Wednesday 9 December, 2009

आईआरसीटीसी के 'रेलमंत्री' का एक्जीक्यूटिव क्लास में विदेश भ्रमण

चारों जोनल जीजीएम्स को छोड़कर
जूनियर्स के साथ विदेश में मौजमस्ती

काम्प्लीमेंटरी एयर टिकट के बावजूद सीआरबी की पत्नी को . कोरिया जाने से रोककर मुबई से लौटाया गया.
जीएम
/डीआरएम के विदेश दौरों पर रोक, मगर आईआरसीटीसी के डायरेक्टर/टी एंड सी विनोद अस्थाना को 10 लोगों के ग्रुप के साथ तीन देशों के दौरे की अनुमति.
आईआरसीटीसी
के 40 लाख स्वाहा, रेलमंत्री को खबर तक नहीं दी गई, अनुमति की तो बात ही दूर है...

नई दिल्ली : इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कोर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) के डायरेक्टर/टी एंड सी उर्फ रेलमंत्री श्री विनोद अस्थाना आजकल अपने तो जूनियर्स की टीम के साथ तीन देशों के विदेश दौरे पर हैं. उनके इस दौरे की कुल कीमत करीब 40 लाख रु. बताई गई है. जोकि एमडी ने सेंक्शन किया है. श्री अस्थाना की इस टीम में जीजीएम अनिल दुलत, जीजीएम/एकाउंट्स श्रीमती वैदैही, एएम अनिल गुप्ता, अय्यर आदि उनके जूनियर्स शामिल बताए गए हैं.

आईआरसीटीसी सूत्रों के अनुसार श्री अस्थाना अपने साथ इन जूनियर्स को इसलिए ले गए हैं क्योंकि ये लोग विदेश में उनकी मौजमस्ती की पोल यहां आकर नहीं खोलेंगे. इस टीम में जीजीएम/नार्थ जोन, जीजीएम/साउथ जोन,
जीजीएम/वेस्ट जोन और जीजीएम/ईस्ट जोन को नहीं ले जाया गया जबकि ये चारों जीजीएम राजधानी/शताब्दी जैसी महत्वपुर्ण ट्रेनों की पैंट्री कारों को विभागीय तौर पर संभाल रहे हैं. जीजीएम/साउथ जोन तो केरल एक्स., जिसके सात रेक हैं, की पैंट्री व्यवस्था विभागीय तौर पर मेनटेन कर रहे हैं, जबकि जीजीएम/वेस्ट जोन मुंबई राजधानी, अगस्त क्रांति राजधानी तथा जीजीएम/ईस्ट जोन हावड़ा राजधानी एवं जीजीएम/नार्थ जोन ऐसी अनेक गाडिय़ों की पैंट्रीकारों में विभागीय खानपान व्यवस्था की देखभाल कर रहे हैं. इन्हें इस दौरे में नहीं ले जाया गया जबकि यह दौरा खास तौर पर कोलोन, जर्मनी में पैंट्रीकारों की मैनेजमेंट एक्जीबिशन देखने और उनकी विभागीय व्यवस्था को कैसे बेहतर तरीके से संभाला जाए, इसी उद्देश्य पर आधारित था.

एक तरफ जीएम्स के विदेश दौरों और डीआरएम्स के विदेश प्रशिक्षण पर जाने पर रेलमंत्री ने अगले एक साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया हुआ है. इसी के साथ वैश्विक मंदी के चलते केंद्र सरकार ने सरकारी एवं अर्धसरकारी (पीएसयू) के अपने सभी अधिकारियों की एक्जीक्यूटिव क्लास में हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगाया हुआ है. तथापि आईआरसीटीसी के डायरेक्टर/टी एंड सी श्री विनोद अस्थाना बिजनेस क्लास के बजाय एक्जीक्यूटिव्स क्लास में हवाई यात्रा करते हुए विदेश भ्रमण पर निकले हैं. यही नहीं उनके द्वारा अपने साथ ही हर 'फन' में माहिर जीजीएम अनिल दुलत और अपने खास विश्वासपात्र और अदने से असिस्टेंट मैनेजर अनिल गुप्ता को भी एक्जीक्यूटिव क्लास में ले जाने की खबर है. पता चला है कि टीम के बाकी 8 सदस्य तो जर्मनी की प्रदर्शनी देखकर ही वापस जाएंगे जबकि श्री अस्थाना अपने खास विश्वासपात्र अनिल गुप्ता को साथ लेकर आगे फिनलैंड और स्विटजरलैंड भी घूमने जाएंगे.

ज्ञातव्य है कि यह वही अनिल गुप्ता हैं जो कि सीनियर मैनेजर की परीक्षा पास हीं कर पाए थे और इन्हें सीएमआई से सीधे सीनियर स्केल में सारे नियमों को ताक पर रखकर मैनेजर प्रमोट किए जाने के मामले में विजिलेंस केस
हुआ था. जिसमें सीवीसी ने तत्कालीन एमडी पी. के. गोयल सहित चयन समिति के तत्कालीन डायरेक्टर/टी एंड सी राकेश सक्सेना और वर्तमान डायरेक्टर/टी एंड सी विनोद अस्थाना तथा कंपनी सेक्रेटरी राकेश गोगिया को मेजर पेनाल्टी चार्जशीट दिए जाने की एडवाइस की थी. परंतु वर्तमान सीवीओ/आईआरसीटीसी श्रीमती सुंदरी सुब्रमण्यम पुजारी ने श्री अस्थाना पर मेहरबान होकर सीवीसी में अपने व्यक्तिगत संबंधों के चलते इन चारों अधिकारियों की मेजर पेनाल्टी चार्जशीट को रिकार्डेड वार्निंग में बदलवा दिया. हालांकि तत्कालीन एडवाइजर विजिलेंस/रे.बो. ने सेकेंड ओपिनियन के लिए यह चारों मामले सीवीसी को रेफर किए थे, परंतु इन पर अंतिम निर्णय क्या हुआ, यह आज तक किसी को पता नहीं है. तथापि श्री गुप्ता को असिस्टेंट मैनेजर पद पर तदर्थ (एडहॉक) प्रमोशन देकर उपकृत किया गया है.

