Wednesday 9 December, 2009

चुन-चुन कर हो रही है डीआरएम की पोस्टिंग

नयी दिल्ली : ममता बनर्जी के राज में भा. रे. का कोई भला होता नहीं दिखाई दे रहा है. जहां जीएम्स की पोस्टिंग 6-7 महीने बाद हो पाई है, उसमें भी ..रे. और .पू.रे. की कसर बाकी रह गई है. अब कई डीआरएम के कार्यकाल
पूरे हो जाने के बाद भी उनकी जगह नए लोगों की पोस्टिंग में भी लगातार देरी हो रही है. जहां इससे पहले डीआरएम के एकमुश्त आर्डर निकाले जाते थे, वहां अब ममता के राज में इक्का-दुक्का आर्डर 'पिक एंड चूज' आधार पर किए जा रहे हैं. इस सिलसिले में 'बिल्ली के भाग से छींका टूटा' की तर्ज पर मथुरा ट्रेन हादसे के बाद आगरा मंडल से तत्कालीन डीआरएम श्री के. जी. त्रिपाठी को हटाकर वहां श्री देवेश मिश्रा का नंबर लग गया, जबकि श्री मिश्रा अभी काफी पीछे थे. उधर श्री त्रिपाठी को बतौर पनिशमेंट .रे. मुंबई में भेजा गया है, जहां सुनते हैं कि शीघ्र ही वह प्रमुख सीसीएम बन सकते हैं क्योंकि वर्तमान सीसीएम श्री एन. सी. सिन्हा .रे. में एजीएम के पद पर जा रहे हैं. यहां उल्लेखनीय है कि एजीएम/..रे. बनकर सिकंदराबाद गए पूर्व एसडीजीएम/.रे. श्री एस. के शर्मा .रे. में एजीएम बनकर रहे हैं, उनके आर्डर हो चुके हैं.

सीडब्ल्यूएम/परेल वर्कशॉप रहे श्री भूषण पाटिल को उम्मीद थी कि उन्हें भुसावल में डीआरएम की जगह मिल जाएगी, परंतु अब उन्हें अलीपुरद्वार मंडल का डीआरएम बनकर एनएफआर जाना पड़ा है. हालांकि इस मामले में डीआरएम/पालघाट श्री वाई. पी. सिंह लकी रहे हैं. क्योंकि उनकी मांग पर उन्हें अंबाला मंडल दिया जा रहा है, परंतु अभी उन्हें आर्डर का इंतजार है, क्योंकि फाइल पर तो यह प्रस्ताव कर दिया गया है. परंतु अब फाइनल आर्डर आने के बाद ही उनका लक पूरा होगा, जबकि उनकी जगर श्री सुदेश पाल सिंह को पालघाट भेजे जाने का प्रस्ताव है. इसी प्रकार मुंबई सेंट्रल में श्री सी. पी. शर्मा की जगह श्री गिरीश पिल्लै और फिरोजपुर में श्री विश्वेश्वर चौबे को भेजा जाने वाला है. जबकि भुसावल, मुगलसराय, झांसी आदि मंडलों के डीआरएम्स का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है. परंतु इन पर अभी तक किसी के भी नामों का प्रस्ताव नहीं किया गया है.

के.बी.एल. मित्तल जाएंगे आरडीएसओ

खबर है कि जनवरी में डीजी/आरडीएसओ की पोस्ट पर अवैध रूप से वर्तमान सेक्रेटरी/रे.बो. बने बैठे श्री के. बी. एल. मित्तल को भेजा जाने वाला है, क्योंकि जनवरी में यह पोस्ट वर्तमान डीजी के रिटायर होने पर खाली हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि यह पोस्ट श्री मित्तल जैसे महाजुगाड़ू अधिकारी के लिए फिट है क्योंकि भा.रे. में भ्रष्टाचार की गंगोत्री का उद्गम वास्तव में आरडीएसओ से ही शुरू होता है, इसलिए श्री मित्तल के लिए आरडीएसओ में गंगोत्री के इस महान उद्गम को और गहरा करने की अपार संभावनाएं मौजूद हैं और जो नहीं भी हैं, उन्हें वह खुद बना लेने में पूरी तरह सक्षम हैं.

