Wednesday 9 December, 2009

आरपीएफ की अवैध वसूली

कुर्ला टर्मिनस पर सीबीआई का छापा, 9 गिरफ्तार

मुंबई : रेल यात्रियों में सबसे अधिक बदनाम हो चुके लोकमान्य तिलक टर्मिनस (कुर्ला टर्मिनस-एलटीटी) पर गुरुवार, 19 नवंबर को सीबीआई ने पूरे योजनाबद्ध तरीके से घात लगाकर अनारक्षित कोच के यात्रियों से अवैध वसूली करते हुए आरपीएफ के 9 लोगों को धर दबोचा. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई के संयुक्त निदेशक ऋषिराज सिंह इंजीनियरिंग एवं मैनेजेरियल विवेकानंद कॉलेज, चेंबूर में जब भ्रष्टाचार के खिलाफ जब एक लेक्चर देने गए थे तो वहां के छात्रों ने उनसे सवाल उठाया था कि सीबीआई रेलवे प्लेटफार्मों पर आरपीएफ द्वारा अनारक्षित कोचों में बैठने के लिए गरीब यात्रियों से की जाने वाली अवैध वसूली के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती है?

बताते हैं कि इसी के बाद श्री सिंह ने अपने मातहतों को इस तरह की अवैध वसूली करने वालों को रंगे हाथ पकडऩे की तैयारी करने को कहा. सीबीआई स्टाफ सामान्य यात्रियों की वेशभूषा में सामान के साथ अनारक्षित कोचों में चढऩे के लिए लगी लाइनों में लग गया. उन्होंने देखा कि आरपीएफ वाले लाइन में लगे प्रत्येक यात्री से 100-100 रु. की वसूली कर रहे थे. इसी वसूली में जब लाइन में लगे एक सीबीआई स्टाफ से भी आरपीएफ कांस्टेबल योगेन्द्र सिंह सुमन ने 100 रु. की मांग की तो उसने जैसे ही अपना परिचय देते हुए सुमन को पकडऩे की कोशिश की तो वह ट्रैक पार करके भाग खड़ा हुआ. काफी मशक्कत और दूर तक दौड़ाने के बाद सुमन को अंतत: सीबीआई वालों ने धर दबोचा.

इसके बाद हुई कार्रवाई में आठ अन्य आरपीएफ वालों को पकड़ा गया. इनमें एसआई . निरंजन, एएसआई जी. एल. वानखेड़े, हेड कांस्टेबल आर. . यादव, कांस्टेबल आर. के. गांगले, बबन तावड़े, आर. के. साहनी और एम. आर. पाटील शामिल हैं. इन्हें 25 नवंबर तक सीबीआई की हिरासत में भेजा गया था. २५ नवंबर को पुन: कोर्ट में हाजिर किए जाने पर हेड कांस्टे. आर. . यादव को छोड़कर बाकी आठ लोगों की जमानत हो गई है, जो कि फिलहाल निलंबित कर दिए गए हैं

सीबीआई टीम में 60 अधिकारी, दो शिकायतकर्ता और चार निष्पक्ष गवाह शामिल थे. सीबीआई को पता चला है कि दो शिफ्टों में 20-20 के ग्रुप में आरपीएफ वाले एलटीटी से छूटने वाली मुख्यत: उत्तर भारत को जाने वाली और सर्वाधिक भीड़भाड़ वाली कुशीनगर एक्स., महानगरी एक्स., शालीमार एक्स., पटना एक्स., काशी एक्स., रत्नागिरी एक्स., गोदान एक्स., गुवाहाटी एक्स., हटिया एक्स., साकेत एक्स., तुलसी एक्स., वाराणसी एक्स., गोरखपुर एक्स., पवन एक्स., भागलपुर एक्स., छपरा एक्स., मुजफ्फरपुर एक्स., दरभंगा एक्स., कामायनी एक्स., जनसाधारण एक्स., रांची एक्स., लखनऊ एक्स., कानपुर एक्स., हावड़ा समरसता एक्स., आदि ट्रेनों के अनारक्षित कोचों में चढऩे के लिए लाइन में लगे सामान्य टिकट धारी यात्रियों से प्रति यात्री 100-100 रु. की अवैध
वसूली करते थे.

