Thursday 10 December, 2009

9 महाप्रबंधकों की नियुक्ति, आर्डर और

ज्वाइनिंग के बाद भी एक पोस्टिंग बदली

नयी दिल्ली : काफी लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिर 19 नवंबर की रात 8 बजे 9 महाप्रबंधकों के पोस्टिंग आर्डर रेलवे बोर्ड से जारी किए गए. इनमें दो महाप्रबंधकों की लेटरल पोस्टिंग भी शामिल थी, जबकि आर्डर जारी होने के एक दिन बाद ही 'सुपर लेटरल पोस्टिंग' के जबानी आदेश पर श्री वी. एन. त्रिपाठी को मेट्रो रेलवे से कोलकाता में ही रखते हुए पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक का चार्ज दे दिया गया, जबकि रे.बो. के आदेश में श्री त्रिपाठी को लेटरल ट्रांसफर में .रे. किया गया था. अब उनकी जगह श्री दीपक कृष्ण को पू.रे. से .रे. भेज दिया गया है. हालांकि श्री एम. एस. जयंत .रे. में बने रहने के लिए बहुत इच्छुक थे, जो कि श्री राकेश चोपड़ा के मई में एमई बन जाने के बाद से ही .रे. का लुकऑफ्टर चार्ज संभाल रहे थे. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि उन्हें .रे. में ही रखा जाएगा, परंतु उनक यह उम्मीद पूरी नहीं हो पाई.

हालांकि जैसा कि 'रेलसमाचारडॉटकॉम' ने पहले ही खबर दी थी, उसके अनुसार श्री जयंत को आईसीएफ से .रे. और श्री त्रिपाठी को मेट्रो से ..रे., सिकंदराबाद के लिए रेल मंत्रालय द्वारा पीएमओ को भेजे गए प्रस्ताव में प्रस्तावित किया गया था. परंतु करीब 6 महीने चली खींचतान में यह प्रस्ताव उलट गया. यही नहीं इसमें एक सुपर उलटफेर के तहत अंतिम समय में श्री त्रिपाठी को पू.रे. और श्री दीपक कृष्ण को .रे. कर दिया गया. भा. रे. के इतिहास के निकट भूतकाल में महाप्रबंधकों के पद की गरिमा को पिछले वर्ष से और खासतौर पर जोनों के बंटवारे के बाद से, जिस तरह नीचे गिराया गया है, वैसा शायद पहले कभी नहीं गिराया गया था. भा.रे. को जिस तरह राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, उसे देखते हुए इस करीब दो सौ साल पूरे करने जा रही महान संस्था का भविष्य कोई बहुत अच्छा नहीं दिखाई दे रहा है.

बहरहाल बहुप्रतीक्षित महाप्रबंधकों की फाइनल पोस्टिंग इस प्रकार है.

1. श्री वी. एन. त्रिपाठी - जीएम/पू.रे.
2. श्री एम. एस. जयंत - जीएम/..रे.
3. श्री दीपक कृष्ण - जीएम/.रे.
4. श्री के. के. सक्सेना - जीएम/डीएलडब्ल्यू
5. श्री पी. बी. मूर्ति - जीएम/सीएलडब्ल्यू
6. श्री विनय मित्तल - जीएम/..रे.
7. श्री संजीव हांडा - जीएम/पू..रे.
8. श्री अमरनाथ - जीएम/मेट्रो
9. श्री सी. पी. वर्मा - डीजी/आरएससी
10. श्रीमती पम्पा बब्बर - जीएम/आईसीएफ.

ज्ञातव्य है कि ओरिजनल प्रस्ताव में श्री के. के. सक्सेना को आईसीएफ और श्रीमती पम्पा बब्बर को डीएलडब्ल्यू में प्रस्तावित किया गया था. फाइनल आर्डर में इसे भी उलट दिया गया है. बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि विद्युत लॉबी द्वारा श्री आर. एन. लाल के बढ़ाए गए प्रस्ताव को रेलमंत्री ने नामंजूर कर दिया है. क्योंकि उनका कार्यकाल दो साल से कम रह गया है. परंतु यह श्री लाल के साथ सरासर अन्याय भी है क्योंकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी. यदि समय से प्रस्ताव को आगे बढ़ाकर एमएल की पोस्टिंग कर दी गई होती तो इलेक्ट्रिकल की एकमात्र पोस्ट के लिए वह एलिजिबल हो गए होते. राजनीतिक स्वार्थों के चलते इस तरह कई अधिकारियों को अपने पूरे कैरियर के अंतिम पड़ाव में हीनभावना का शिकार होना पड़ता है, जोकि तो व्यवस्था के और ही संस्था (भा.रे.) के हित में होता है.

इसके अलावा अब समय गया है कि बोर्ड मेंबर बनने के लिए ओपन लाइन और साइड लाइन का चक्कर (क्रायटेरिया) एकदम खत्म किया जाना चाहिए क्योंकि महाप्रबंधक को महाप्रबंधक के ही स्तर पर देखा जाना चाहिए, कि ओपन लाइन अथवा साइड लाइन के चश्मे से. महाप्रबंधक वह चाहे ओपन लाइन का हो या प्रोडक्शन यूनिट का, यदि उसका कार्यकाल पर्याप्त बाकी है और उसकी योग्यता बनती है, तो उसे बोर्ड मेंबर बनने से नहीं रोका जाना चाहिए. इसके अलावा जीएम और डीआरएम पदों पर कोटे का चक्कर भी अब समाप्त किया जाना चाहिए और
भा.रे. की आठों संगठित सेवाओं के लिए इन पदों का बंटवारा समान रूप से किया जाना चाहिए. तभी इन पदों पर पहुंचने के लिए विजिलेंस के इस्तेमाल और एक-दूसरे की टांग-खिंचाई करके, उनका सर्विस रिकार्ड खराब करके या करवाकर जो अंदरूनी ब्यूरोक्रेटिक राजनीति खेली जाती है, उस पर यत्किंचित रोक लग पाएगी.

बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि ..रे. के लिए श्री एच. सी. जोशी और 30 नवंबर को खाली हो रहे .पू.रे. के लिए श्री .पी. मिश्रा के नामों का प्रस्ताव पीएमओ को भेज दिया गया है. इसी के साथ 29 नवंबर को अमेरिका से लौटने के बाद प्रधानमंत्री से श्री वी. एन. त्रिपाठी की सुपर लेटरल पोस्टिंग की भी कागजी संस्तुति ली जाएगी. हालांकि बोर्ड के हमारे सूत्रों का कहना है कि श्री मिश्रा .रे., दिल्ली में ही रहने के इच्छुक हैं और हो सकता है कि श्री दीपक कृष्ण और श्री जयंत की तरह श्री विवेक सहाय को भी शिफ्ट करके एनएफआर भेजकर श्री मिश्रा को दिल्ली/.रे. में और श्री बुधलाकोटि को .पू.रे. में बैठाया जाए. यदि ऐसा होता है, बल्कि निश्चित रूप से ऐसा ही होना चाहिए, तो यह ठीक ही होगा, क्योंकि श्री सहाय को दिल्ली से बाहर इसलिए भी शंट आउट किया जाना जरूरी है क्योंकि वे रेलमंत्री के कार्यालयीन स्टाफ को भी भ्रष्टाचार के साथ-साथ चालाकी, चापलूसी और चमचागीरी का पाठ पढ़ा रहे हैं.

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