Friday, 4 September 2009

ए. के. दत्त के ईडी/वी/इले. बनने से
नहीं पूरी हुई पूर्व एम् एल की मंशा
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नयी दिल्ली : लंबे अर्से से खाली पड़ी एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर/विजिलेंस/इलेक्ट्रिकल (ईडी/वी/इले.) की पोस्ट पर डीआरएम/रांची श्री ए. के. दत्त की नियुक्ति कर दी गई है. बोर्ड सूत्रों का कहना है कि पूर्व मेंबर इलेक्ट्रिकल इस पद पर अपने एक खास चहेते अधिकारी को इसलिए बैठाना चाहते थे जिससे उनके रिटायरमेंट के बाद भी उनकी तमाम काली-करतूतों पर हमेशा के लिए पर्दा पड़ा रहे. इसलिए उन्होंने जानबूझकर इस पद पर नियुक्ति को क्लीयरेंस देने से रोक रखा था.
ज्ञातव्य है कि करीब तीन महीने पहले डीआरएम/रांची का कार्यकाल पूरा करने के बाद स्पेयर हुए श्री दत्त इतने लंबे अर्से से अपनी पोस्टिंग के लिए इधर-उधर भटक रहे थे. यही स्थिति अन्य बिजली अधिकारियों की भी थी. जैसे जे.एन. लाल, उन्हें भी 3-4 महीने छुट्टïी पर रखकर आखिर में इरीन/नासिक में पोस्टिंग दी गई. पूर्व एमएल के कार्यकाल में एक अंदरूनी बात से लगभग सभी वाकिफ रहे हैं कि विद्युत विभाग में कोई भी प्रमोशन/पोस्टिंग बिना लेन-देन के संभव नहीं थी. इसी वजह से श्री ए. के. दत्त एवं श्री जे. एन. लाल जैसे ईमानदार विद्युत अधिकारी महीनों तक बिना वाजिब पोस्टिंग के इधर-उधर भटकते रहे और उन्हें पोस्टिंग में साइड लाइन करने की पूरी कोशिश हुई.
बताते हैं कि विद्युत विभाग में पूरे. भा.रे. में कुल 36 एसएजी स्तर के अधिकारी एक्सेस चल रहे हैं और उनको समाहित करने के लिए लगभग प्रत्येक रेलवे में 'म्युजिकल चेयर सिस्टमÓ चल रहा है, जिसके तहत एक-एक को छुट्टïी पर भेजकर एडजस्ट किया जा रहा है. इस एडजस्टमेंट में भी भेदभाव और लेन-देन किया जाता रहा है क्योंकि किसी को 15 दिन तो किसी को दो-दो महीने अपनी छुट्टïी पर रहने के लिए कहा गया. सूत्रों का कहना है कि यही स्थिति लगभग सभी रेलों में और सभी कैडरों में है. जेए ग्रेड की स्थिति तो और भी ज्यादा खराब हो रही है.
अधिकारियों को जल्दी प्रमोशन मिलने से यह स्थिति और ज्यादा खतरनाक हो रही है. इधर उ.रे. में यही स्थिति है. यहां जेएजी और एसएजी दोनों में महाप्रबंधक के हस्तक्षेप से अधिकारियों में काफी असंतोष है. खासतौर पर ट्रैफिक अधिकारियों (आईआरटीएस) में यह असंतोष ज्यादा दिखाई दे रहा है, क्योंकि इसी कैडर में महाप्रबंधक की सबसे ज्यादा दखलंदाजी है, क्योंकि वह भी इसी से हैं. इसीलिए वह इस कैडर में एकाध अधिकारी को छोड़कर (जिससे पार न पाने की उन्हें आशंका रहती है) बाकी सभी को परेशान करने पर महाप्रबंधक का पूरा ध्यान लगा रहता है. ऐसे अधिकारियों का आक्रोशपूर्ण स्वर में कहना है कि ऐसे तथाकथित ईमानदार मगर बेईमान मानसिकता वाले अकर्मण्य लोगों से इस व्यवस्था को कब छुटकारा मिलेगा, यह तो सिर्फ ईश्वर ही जानता है.

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