नहीं हुआ है सिद्धू का सेवा विस्तार
मुंबई : उ.प्र. आईपीएस कैडर के श्री बी.एस. सिद्धू ने आईजी/सीएससी/आरपीएफ के तौर पर म.रे. में अपनी प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल पूरा कर लिया है, जो कि बताते हैं कि जुलाई में ही समाप्त हो गया है. बताते हैं कि उनकी प्रतिनियुक्ति को अब तक विस्तार नहीं मिला है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उनकी प्रतिनियुक्ति के विस्तार संबंधी फाइल रेलमंत्री सेल में पड़ी है. सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से सीधे उन्हें 6 महीने का विस्तार देने संबंधी संस्तुति की गई है, जबकि नियमानुसार यह संस्तुति सर्वप्रथम रेल मंत्रालय की तरफ की जानी चाहिए थी, जिस पर गृह मंत्रालय को अपनी संस्तुति देनी होती है. परंतु यह प्रॉपर चैनल इस मामले में नहीं अपनाया गया है. बताते हैं कि उन्हें वापस भेजे जाने की संस्तुति म.रे. की तरफ से की गई थी. परंतु अपने उच्च संपर्कों के माध्यम से श्री सिद्धू ने गृह मंत्रालय से अपने सेवा विस्तार संबंधी संस्तुति करा ली है. परंतु रेल मंत्रालय की तरफ से अभी तक उन्हें यह विस्तार नहीं दिया गया है. रेलवे बोर्ड के मेंबर की लापरवाही के कारण यह मामला रेलमंत्री के संज्ञान में नहीं लाया जा रहा है. इससे म.रे. आरपीएफ स्टाफ ने भारी बेचैनी नजर आ रही है. म.रे. आरीएफ स्टाफ का कहना है कि श्री सिद्धू को किसी भी स्थिति में अब आगे प्रतिनियुक्ति विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए.
म.रे. आरपीएफ एसोसिएशन में आक्रोश
श्री सिद्धू द्वारा बुरी तरह उत्पीडि़त किए गए म.रे. आरपीएफ एसोसिएशन के पदाधिकारियों और स्टाफ में इस बात को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है कि उनके कार्यालय का आवंटन रद्द करने की साजिश की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि 29 अगस्त को सीएससी श्री सिद्धू ने मुलुंड के गणेश मंदिर, जो कि भ्रष्टाचार का एक अड्डï बन गया है, के गणेशोत्सव में आकर यहां बैरक में एसोसिएशन को रेल प्रशासन द्वारा आवंटित किए गए कार्यालय के बारे में जब सिद्धू द्वारा पूछताछ की गई तो उनके एक पिट्ठू एएससी ने उन्हें गलत जानकारी देते हुए बताया कि 'कार्यालय का आवंटन नहीं है, एसोसिएशन ने जबरन वहां कब्जा किया हुआ है.' जबकि उक्त एएससी की बात को तत्काल काटते हुए वहां उपस्थित सीनियर डीएससी ने श्री सिद्धू को बताया कि एसोसिएशन को बकायदे उक्त कार्यालय का आवंटन किया गया है. तब श्री सिद्धू ने कार्यालय आवंटन संबंधी फाइल उनके समक्ष प्रस्तुत किए जाने की बात कही और साथ ही यह भी कहा कि वे उक्त आवंटन को रद्द कर देंगे.
उल्लेखनीय है कि श्री सिद्धू ने अपने इस पिट्ठू एएससी को वलसाड ट्रांसफर होने के बावजूद रोक रखा है. इसकी एसोसिएशन एवं उसके पदाधिकारी विरोधी रवैये से एसोसिएशन के लोग पहले से ही नाराज हैं, क्योंकि सीएससी ने इसी का इस्तेमाल करते हुए एसो. के दो प्रमुख पदाधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त किया है, जबकि एक अन्य मंडल पदाधिकारी का बुरी तरह उत्पीडऩ किया गया है. यहां तक कि पदाधिकारियों के ट्रांसफर न किए जाने संबंधी डीजी/बोर्ड के आदेशों पर भी अमल नहीं किया जा रहा है.