इन ट्रेनों में हमेशा भारी भीड़ होती है. जिसका फायदा लाइन बंदोबस्त में लगे आरपीएफ वाले सीट दिलाने के नाम पर जमकर उठाते हैं. 20-20 के ग्रुप में काम करने वाले दोनों ग्रुपों के आरपीएफ वालों की ड्यूटी 15-15 दिन में इस वसूली के लिए लगाई जाती थी. जो यात्री आरपीएफ वालों को 100 रु. देते थे उन्हें अलग लाइन में खड़ा किया जाता था. 100 रु. से ज्यादा 150-200 रु. देने वालों को लाइन में सबसे आगे खड़ा करते थे और उनकी सीट मिलना तय होता था. परंतु जो यात्री पैसा नहीं दे पाते थे, उन्हें सिर्फ धकियाया जाता था बल्कि उन्हें भद्दी और गंदी-गंदी गालियां भी सुननी पड़ती थीं. यहां तक कि यदि किसी यात्री ने इस धांधली का विरोध करने की कोशिश भी की तो उसे मारपीट कर भगा देते थे और गाड़ी में चढऩे नहीं देते थे. सिर्फ कुर्ला टर्मिनस में यह अवैध वसूली प्रतिदिन करीब डेढ़ से दो लाख रु. और मासिक लगभग 45 लाख रु. की होने का आकलन सीबीआई अधिकारियों ने किया है.

सीबीआई के संयुक्त निदेशक ऋषिराज सिंह ने बताया कि विवेकानंद कॉलेज, चेंबूर के छात्रों द्वारा मिली शिकायत के बाद उन्होंने मुंबई के विभिन्न कॉलेजों के छात्रों की बीच इस शिकायत की पुष्टि करवाई थी. उनमें से अधिकांश छात्रों ने कुर्ला टर्मिनस, बांद्रा टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, दादर और कल्याण आदि बड़े रेलवे स्टेशनों पर आरपीएफ द्वारा की जाने वाली इस तरह की अवैध वसूली को सही बताते हुए शिकायत की पुष्टि की थी. उन्होंने बताया कि इसी के बाद उन्होंने इस मामले की छानबीन करने का निर्णय लिया था. एसपी/सीबीआई अभिन मोडक के अनुसार इस अवैध वसूली में दो आरपीएफ टीमें शामिल होने का पता चला है. हम दूसरी टीम के 20 लोगों की भूमिका की भी जांच कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पकड़े गए 9 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून एवं आपराधिक गतिविधि कानून के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. सीबीआई अधिकारियों का यह स्पष्ट मानना है कि इस वसूली रैकेट में आरपीएफ के कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हैं. मगर उनकी गिरफ्तारी से पहले वह तमाम उपलब्ध तथ्यों की जांच कर लेना चाहते हैं

प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई छापे के दूसरे दिन सीएससी/आरपीएफ/.रे. ने अपने 'पालतू' लोगों की करतूतों के मद्देनजर कुर्ला टर्मिनस का दौरा किया था और उन्होंने अपने 'पालतुओं' से कहा था कि 'हम कितने लोगों को संभालेंगे. तुम लोगों ने अपने 9 आदमी क्यों ले जाने दिए? क्यों नहीं उनसे (सीबीआई) भिड़ गए और अपने आदमियों को छुड़ा लिए?'

वास्तव में सच यही है कि सीएससी ने एलटीटी, कुर्ला मेन लाइन, दादर, माटुंगा वर्कशाप, परेल वर्कशाप, सीएसटी, सीएसटी एडमिन, ठाणे, मुख्यालय, तुर्भे, पनवेल, कल्याण, कर्जत, कसारा, इगतपुरी, नागपुर, अजनी, मनमाड़,
दौंड, सोलापुर यानी .रे. की लगभग हर आरपीएफ पोस्ट को नीलाम कर रखा है. इनमें से खास तौर पर कुर्ला टर्मिनस, कुर्ला मेन लाइन, दादर, सीएसटी, ठाणे, तुर्भे, पनवेल आदि की कुछ पोस्टें अत्यंत कमाऊ हैं, जहां आईजी/सीएससी/.रे. के संरक्षण में आरपीएफ द्वारा यात्रियों को जमकर लूटा जा रहा था. एसएमएस सर्विस शुरू होने पर यात्रियों ने जब ऐसी तमाम शिकायतें जीएम को भेजी थीं, तो जीएम ने लाइन बंदोबस्त से आरपीएफ को हटाने का आदेश भी दिया था, मगर यह आदेश सिर्फ जुबानी जमा खर्च साबित हुआ, जैसा कि 19 नवंबर की सीबीआई रेड से स्वत: जाहिर है

