Monday 21 December, 2009

डीलिंग मैनेजर अनिल गुप्ता को अपने
ही पास रखा है विनोद अस्थाना ने

नयी दिल्ली : इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिजम कार्पोरेशन (आईआरसीटीसी) के डायरेक्टर कैटरिंग एंड टूरिजम श्री विनोद अस्थाना भी अपने पूर्ववर्ती श्री राकेश सक्सेना की राह पर चल पड़े हैं. इसके चलते उन्होंने अपने खास
विश्वासपात्र और डीलिंग मैनेजर श्री अनिल गुप्ता को अपने ही पास रखा है जबकि हाल ही में हुए विभागीय चयन एवं पदोन्नति में कई अन्य मैनेजरों को कार्पोरेट ऑफिस दूर-दूर अन्यत्र भेज दिया है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार हाल ही में हुई विभागीय चयन एवं पदोन्नत के तहत सहायक प्रबंधक से वरिष्ठ प्रबंधक में पदोन्नति करके श्री तनवीर अहमद और श्री दिलीप गोयल को क्रमश: नई दिल्ली स्टेशन और पुरानी दिल्ली स्टेशन पर भेज दिया गया है. इसी प्रकार वरिष्ठ प्रबंधक से मंडल समूह प्रबंधक (डीजीएम) बनाकर श्री वीरेंद्र सिंह को भोपाल और श्री अजय शर्मा को मुंबई भेजा गया है. जबकि श्री के. एन. सिंह को रिवर्ट करके रेलवे बोर्ड में भेज
दिया गया है, क्योंकि उनकी पटरी श्री अस्थाना से नहीं बैठ पाई थी.

इसी पदोन्नति के तहत तदर्थ सहायक प्रबंधक से वरिष्ठ प्रबंधक में पदोन्नत हुए श्री अनिल गुप्ता को अपने गले से लगाकर श्री अस्थाना ने कार्पोरेट ऑफिस में ही बनाये रखा है, क्योंकि टेंडरों और फुटकर वस्तुओं की सप्लाई की अनुमति देने और उनमें मेनिपुलेशन करने में श्री अनिल गुप्ता माहिर हैं. उनके रहते श्री अस्थाना को अपनी डीलिंग में काफी आसानी हो जाती है. यह कहना है कार्पोरेट ऑफिस स्टाफ का.

ज्ञातव्य है कि हाल ही में तीन देशों की यात्रा करके लौटे श्री अस्थाना लगातार अपने साथ श्री अनिल गुप्ता को चिपकाये रहे थे. जबकि बाकी अन्य अधिकारिगण पहली ही जगह से वापस कर दिए गये थे. इस विदेश भ्रमण में श्री गुप्ता ने श्री अस्थाना को कई जन्नतों की सैर करवा दी है, जिसके पुरस्कार स्वरुप उनका ताबदला कार्पोरेट
ऑफिस से नहीं किया गया है.

उल्लेखनीय है कि इन्हीं अनिल गुप्ता को नियमों के विरुद्ध आउट ऑफ वे सीसीआई से सीधे सीनियर स्केल में पदोन्नत किए जाने के मामले में हुई विंजिलेस जांच में दोषी पाये जाने पर आईआरसीटीसी के तत्कालीन एमडी श्री
पी. के गोयल, तत्कालीन डायरेक्टर-कैटरिंग-टूरिजम श्री राकेश सक्सेना और तत्कालीन जीजीएम एवं वर्तमान डायरेक्टर - कैटरिंग एंड टूरिजम श्री विनोद अस्थाना तथा कंपनी सेक्रेटरी को सीवीसी द्वारा मेजर पेनॉल्टी चार्जशीट
दिए जाने को एडवाइस की गई थी.

