Friday, 4 September 2009

सेवा में,

आदरणीया सुश्री ममता बनर्जी
माननीय रेल मंत्री, भारत सरकार,
रेल मंत्रालय, रेल भवन,
नयी दिल्ली - ११०००१.

विषय : सीनियर डीसीएम/चेन्नई पर सीबीआई का छापा, द.रे. के सीसीएम, सीसीएम/ पीएस, डीआरएम और सीनियर डीसीएम/चेन्नई को तुरंत एनएफआर ट्रांसफर करके निलंबित किया जाना चाहिए.

महोदया,

मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ की गत 20 अगस्त को कोलकाता में रेलवे बोर्ड एवार्ड वितरण समारोह में आपने अपने संबोधन के दौरान कम से कम तीन बार इस बात को दोहराया था कि "भ्रष्टाचार को सख्ती से रोका जाना चाहिए और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए तथा भ्रष्टाचार को उजागर करने वालों अथवा इसकी जानकारी/सूचना मुहैया कराने वालों को सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाना चाहिए." इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इससे भी गहरे विचार भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यक्त किए हैं. आपके और प्रधानमंत्री जी के इस सुविचारित संबोधन के परिप्रेक्ष्य में यहां सर्वप्रथम मैं एक अत्यंत गंभीर मामला आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ जिस पर तुंरत कार्यवाही की जानी आवश्यक है तभी भ्रष्टाचार पर कुछ लगाम लगाई जा सकती है.

महोदया, तथापि यह सर्वज्ञात है कि अपने निदंक या दुश्मन को सम्मानित करने की सहृदय परंपरा इस देश में नहीं बची है. परंतु आपसे उम्मीद की जाती है कि आपने जो विचार व्यक्त किए हैं, उनका सम्मान सबसे पहले आपसे ही रखे जाने की अपेक्षा है और बाद में रेल प्रशासन से भी यही अपेक्षा है कि वह अपने मंत्री की भावना का सम्मान करेगा. उल्लेखनीय है कि इस परिप्रेक्ष्य में सर्वप्रथम 'रेलवे समाचार' ने ही आपके सहित सीवीसी, सीबीआई और रे.बो. विजिलेंस को एक विस्तृत तथ्यों वाला पत्र 'ईमानदार महिला अधिकारी श्रीमती मनीषा चटर्जी को सीनियर डीसीएम/चेन्नई के पद से अकारण और कार्यकाल पूरा हुए बिना ही हटाये जाने तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिए जाने के संबंध में' विषय के अंतर्गत 5 अगस्त 09 को फैक्स, डाक और ईमेल के जरिए भेजा था. आप सभी को अलग-अलग संबोधित यह पत्र आज भी 'रेलवे समाचार' की वेबसाइट www.railsamachar.com पर पढ़ा जा सकता है.

महोदया, इसी पत्र के आधार पर चेन्नई सीबीआई ने वर्तमान सीनियर डीसीएम/चेन्नई मंडल श्री येशुरत्नम के घर और कार्यालय में शनिवार, 22 अगस्त को अचानक छापा मारकर तमाम संदिग्ध चीजें बरामद की हैं. सीबीआई सूत्रों का कहना है कि पूछताछ और अपने बयान में श्री येशुरत्नम ने जो जानकारी सीबीआई को दी है, उससे उनके साथ सीसीएम/द.रे. श्री नारायणदास और सीसीएम/पीएस श्री शेखरन सहित डीआरएम/चेन्नई श्री एस. के. कुलश्रेष्ठ की भी भ्रष्टाचार में संलिप्तता उजागर हो गई है. प्राप्त जानकारी के अनुसार श्री येशुरत्नम ने अपने बयान में कहा है कि ''वह निर्दोष हैं क्योंकि वह सिर्फ अपने सीनियर्स यानी उपरोक्त अधिकारियों के ऑर्डर्स को फालो कर रहे थे. उन्होंने जो कुछ भी किया है वह सीसीएम, सीसीएम/पीएस और डीआरएम के आदेशानुसार ही किया है."

महोदया, इन तीनों 'महान' रेल अधिकारियों का विगत सर्विस रिकार्ड इस प्रकार है.

1. श्री नारायणदास, सीसीएम/द.रे. : यह महाशय हुबली में भी सीसीएम/द.प.रे. थे, जहां से उन्हें आयरन ओर लोडिंग कंपनियों को फेवर करने के भ्रष्टाचार के मामले में हटाया गया था और वहां से उन्हें जबलपुर में सीसीएम/प.म.रे. बनाया गया था. वहां भी इन्होंने सीमेंट कंपनियों को फ्रेट कंसेशन और फेवर तथा 'इंजन ऑन लोड स्कीम' के जरिए निजी कंपनियों को करोड़ों का लाभ देकर उनका और अपना खूब भला किया था. ऐसे अनेकों मामले आज भी प.म.रे. को भुगतने पड़ रहे हैं. प.म.रे. से यह सीधे द.म.रे. सिकंदाराबाद जाना चाहते थे, परंतु इन्हें वहां न भेजकर जबलपुर से सीधे द.रे. चेन्नई में भेजा गया. चेन्नई पहुंचकर भी श्री नारायण दास ने वहां भी अपना बाजार खोल दिया है. चेन्नई से यह हर हफ्ते हैदराबाद जाते हैं और इसके लिए बाकायदे लाइन प्रोग्राम बनाया जाता है तथा सैलून सजाया जाता है, क्योंकि हफ्ते भर की 'कमाई' को सैलून के जरिए ही हैदराबाद शिफ्ट किया जाता है. आजकल हैदराबाद में श्री नारायणदास का मकान बन रहा है. उसके लिए जरूरी मटीरियल भी सैलून से ढोया जाता है. इसके लिए चेन्नई का एक वाणिज्य निरीक्षक मरियप्पन हमेशा उनके साथ जाता है, जबकि स्थानीय स्तर पर द.म.रे. का भी एक वाणिज्य निरीक्षक मनोहरन उनके साथ लगाया जाता है. द.रे. के वरिष्ठ वाणिज्य अधिकारियों का कहना है कि यह दोनों वाणिज्य निरीक्षक श्री नारायण दास के 'कलेक्शन एजेंट' हैं.

