Saturday 26 December, 2009

'बिरादरी' की योजना-विजिलेंस क्लियरेंस
से पहले रेलमंत्री का अप्रूवल लेने कोशिश

'सब्जेक्ट टू विजिलेंस क्लियरेंस'
लिखकर प्रधानमंत्री ने फ़ाइल वापस भेजी

नयी दिल्ली : विवेक सहाय की आशा-प्रत्याशा आजकल एकदम चरम पर है, क्योंकि सूत्रों का कहना है कि बुधवार, २४ दिसंबर को जब से एमटी की फ़ाइल पीएमओ से वापस आई है और उन्हें यह पता चला है कि प्रधानमंत्री ने उस पर क्या लिखकर भेजा है, तब से वह नई जुगत भिड़ाने में लग गए हैंसूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि उक्त फ़ाइल को तुरंत रेलमंत्री के अप्रूवल हेतु दूसरे ही दिन गुरुवार को कोलकाता भेजवा दिया गया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार एमटी की फ़ाइल पर प्रधानमंत्री ने 'सब्जेक्ट टू विजिलेंस क्लियरेंस' लिखकर भेजा हैक्योंकि श्री सहाय को विजिलेंस क्लियरेंस नहीं मिला हैहालांकि सूत्रों का कहना है कि दिसंबर को बोर्ड का विजिलेंस क्लियरेंस मिलने के बाद जब उक्त फ़ाइल पीएमओ को शुक्रवार, ११ दिसंबर को जब रात .३० बजे भेजी गई थी तब भी सीवीसी का विजिलेंस क्लियरेंस नहीं था.

उल्लेखनीय
है कि 'बिरादरी' का यह चक्र कुछ इतनी तेजी से घूमा है कि इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिसंबर को रेलवे बोर्ड विजिलेंस ने अपने तौर पर विवेक सहाय को विजिलेंस क्लियरेंस दिया और दिसंबर को श्रीप्रकाश ने एमटी पद से वीआरएस ले लिया, १० दिसंबर को तेजी से कार्यवाही करते हुए ११ दिसंबर को उक्त फ़ाइल शाम .३० बजे पीएमओ को भेज दी गई थीऔर अब जब यह फ़ाइल बुधवार, २४ दिसंबर की शाम को आई तब इसे दूसरे ही दिन एमआर के हस्ताक्षर हेतु तुरंत कोलकाता के लिए भी रवाना कर दिया गया है जबकि प्रधानमंत्री के कहे अनुसार पहले सीवीसी का विजिलेंस क्लियरेंस लिया जाना चाहिए था

इस प्रकार सारे नियमों और परम्पराओं को ताक़ पर रखकर तथा रेलमंत्री को गुमराह करके यह 'बिरादरी लाबी' सारी व्यवस्था ( सिस्टम ) को तोड़ - मरोड़कर सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैयही नहीं सूत्रों को तो इस बात की भी आशंका है कि यह 'बिरादरी' बोर्ड को यह बदमाशी भी करने के लिए तैयार कर रही है कि सीवीसी को अब पूछा ही जायेहालांकि दूसरी तरफ कुछ अन्य सूत्रों का यह कहना है कि "इस 'बिरादरी' की चाल यह है कि पहले रेलमंत्री का अप्रूवल ले लिया जाये और जनवरी को सीवीसी प्रत्युष सिन्हा के ड्यूटी पर वापस आते ही हाथों - हाथ उनसे विजिलेंस क्लियरेंस भी लेकर तुरंत उसी दिन श्री सहाय को एमटी बनाने के आदेश भी निकाल दिए जाएँ।"

सूत्रों
ने आशंका जाहिर की है कि यदि वास्तव में ऐसा होता है तो यह संपूर्ण व्यवस्था की एक जबरदस्त हार होगी और ईमानदार एवं कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों का बचा - खुचा विश्वास भी इस व्यवस्था से उठ जायेगातथापि सूत्रों ने यह भी आशंका जाहिर कि है कि औपचारिकता के लिए ही सही, यदि सीवीसी को पूछा भी जाता है तो 'बिरादरी' के नाते सीवीसी प्रत्युष सिन्हा - अपने 'बिरादर' विवेक सहाय को विजिलेंस क्लियरेंस देने में तनिक भी देर नहीं लगायेंगेअब आगे देखते हैं कि मंगलवार, २९ दिसंबर को इस 'बिरादरी' का ऊँट किस करवट बैठता है...?

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