बताते हैं कि इन चारों अधिकारियों को दी जाने वाली इस मेजर पेनॉल्टी चार्जशीट को सीवीओ श्रीमती सुंदरी पुजारी ने सीवीसी में अपनी पुरानी सहेली वीसी/आर श्रीमती रंजना कुमार के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के चलते स्टिफ माइनर पेनॉल्टी में बदलवा दिया था. जिसे बाद में रिकार्डेड वार्निंग में बदल कर सारे मामले को ही रफा-दफा कर दिया गया. तथापि रे.बो. ने इसे सेकेंड एडवाइस के लिए सीवीसी के पास भेजा था. परंतु अंतत: इस मामले में सीवीसी (फाइल नं. 2006- बी-2-आईआर-सीटीसी-1- सीवीसी) ने भी कुछ नहीं किया, क्योंकि इसके बाद श्री गोयल, जिन्हें अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए तत्कालीन रेलमंत्री को भी बायपास करने और इस बारे में संसद में
मंत्री को नीचा देखने पर मंत्री ने उन्हें लगभग धक्के मारकर और अपमानजनक तरीके से आईआरसीटीसी के एमडी पद से तुरंत हटाकर जबरन छुट्टी पर भेज दिया था, वह आजकल एनएफआर में चुपचाप अपना समय बिता रहे हैं. इसके अलावा श्री राकेश सक्सेना डीआरएम/दिल्ली का कार्यकाल पूरा करके ..रे. में मौज कर रहे हैं जबकि तत्कालीन जीजीएम रहे श्री विनोद अस्थाना पदोन्नत होकर आजकल डायरेक्टर/कैटरिंग एंड टूरिजम बने बैठे हैं और कंपनी सेक्रेटरी भी पूर्ववत अपनी जगह विराजमान हैं. इस मामले की पूरी फाइल आरटीआई में मांगी
गई है.

आईआरसीटीसी के कार्पोरेट ऑफिस सूत्रों का कहना है कि सीवीओ श्रीमती सुंदरी पुजारी द्वारा इस मामले में किए गये मेनीपुलेशन के लिए उनके खिलाफ सीबीआई ने एक मामला दर्ज किया है. जिसकी जांच चल रही है. सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से उनके द्वारा आईआरसीटीसी में अपनी प्रतिनियुक्ति के लिए मांगे गये एक साल के विस्तार को फिलहाल अनुमति नहीं मिली है. इसके अलावा सूत्रों का कहना है कि सीबीआई द्वारा श्रीमती पुजारी द्वारा आईआरसीटीसी में श्री अस्थाना के माध्यम से कई उडिय़ा लोगों को भर्ती कराये जाने के मामले की भी जांच की जा रही है. सूत्रों का कहना है कि यह लोग श्रीमती पुजारी के उड़ीसा में पदस्थ आईपीएस पतिदेव द्वारा भेजे गये हैं जिनसे काफी मोटी राशि लिए जाने की आशंका जताई गई है.

सूत्रों का कहना है कि श्री अस्थाना के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों और उनके उडिय़ा लोगों को भर्ती करने का लिहाज करके श्रीमती पुजारी ने आजतक श्री अस्थाना के किसी भी मामले का टेस्ट चेक तक नहीं किया है और उनके तमाम कृत्यों की तरफ से उन्होंने लगातार अपनी आंखे बंद रखी हैं. जबकि अपने कुछ भ्रष्ट विजिलेंस इंस्पेक्टरों को उन्होंने वसूली इंस्पेक्टरों में बदल दिया है जिन्होंने कि बड़े-बड़े स्टेशनों पर तैनात सहायक प्रबंधकों से मोटी-मोटी राशियों के हफ्ते बांध रखे हैं. इसी प्रकार के मामले में हफ्ते की राशि तय हो पाने के कारण उनके एक विजिलेंस इंस्पेक्टर ने सीएसटी स्थित करीब 8-10 विभागीय स्टेटिक यूनिटों को बंद करा दिया है. इन विजिलेंस इंस्पेक्टरों की वसूली के संबंध में सीएसटी, भुसावल, मुंबई सेंट्रल, बांद्रा एवं कुर्ला टर्मिनस, बंगलोर, चेन्नई, कोलकाता, नई दिल्ली एवं पुरानी दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, गोरखपुर आदि तमाम स्टेशनों से शिकायतें प्राप्त हुई हैं.

सूत्रों का कहना है कि जब स्वयं सीवीओ और उनके विजिलेंस इंस्पेक्टरों का यह हाल है, तो वह श्री अस्थाना एवं श्री गुप्ता की कारगुजारियों की तरफ कैसे उंगली उठा सकती हैं? परिणामस्वरूप श्री अस्थाना और श्री गुप्ता की जुगलबंदी बेरोकटोक जारी है. सूत्रों का कहना है कि अब शायद श्री अस्थाना को किसी किसी मामले में अपने अटक जाने की आशंका सता रही है. इसीलिए वह आईआरसीटीसी से चुपचाप अन्यत्र खिसक जाने की जुगत भिड़ा रहे हैं. परंतु
उनका भाग्य यहां भी साथ नहीं दे रहा है क्योंकि आरवीएनएल में उनकी प्रतिनियुक्ति नहीं हो पाई हैं. वहां कांकोर से निकले श्री मुकुल जैन बाजी मार ले गये हैं. क्रमश:

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