2. श्री शेखरन, सीसीएम/पीएस/द.रे. : भारी भ्रष्टाचार के लिए सुविख्यात यह महाशय पिछले करीब 20-25 साल से चेन्नई, द.रे. में ही लगातार विराजमान हैं और कई विजिलेंस मामलों में भ्रष्टाचार के लिए चार्जशीटेड हैं. प्रमाणित भ्रष्टाचार के मामलों में चार्जशीटेड होने के बावजूद इन्हें सीसीएम/पीएस जैसी संवेदनशील पोस्ट पर बैठाया गया है. जबकि ऐसी स्थिति में उन्हें किसी भी संवेदनशील पोस्ट पर पदस्थ ही नहीं किया जाना चाहिए था. स्थानीय अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक अनधिकृत कैटरिंग और कई अधिकृत स्टालों में इनकी बेनामी भागीदारी बताई गई है. भ्रष्टाचार के अनगिनत मामलों में लिप्त होने के बावजूद यह जब-तब प्रशासन को वीआरएस ले लेने की धमकी देते रहते हैं क्योंकि इन्हें बखूबी मालूम है कि चार्जशीटों के चलते प्रशासन उनकी वीआरएस को मंजूर नहीं कर सकता है. एक ताजा मामले में इनके खिलाफ सीवीसी की एक चार्जशीट फाइनल स्टेज पर है, जिसमें सीवीसी ने इन्हें स्टिफ मेजर पेनाल्टी दिए जाने की संस्तुति की है.

3. श्री एस. के. कुलश्रेष्ठ, डीआरएम/चेन्नई/द.रे. : श्री कुलश्रेष्ठ हालांकि खुद एक निरीह प्राणी हैं, मगर सुविधा किसे अच्छी नहीं लगती. अपने लिए न सही अपनी पत्नी के लिए आने-जाने की एयर टिकटों और बंगलोर की पैलेस ऑन व्हील की फ्री टिकट की मांग से अन्य ब्रांच अफसर इनसे काफी तंग रहते हैं. पूर्व सीनियर डीसीएम श्रीमती मनीषा चटर्जी द्वारा जारी ज्वाइंट प्रोसीजर ऑर्डर्स (जेपीओ) को रद्द करके पुराने लिनन/कैटरिंग ठेकेदारों को गैरकानूनी तरीके से एक्सटेंशन देकर फायदा पहुंचाने के लिए सीसीएम श्री कुलश्रेष्ठ के साथ-साथ श्री कुलश्रेष्ठ को भी मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जा रहा है.

4. श्री येशुरत्नम, सीनियर डीसीएम/चेन्नई मंडल/द.रे. : शनिवार 22 अगस्त को एक छापे में धरे गए चापलूसी, चालकी और गुलामों की तरह फर्माबरदारी के लिए जाने-जाने वाले श्री येशुरत्नम वास्तव में उपरोक्त तीनों वरिष्ठ अधिकारियों का मोहरा बने हैं और उन्होंने अपने बयान में सीबीआई को उनके नाम सहित काफी हकीकत बयान की है.

महोदया, उपरोक्त तमाम वस्तुस्थिति को ध्यान में रखते हुए आपको चाहिए कि इन चारों अधिकारियों को सर्वप्रथम द.रे. से तुरंत हटाकर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में पदस्थ करें और उसके बाद इन्हें निलंबित किया जाए, फिर तसल्ली से इनके खिलाफ जांच को पूरा किया जाए. इस प्रकार ये द.रे. में रह कर फाइलों से न तो छेड़छाड़ कर पाएंगे और न ही उन्हें गायब करने की स्थिति में होंगे और न ही जांच को किसी प्रकार प्रभावित कर पाएंगे. तभी आपकी और प्रधानमंत्री जी की भ्रष्टाचार के खिलाफ लडऩे की महत्वपूर्ण घोषणा सार्थक हो पाएगी. अन्यथा जो चल रहा है, चलता रहेगा. 'बड़ी मछलियां' साफ बचती रहेंगी और छोटी मछलियां उनकी एवं जांच एजेंसियों का शिकार बनती रहेंगी. क्योंकि सिर्फ सीबीआई का ही काम भ्रष्टाचार रोकना नहीं है. इसमें जब तक विभागीय मंत्री का सक्रिय सहयोग सीबीआई को नहीं मिलेगा, तब तक ऐसे छापों और सतर्कता अभियानों तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ बयानबाजी का कोई मतलब नहीं है.

धन्यवाद्

आपका शुभचिन्तक
सुरेश त्रिपाठी
सम्पादक
'रेलवे समाचार'
कल्याण, मुंबई
मो. नंबर 09869256875.

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