ज्ञातव्य है कि इस संदर्भ में 'रेलवे समाचार' ने दि. 16 से 30 नवंबर २००७ के अंक में 'संपूर्ण आरपीएफ को ही बदनाम करने का आईपीएस लॉबी का कुत्सित प्रयास' शीर्षक के अंतर्गत 14 आरपीएफ पोस्टों पर होने वाली अवैध वसूली के मासिक आंकड़े, जिसमें सबसे बड़ा आंकड़ा कुर्ला टर्मिनस का ही था, प्रकाशित करते हुए इन पोस्टों से 'ऊपर' पहुंचाने वाली राशि के आंकड़े भी प्रस्तुत किए थे और लिखा था कि 'आईजी/सीएससी/आरपीएफ/.रे. और उनके कुछ कदाचारी आरपीएफ इंस्पेक्टरों का भ्रष्टाचार, .रे. की आरपीएफ पोस्टों पर होती है प्रतिमाह लाखों की अवैध कमाई'.

उल्लेखनीय है कि इसी खबर के बाद आईजी/सीएससी/.रे. के इशारे पर और दबाव में 27 आरपीएफ इंस्पेक्टरों ने 'रेलवे समाचार' को आरपीएफ फोर्स की तथाकथित मानहानि करने के लिए कानूनी नोटिस दिया था. यही नहीं इनमें से कुछ उनके खास विश्वासपात्रों ने तो 'रेलवे समाचार' पर अदालत में मानहानि के 10-12 मुकदमें ठोंक रखे हैं. १९ नवंबर के सीबीआई छापे के बाद भी आईजी/सीएससी/.रे. और 'रेलवे समाचार' के खिलाफ मानहानि के मुकदमें करने वाले उनके इन चापलूस और महाभ्रष्ट इंस्पेक्टरों की क्या अभी भी कोई 'इज्जत' या 'मान' बाकी बचा है? क्या ये सब अभी भी कहीं मुंह दिखाने लायक रह गए हैं?

आईजी/सीएससी के सबसे खास विश्वासपात्र आईपीएफ अरविंद यादव उर्फ भटकू यादव सीबीआई छापे के बाद से ही अपने खास वसूलीमैन कांस्टे. विनोद यादव के साथ लगातार फरार हैं. बताते हैं कि उन्हें आईजी के निर्देश पर उनके दूसरे सबसे विश्वासपात्रों आईपीएफ ने कहीं छिपा रखा है. जबकि कल्याण से प्रतिदिन अलग-अलग जगह पर डायरी मंगाकर उसमें अपनी उपस्थिति और रवानगी (लेफ्ट मुलुंड, सीएसटी लाइन आदि) उनके द्वारा लगातार दर्ज की जा रही है

पता चला है कि कई इंस्पेक्टरों द्वारा जो मोबाइल इस्तेमाल किये जा रहे हैं, वह उनके नाम वाले नहीं हैं, जिससे इनकी आपराधिक गतिविधियों का पता चलता है

यह आश्चर्य का विषय है कि कुर्ला में सीबीआई छापा पडऩे की भनक लगते ही अरविंद यादव ने मुलुंड स्थित अपने आवास से सारी मालमत्ता हटा दी और उसके बाद छापे में सीबीआई का उनके यहां से खास कुछ नहीं मिला. तथापि करीब १५ दिन से वह मुंबई में ही रहकर अपनी डायरी भर रहे हैं. मगर सीबीआई उन्हें पकड़ नहीं पाई है. सूत्रों का कहना है कि सीएससी के माध्यम से कोई समझौते की बात सीबीआई वालों से चल रही है और करीब-करीब यह समझौता हो गया है. क्योंकि ऐसी चर्चा काफी जोरों पर हो रही है.

