एडीसी के खिलाफ कार्रवाई न होने से स्टाफ में भ्रम की स्थिति
कोटा : पश्चिम मध्य रेलवे, कोटा मंडल के सहायक मंडल खजांची (एडीसी) के खिलाफ पिछले पांच महीनों से कोई कार्रवाई न होने से यहां स्टाफ में भ्रम और प्रशासन एवं सतर्कता संगठन के प्रति अविश्वास की स्थिति बन गई है. ज्ञातव्य है कि 30 मार्च 09 को रात 23.42 बजे रे.बो. विजिलेंस के चार इंस्पेक्टरों ने एडीसी/कोटा श्री एल. के. तिवारी के कार्यालय में छापा मारकर उनके पास से कुल 10,100 रु. कैश बॉक्स के नीचे से अनएकाउंटेड बरामद किए थे. यह बरामद राशि तत्काल कोटा स्टेशन कोचिंग में एमआर नं. ए 99361201 के तहत जमा कराई गई थी. इसकी विटनेस के लिए डीएफएम/कोटा श्री अशोक सारस्वत को बुलाया गया था. इतना गंभीर मामला होने के बाजवूद श्री तिवारी को न तो तत्काल सस्पेंड किया गया और न ही आज तक उन्हें कोटा से बाहर ट्रांसफर किया गया.
जबकि बताते हैं कि एक ऐसे ही मामले में प.म.रे. भोपाल मंडल के कैशियर (खजांची) श्री शशिधरन के पास से जब मात्र 100 रु. एक्सेस बरामद हुए थे, तो उन्हें न सिर्फ तत्काल सस्पेंड किया गया था बल्कि 15-20 सस्पेंशन के बाद उन्हें तुरंत भोपाल से कटनी ट्रांसफर कर दिया गया था. जबकि एडीसी/कोटा श्री तिवारी का मामला श्री शशिधरन से कई गुना ज्यादा गंभीर होने के बावजूद न तो उन्हें सस्पेंड किया गया और न ही उनका कोटा से बाहर ट्रांसफर हुआ. इससे अन्य स्टाफ में भयानक भ्रम की स्थिति बनी हुई है. श्री तिवारी से त्रस्त स्टाफ ने 'रेलवे समाचार' को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की विसंगतिपूर्ण कार्यप्रणाली से स्टाफ में प्रशासन एवं विजिलेंस के प्रति विश्वसनीयता में कमी आई है. 'रेलवे समाचार' ने यह मामला रे.बो. विजिलेंस के ध्यान में ला दिया है और बोर्ड विजिलेंस ने इस पर तत्काल कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया है.
कोटा : पश्चिम मध्य रेलवे, कोटा मंडल के सहायक मंडल खजांची (एडीसी) के खिलाफ पिछले पांच महीनों से कोई कार्रवाई न होने से यहां स्टाफ में भ्रम और प्रशासन एवं सतर्कता संगठन के प्रति अविश्वास की स्थिति बन गई है. ज्ञातव्य है कि 30 मार्च 09 को रात 23.42 बजे रे.बो. विजिलेंस के चार इंस्पेक्टरों ने एडीसी/कोटा श्री एल. के. तिवारी के कार्यालय में छापा मारकर उनके पास से कुल 10,100 रु. कैश बॉक्स के नीचे से अनएकाउंटेड बरामद किए थे. यह बरामद राशि तत्काल कोटा स्टेशन कोचिंग में एमआर नं. ए 99361201 के तहत जमा कराई गई थी. इसकी विटनेस के लिए डीएफएम/कोटा श्री अशोक सारस्वत को बुलाया गया था. इतना गंभीर मामला होने के बाजवूद श्री तिवारी को न तो तत्काल सस्पेंड किया गया और न ही आज तक उन्हें कोटा से बाहर ट्रांसफर किया गया.
जबकि बताते हैं कि एक ऐसे ही मामले में प.म.रे. भोपाल मंडल के कैशियर (खजांची) श्री शशिधरन के पास से जब मात्र 100 रु. एक्सेस बरामद हुए थे, तो उन्हें न सिर्फ तत्काल सस्पेंड किया गया था बल्कि 15-20 सस्पेंशन के बाद उन्हें तुरंत भोपाल से कटनी ट्रांसफर कर दिया गया था. जबकि एडीसी/कोटा श्री तिवारी का मामला श्री शशिधरन से कई गुना ज्यादा गंभीर होने के बावजूद न तो उन्हें सस्पेंड किया गया और न ही उनका कोटा से बाहर ट्रांसफर हुआ. इससे अन्य स्टाफ में भयानक भ्रम की स्थिति बनी हुई है. श्री तिवारी से त्रस्त स्टाफ ने 'रेलवे समाचार' को भेजी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह की विसंगतिपूर्ण कार्यप्रणाली से स्टाफ में प्रशासन एवं विजिलेंस के प्रति विश्वसनीयता में कमी आई है. 'रेलवे समाचार' ने यह मामला रे.बो. विजिलेंस के ध्यान में ला दिया है और बोर्ड विजिलेंस ने इस पर तत्काल कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया है.
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