सूत्रों का कहना है कि श्री अस्थाना की समस्त विदेशी मौजमस्ती का इंतजाम श्री गुप्ता ने ही किया है. इसीलिए श्री अस्थाना विदेश में भी श्री गुप्ता को अपने गले लगाए घूम रहे हैं. सूत्रों का तो यहां तक कहना है जिन होटलों में ठहरने की वास्तव में बुकिंग करवाई गई है, ये लोग संभवत: वहां नहीं बल्कि अन्यत्र बेनामी जगहों पर ठहरेंगे, जबकि मौजमस्ती सहित समस्त होटल बिलिंग प्री-बुक्ड होटलों की होने वाली है. अब इसमें कितनी सच्चाई हो सकती है, इसकी पुष्टि फिलहाल नहीं हो पाई है.

सूत्रों का कहना है कि पैंट्रीकार एक्जीबिशन देखना तो वास्तव में एक बहाना है, सच यह है कि दुलत और गुप्ता जैसे महामेनीपुलेटरों और भ्रष्टों की सोहबत में श्री अस्थाना मौजमस्ती की यात्रा पर गए हैं, क्योंकि सूत्रों का दावा है कि उक्त दोनों लोग हर प्रकार की 'सुविधा' उपलब्ध कराने के एक्सपर्ट माने जाते हैं और श्री अस्थाना आजकल इन 'सुविधाओं' के काफी शौकीन हो गये बताये जाते हैं. इसके अलावा सूत्रों का यह भी कहना है कि श्री अस्थाना की इस विदेशी मौजमस्ती में एक-दो बड़े कैटरिंग कांट्रैक्टर भी पर्याप्त रूप से मददगार हैं.

ज्ञातव्य है कि गत माह सीआरबी जब दक्षिण कोरिया की यात्रा पर गए थे तो उन्हें एक कम्प्लीमेंटरी फ्री एयर टिकट मिल रहा था, जिस पर वह अपनी पत्नी को साथ में ले जा रहे थे, परंतु इस बारे में जब उन्होंने रेलमंत्री को
पूछा था तो रेलमंत्री ने उन्हें मना करते हुए कहा था कि वह काम्प्लीमेंटरी फ्री टिकट किसी और की आधिकारिक यात्रा के काम आएगा. परिणामत: सीआरबी की पत्नी को मुंबई हवाई अड्डे से वापस आना पड़ा था. तब ऐसी स्थिति में श्री अस्थाना को दुलत एवं गुप्ता के साथ एक्जीक्यूटिव क्लास में और बाकी 7-8 जूनियर्स को बिजनेस क्लास में ले जाकर व्यापक विदेश भ्रमण की अनुमति कैसे मिली?

हालांकि सूत्रों का कहना है कि इसकी संस्तुति रेलमंत्री अथवा उनके कार्यालय से नहीं ली गई है और ही इस बारे में मेंबर ट्रैफिक (पदेन चेयरमैन) को कोई खबर दी गई. चेयरमैन ने मोबाइल रिसीव नहीं किया परंतु एमटी श्री आर. के. टंडन से जब यह पूछा गया कि केंद्र सरकार ने एक्जीक्यूटिव क्लास में अधिकारियों की हवाई यात्रा पर प्रतिबंध लगा रखा है और रेलमंत्री ने विदेश यात्राओं को एक साल तक के लिए स्थगित कर दिया है, तो श्री अस्थाना और श्री गुप्ता एवं श्री दुलत को एक्जीक्यूटिव क्लास में विदेश-हवाई यात्रा की अनुमति कैसे और किसने दी है? इस पर श्री टंडन का सिर्फ इतना ही कहना था कि सरकार ने एक्जीक्यूटिव क्लास में सिर्फ डोमेस्टिक (घरेलू) स्तर पर पाबंदी लगाई है. इससे ज्यादा उन्होंने शायद कुछ कहना जरूरी नहीं समझा.

सूत्रों का कहना है कि एमडी द्वारा दिया गया जवाब वास्तव में श्री अस्थाना का गढ़ा हुआ तर्क है, क्योंकि उनका कहना था कि पैंट्रीकारें देखने विदेश यात्रा पर जाने से पहले जब यह बात उठी थी तो श्री अस्थाना का ही यह तर्क था कि 'सरकार ने अपने सरकारी अधिकारियों पर यह प्रतिबंध लगाया है, हम तो पीएसयू वाले हैं और पीएसयू पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होता और यदि ऐसा है भी तो क्या हम इतनी लंबी यात्रा 'कैटल क्लास' में बैठकर और हाथ-पांव सिकोड़कर करेंगे. हम तो एक्जीक्यूटिव क्लास में ही जाएंगे सरकार को जो करना हो, वह करे.' सूत्र बताते हैं कि इसके बाद एमडी ने बिना कुछ कहे-सुने अपनी संस्तुति दे दी थी और इस प्रकार आईआरसीटीसी के 40 लाख रु. स्वाहा हो गए तथा सरकार की नीति ताक पर रख दी गई है.

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