बुधलाकोटि का रास्ता साफ

उधर, सीआरबी ने अपने कैडर बिरादरी श्री आर. एन. लाल का नाम बतौर जीएम/..रे. इलाहाबाद के लिए प्रस्तावित किया था, उसका विरोध एमटी ने यह कहकर कर दिया कि एक तो श्री लाल का कार्यकाल दो साल से कम हो गया है, दूसरे यदि उन्हें 'आउट आफ वे' चांस दे दिया जाता है तो फिर श्री एस. के. बुधलाकोटि जीएम नहीं बन पाएंगे. अत: रेलमंत्री ने श्री लाल के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है, जिससे 31 दिसंबर को जब एमटी रिटायर होंगे और उनकी जगह .रे. अथवा ..रे. खाली होगी तो वहां श्री बुधलाकोटि के जीएम बनने का रास्ता एकदम साफ हो गया है

बिरादरी की दुहाई

चालाकी, चापलूसी एंड चमचागिरी कालेज ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के महाप्राचार्य और जीएम/.रे. श्री विवेक सहाय लगातार बिरादरी की दुहाई देते हुए मेंबर ट्रैफिक पद से श्री श्रीप्रकाश को हफ्ता-दस दिन पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर चले जाने के लिए लगातार मनाने में लगे हुऐ हैं. इसके लिए वह लगभग हर दूसरे दिन श्री श्रीप्रकाश को मनाने और बिरादरी की दुहाई देने रे.बो. में उनके चेंबर में पहुंच जाते हैं और आधा-एक घंटा उनकी
चिरौरी-विनती करके वापस आते हैं. परंतु बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि परिस्थितियां उनका साथ नहीं दे रही हैं, क्योंकि श्री श्रीप्रकाश अब यदि चाहें भी तो इतनी जल्दी यानी 15-20 दिन में उनकी वीआरएस मंजूर होना
मुश्किल है.

इसलिए बोर्ड सूत्रों का कहना है कि श्री सहाय ने अब यह मन बना लिया है कि यदि श्री कुलदीप चतुर्वेदी एमटी बन जाते हैं तो वे और उनके एक-दो अन्य बिरादरी भाई उनके मातहत काम करने के बजाय आरसीटी में मेंबर बनना ज्यादा बेहतर समझेंगे. ज्ञातव्य है कि हाल ही में 13 आरसीटी में मेंबर पदों के लिए वैकेंसी निकाली गई हैं. हालांकि शीघ्र ही वाइस चेयरमैन के पदों के बारे में कोर्ट का निर्णय आने वाला है, तो दिल्ली और कोलकाता में दो पद वाइस चेयरमैन के भी होंगे. इनके लिए भी श्री सहाय और श्री आर. एन. वर्मा दावेदार हैं. बताते हैं कि इससे पहले जब वाइस चेयरमैन के पदों की वैकेंसी निकाली गई थी तब मैथ्यू जॉन ने अपनी चालाकी से इसके लिए आवेदन करने की अवधि सिर्फ दो हफ्ते ही रखी थी और तब कई लोग इसमें आवेदन नहीं कर पाए थे और इसी बजह से मैथ्यू जॉन सेक्रेटरी/रे.बो. और चयन समिति प्रमुख होते हुए वाइस चेयरमैन बनने में कामयाब रहे थे. पूरे कार्यकाल में ईमानदारी का ढोल पीटने वाले मैथ्यू जॉन अपने फायदे और दिल्ली में ही रहते हुए दो साल और सरकारी रोटियां तोडऩे के लालच में बेईमानी कर गए थे. इसी बजह से कई लोगों ने उनके चयन एवं चयन प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दे डाली थी. अब इसी का निर्णय जल्दी आने वाला है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार कोलकाता हाईकोर्ट में दर्ज संबंधित मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख 20 जनवरी लगी हुई है. तथापि याचिकाकर्ता अधिकारी अभी भी सुनिश्चित नहीं है कि उक्त तारीख को फैसला हो ही जाएगा. क्योंकि बोर्ड का और निहित स्वार्थी तत्वों का रवैया मामले को लटकाए रखकर याचिका कर्ताओं की दावेदारी का समय पास कर देने का है. हालांकि उनका कहना है कि आरसीटी मेंबरों की लिस्ट उनके पास पहले से ही फाइनल पड़ी है, तथापि वह कोर्ट को गुमराह करके मेंबर्स की पोस्टिंग कर सकते हैं. उनका यह भी कहना था कि उन्हें नहीं लगता है और आज तक किसी जीएम को नहीं देखा है कि वह जीएम के मलाईदार पद को छोड़कर समय से पहले आरसीटी में चला गया हो. इसलिए जो यह कह रहे हैं अथवा सोच रहे हैं कि वे कुलदीप चतुर्वेदी के मातहत काम
नहीं करेंगे, वह सब करेंगे, क्योंकि इस स्तर पर लोगों का आत्मसम्मान खो जाता है और उसकी जगह बेशर्मी ले लेती है. उनका कहना था कि नियम से और हर दृष्टिकोण से श्री चतुर्वेदी ही मेंबर ट्रैफिक पद के लिए योग्य उम्मीदवार हैं

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