Saturday 19 December, 2009

लीना इलेक्ट्रो मेकेनिकल पर तीन साल की पाबंदी

मुंबई : म.रे. की इलेक्ट्रिकल कांट्रैक्टर फर्म लीना इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रा. लि. (पूर्व नाम लीना पाबर टेक इंजीनियर्स प्रा. लि.) पर रेलवे बोर्ड ने अगले तीन साल तक की पाबंदी लगी दी है. इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने दि. 4.12.2009 को पत्र सं. 2009/आरई/240/1 के तहत जारी आदेश में कहा है कि तमाम सबूतों के मद्देनजर उक्त फर्म को तुरंत प्रभाव से तीन साल के लिए बैन (पाबंदी) किया जाता है और इस दरम्यान यह फर्म भा. रे. के अंतर्गत
आने वाले किसी भी जोन, उत्पादन इकाई, सरकारी उपक्रम और निर्माण संगठन आदि में किसी भी प्रकार का निविदा कार्य नहीं कर सकती है. बोर्ड के पत्र, जिसकी एक प्रति 'रेलवे समाचार' के पास सुरक्षित है, के अनुसार उक्त फर्म ने गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (गेल) का एक फर्जी क्रेडेंशियल (पत्र सं. गेल/एलईई/सीसी/02-03/1269, दि. 26.12.2002) का इस्तेमाल टेंडर नं. एमटीपी/बीआर/ईएल/01/2005, दि. 4.2.05 में किया था. जिसके तहत म.रे. के कलवा कारशेड में 1500 वी डीसी/25 केवी एसी ड्वेल वोल्टेज टेस्ट लाइन के लिए 22 केवी/27 केवी, 2 एमवीए ट्रांसफार्मर सहित एसोसिएटेड स्विच गियर और फीडिंग अरेंजमेंट की सप्लाई, इरेक्शन, टेस्टिंग
और कमिश्निंग हेतु किया था. परंतु जांच में गेल अधिकारियों ने लीना इलेक्ट्रो को ऐसा कोई सर्टिफिकेट जारी किए जाने से साफ इंकार कर दिया.

यहां तक कि गेल के जिस प्रोजेक्ट मैनेजर श्री एन. के. छाबड़ा के हस्ताक्षर से यह सर्टिफिकेट जिस समय जारी किया गया बताया गया था, उस समय (दि. 26.12.2002) से काफी पहले (दि. 22.5.02) श्री छाबड़ा वहां से ट्रांसफर होकर अन्य यूनिट में चले गए थे. पत्र के अनुसार अपने जवाब में लीना इलेक्ट्रो ने कहा था कि यह सर्टिफिकेट डिप्टी सीईई/एमटीपी की मांग पर प्रस्तुत किया गया था और संबंधित टेंडर उसे गेल के इस सर्टिफिकेट के आधार पर नहीं आबंटित किया गया था. परंतु जांच के दौरान यह सही नहीं पाया गया. तथापि बोर्ड की यह पाबंदी अधूरी है, क्योंकि इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि इस फर्म के जो 4-5 टेंडर जारी हं उनका क्या किया जाएगा, जिनकी कुल लागत करीब 30-35 करोड़ है और इनमें से अब तक मात्र 4-5 करोड़ के ही काम इस फर्म ने किए हैं. इसका मतलब यह होगा कि जारी टेंडर पूरा करने में फर्म को ढ़ाई-तीन साल का समय लग जाएगा, तो बोर्ड की इस पाबंदी का क्या मतलब रह जाएगा?

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