कार्यालय का आवंटन रद्द किए जाने संबंधी खबर की भनक लगते ही एसो. के महासचिव श्री एस. आर. रेड्डी ने संपर्क करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो वे महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष खुद आमरण अनशन करेंगे. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यही नहीं यदि सीएससी और उनके चमचों ने ऐसा कोई कदम उठाया तो जो आरपीएफ स्टाफ अब तक चुपचाप धैर्य रखकर उनके उत्पीडऩ को सहन कर रहा है, वह सीएससी के खिलाफ बगावत पर उतर आएगा. श्री रेड्डी ने 26/11 के आतंकी हमले और उसमें सीएससी कार्यालय के नीचे ही मारे गए 57 निर्दोष यात्रियों की अकाल मौत के लिए सीएससी को सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि सीएससी में तनिक भी स्वाभिमान बचा हो तो उन्हें आईपीएस से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
मुंबई : उ.प्र. आईपीएस कैडर के श्री बी.एस. सिद्धू ने आईजी/सीएससी/आरपीएफ के तौर पर म.रे. में अपनी प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल पूरा कर लिया है, जो कि बताते हैं कि जुलाई में ही समाप्त हो गया है. बताते हैं कि उनकी प्रतिनियुक्ति को अब तक विस्तार नहीं मिला है. प्राप्त जानकारी के अनुसार उनकी प्रतिनियुक्ति के विस्तार संबंधी फाइल रेलमंत्री सेल में पड़ी है. सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से सीधे उन्हें 6 महीने का विस्तार देने संबंधी संस्तुति की गई है, जबकि नियमानुसार यह संस्तुति सर्वप्रथम रेल मंत्रालय की तरफ की जानी चाहिए थी, जिस पर गृह मंत्रालय को अपनी संस्तुति देनी होती है. परंतु यह प्रॉपर चैनल इस मामले में नहीं अपनाया गया है. बताते हैं कि उन्हें वापस भेजे जाने की संस्तुति म.रे. की तरफ से की गई थी. परंतु अपने उच्च संपर्कों के माध्यम से श्री सिद्धू ने गृह मंत्रालय से अपने सेवा विस्तार संबंधी संस्तुति करा ली है. परंतु रेल मंत्रालय की तरफ से अभी तक उन्हें यह विस्तार नहीं दिया गया है. रेलवे बोर्ड के मेंबर की लापरवाही के कारण यह मामला रेलमंत्री के संज्ञान में नहीं लाया जा रहा है. इससे म.रे. आरपीएफ स्टाफ ने भारी बेचैनी नजर आ रही है. म.रे. आरीएफ स्टाफ का कहना है कि श्री सिद्धू को किसी भी स्थिति में अब आगे प्रतिनियुक्ति विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए.
म.रे. आरपीएफ एसोसिएशन में आक्रोश
श्री सिद्धू द्वारा बुरी तरह उत्पीडि़त किए गए म.रे. आरपीएफ एसोसिएशन के पदाधिकारियों और स्टाफ में इस बात को लेकर भारी आक्रोश व्याप्त है कि उनके कार्यालय का आवंटन रद्द करने की साजिश की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि 29 अगस्त को सीएससी श्री सिद्धू ने मुलुंड के गणेश मंदिर, जो कि भ्रष्टाचार का एक अड्डï बन गया है, के गणेशोत्सव में आकर यहां बैरक में एसोसिएशन को रेल प्रशासन द्वारा आवंटित किए गए कार्यालय के बारे में जब सिद्धू द्वारा पूछताछ की गई तो उनके एक पिट्ठू एएससी ने उन्हें गलत जानकारी देते हुए बताया कि 'कार्यालय का आवंटन नहीं है, एसोसिएशन ने जबरन वहां कब्जा किया हुआ है.' जबकि उक्त एएससी की बात को तत्काल काटते हुए वहां उपस्थित सीनियर डीएससी ने श्री सिद्धू को बताया कि एसोसिएशन को बकायदे उक्त कार्यालय का आवंटन किया गया है. तब श्री सिद्धू ने कार्यालय आवंटन संबंधी फाइल उनके समक्ष प्रस्तुत किए जाने की बात कही और साथ ही यह भी कहा कि वे उक्त आवंटन को रद्द कर देंगे.
उल्लेखनीय है कि श्री सिद्धू ने अपने इस पिट्ठू एएससी को वलसाड ट्रांसफर होने के बावजूद रोक रखा है. इसकी एसोसिएशन एवं उसके पदाधिकारी विरोधी रवैये से एसोसिएशन के लोग पहले से ही नाराज हैं, क्योंकि सीएससी ने इसी का इस्तेमाल करते हुए एसो. के दो प्रमुख पदाधिकारियों को नौकरी से बर्खास्त किया है, जबकि एक अन्य मंडल पदाधिकारी का बुरी तरह उत्पीडऩ किया गया है. यहां तक कि पदाधिकारियों के ट्रांसफर न किए जाने संबंधी डीजी/बोर्ड के आदेशों पर भी अमल नहीं किया जा रहा है.
कार्यालय का आवंटन रद्द किए जाने संबंधी खबर की भनक लगते ही एसो. के महासचिव श्री एस. आर. रेड्डी ने संपर्क करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि ऐसा होता है तो वे महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष खुद आमरण अनशन करेंगे. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यही नहीं यदि सीएससी और उनके चमचों ने ऐसा कोई कदम उठाया तो जो आरपीएफ स्टाफ अब तक चुपचाप धैर्य रखकर उनके उत्पीडऩ को सहन कर रहा है, वह सीएससी के खिलाफ बगावत पर उतर आएगा. श्री रेड्डी ने 26/11 के आतंकी हमले और उसमें सीएससी कार्यालय के नीचे ही मारे गए 57 निर्दोष यात्रियों की अकाल मौत के लिए सीएससी को सीधे जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यदि सीएससी में तनिक भी स्वाभिमान बचा हो तो उन्हें आईपीएस से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
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