलाल, सखाराम, जयंती जगाजा, सुरेश जगन आदि यह 12-13 लोग काम करते हैं और इनकी फर्जी हाजिरी लगाई जाती है. उन्होंने लिखा है कि केरोसिन, ट्रक, जीप, लोहे का सामान, सिलेंडर, लकड़ी के जुगार और रेल इत्यादि को स्टोर करने में निजी ठेकेदारों का काम उनसे विभागीय तौर पर कराकर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जाता है. इसके साथ ही तमाम मटेरियल अवैध रूप बेच दिया जाता है.
उन्होंने लिखा है कि प्रशिक्षण में सिखाया जाता है कि चाबीवाले (कीमैन) का काम 20 स्लीपर का है, मगर यहां उससे 40 स्लीपर की ड्रेसिंग-बुकिंग, घास की सफाई और बोल्ट ग्रीसिंग इत्यादि करवाई जा रही है, जो कि अत्यंत असुरक्षित कार्य है और इस वजह से कीमैन ट्रैक की जांच ठीक तरह से नहीं कर पा रहे हैं. इसके बावजूद गैंगवालों को 15-16 घंटे काम करना पड़ता है. तथापि उन्हें प्रतिदिन कम से कम चार आरएन ज्वाइंट अनिवार्य रूप से चेक करने पड़ते हैं. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि एसएसई/पी-वे/नंदुरबार की मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए उन्हें मानवीय कार्य वातावरण उपलब्ध कराकर उनके साथ न्याय किया जाए.
भुसावल : एसएसई/पी-वे (सीपीडब्ल्यूआई) नंदुरबार के मातहत कार्यरत गैंग नं. 1 व 2 के 16 कर्मचारियों ने हस्ताक्षर करके 'रेलवे समाचार' को भेजी गई एक लिखित शिकायत में कहा है कि एसएसई द्वारा काम का बंटवारा निष्पक्ष रूप से नहीं किया जाता है. जहां गैंग नं. 1 को एक टीपी के लिए दो आदमी दिए जाते हैं, वहीं गैंग नं. 2 को तीन टीपी के लिए दो आदमी देते हैं. जबकि उनसे ट्रेक की साफ-सफाई भी जबरन करवाई जाती है. उन्होंने लिखा है कि जब काम समय पर पूरा नहीं होता तो एसएसई द्वारा उन्हें गालियां दी जाती हैं और कहा जाता है कि 'काम नहीं करना है तो नौकरी छोड़कर चले जाओ.' कई बार मारपीट भी करते हैं. उन्होंने लिखा है कि जमादार को लगातार ट्रांसफर की धमकी दी जाती है और ड्यूटी से ज्यादा समय तक काम करवाया जाता है. गैंगमैनों ने लिखा है कि एसएसई/पी-वे नंदुरबार द्वारा अपने बंगले पर ज्यादा आदमी रखे गए हैं, जिससे उन पर काम का बोझ अधिक पड़ रहा है. यदि बंगले के आदमी हटाकर काम पर लगवाये जाएं तो दोनों गैंग का बोझ काफी हलका हो सकता है.
गैंगमैनों ने लिखा है एसएसई/पी-वे/नंदुरबार द्वारा रेलवे का सामान ढोने के लिए सवारी या मालगाड़ी का उपयोग किया जाता है, परंतु इसे फर्जी तरीके से रेलवे ट्रक से ढोया दिखाकर डीजल की चोरी की जाती है और इस तरह उक्त ट्रक का इस्तेमाल निजी सामान ढोने के लिए किया जाता है. इसी तरह 8-10 लोगों की फर्जी हाजिरी लगाकर उनका उपयोग अपने निजी कामों के लिए किया जाता है. उन्होंने साफ लिखा है कि एसएसई के घर पर भारत चिंधू, रमेश नारायण, हरिशंकर वाघ, भिका रामदास, इस्तीया जूलिया, पांडुरंग धोंडे, भाईदास, पार्वतीबाई, रंगलाल, सखाराम, जयंती जगाजा, सुरेश जगन आदि यह 12-13 लोग काम करते हैं और इनकी फर्जी हाजिरी लगाई जाती है. उन्होंने लिखा है कि केरोसिन, ट्रक, जीप, लोहे का सामान, सिलेंडर, लकड़ी के जुगार और रेल इत्यादि को स्टोर करने में निजी ठेकेदारों का काम उनसे विभागीय तौर पर कराकर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाया जाता है. इसके साथ ही तमाम मटेरियल अवैध रूप बेच दिया जाता है.
उन्होंने लिखा है कि प्रशिक्षण में सिखाया जाता है कि चाबीवाले (कीमैन) का काम 20 स्लीपर का है, मगर यहां उससे 40 स्लीपर की ड्रेसिंग-बुकिंग, घास की सफाई और बोल्ट ग्रीसिंग इत्यादि करवाई जा रही है, जो कि अत्यंत असुरक्षित कार्य है और इस वजह से कीमैन ट्रैक की जांच ठीक तरह से नहीं कर पा रहे हैं. इसके बावजूद गैंगवालों को 15-16 घंटे काम करना पड़ता है. तथापि उन्हें प्रतिदिन कम से कम चार आरएन ज्वाइंट अनिवार्य रूप से चेक करने पड़ते हैं. उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि एसएसई/पी-वे/नंदुरबार की मनमानियों पर अंकुश लगाते हुए उन्हें मानवीय कार्य वातावरण उपलब्ध कराकर उनके साथ न्याय किया जाए.
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