आईजी/सीएससी/.रे. की धूर्तता और बेशर्मी की हद यह है कि उन्होंने अरविंद यादव को पहले सीएसटी/एडमिन में रखा, फिर वहां से उन्हें कुर्ला टर्मिनस में लगातार पांच साल तक बनाए रखा. दीवाली के पहले और गत पांच वर्षों के दरम्यान अमेरिका का 9वां-10वां चक्कर लगाने जाने से पहले उन्होंने यादव की पोस्टिंग कल्याण में (पोस्ट खाली होने से पहले ही) करने की संस्तुति डीजी/आरपीएफ को भेज दी थी. बताते हैं कि यह संस्तुति उनके अमेरिका से वापस आने से पहले ही डीजी से गई थी. आरपीएफ कंट्रोल में आए तत्संबंधी फैक्स के बाद वहां ड्यूटीरत आईपीएफ . के. वर्मा ने इसकी जानकारी यादव को दे दी थी कि उनकी कल्याण में पोस्टिंग की संस्तुति डीजी ऑफिस से चुकी है. हवाई अड्डे पर आईजी/सीएससी को रिसीव करने पहुंचे यादव ने जब यह कहते हुए उन्हें धन्यवाद दिया कि आपने मेरी पोस्टिंग कल्याण में करके मेरे ऊपर बड़ा उपकार किया है, तो आईजी/ सीएससी के पूछने पर यादव ने उन्हें बता दिया था कि उन्हें यह जानकारी कंट्रोल से मिल गई थी.

उल्लेखनीय है कि दूसरे दिन कार्यालय आते और ड्यूटी ज्वाइन करते ही आईजी/सीएससी ने सबसे पहला काम कंट्रोल में उस वक्त ड्यूटी पर रहे आर्ईपीएफ .के. वर्मा को सस्पेंड करने का किया था, जो कि अब तक यानी पिछले करीब दो-ढ़ाई महीनों से सस्पेंड ही हैं, जबकि यह कोई गोपनीय जानकारी या सूचना नहीं थी. मगर चूंकि इस जानकारी के बदले में उन्हें यादव से लाखों वसूलने थे, जो कि पचड़े में पड़ जाने से उन्होंने इसके लिए अपनी खुन्नस आईपीएफ वर्मा को लगातार सस्पेंड करके निकाली है. इसी तरह पूर्व आईपीएफ/ठाणे . के. मिश्रा को भी कई माह सस्पेंड करके रखा था

बताते हैं कि 20 नवंबर से यादव की लगातार फरारी में आईजी/सीएससी एक एएससी का हाथ है. सूत्रों का कहना है कि 19-20 नवंबर की रात को जैसे ही कुर्ला टर्मिनस में सीबीआई की धाड़ पडऩे की खबर मिली वैसे ही यादव ने
मुलुंड स्थित (गणेश मंदिर के सामने) अपने आवास से 4-5 बड़े-बड़े सूटकेसों में भरकर सारी माल-मत्ता गायब कर दी. सूत्रों का कहना है कि आधी रात को और 4-5 बजे सुबह दो बार में ले जाए गए इस माल-असबाब को इस तरह हड़बड़ी में चोरों की तरह ले जाते हुए बैरक के पिछले गेट पर ड्यूटी में तैनात संतरी ने यादव को यह कहते हुए टोका भी था कि साहब आज सामने वाले गेट के बजाय इस गेट से इतनी सुबह-सुबह कहां जा रहे हैं. इस पर यादव ने उसे कोई जवाब नहीं दिया था. सूत्रों का कहना है कि यह सूटकेश यादव ने पहले एएससी/मुलुंड के कार्यालय में ले जाकर रखा था. अब आगे देखते हैं कि सीबीआई इस मामले में कहां तक सफल हो पाती है. क्योंकि यदि उसे सफल होना है तो आईजी/सीएससी को भी इसमें लपेटना होगा...? यह कहना है तमाम आरपीएफ स्टाफ का.

No comments: