Thursday 10 December, 2009

विवेक सहाय द्वारा की गई जीएम कोटे

की भर्तियों की फाइलें सीबीआई ने उठाईं

इलाहाबाद : जनवरी से दिसंबर 2008 के दरम्यान ..रे. के महाप्रबंधक रहे श्री विवेक सहाय द्वारा जीएम कोटे में की गई सैकड़ों भर्तियों की सभी 259 फाइलें 19 नवंबर को सीबीआई ने ..रे. मुख्यालय, इलाहाबाद से सील करके जब्त कर ली हैं. इस दौरान सीबीआई के साथ सीवीसी और रे. बो. विजिलेंस के लोग भी उपस्थित थे. सूत्रों का कहना है कि सीबीआई ने सिर्फ श्री विवेक सहाय की ही नहीं बल्कि उनसे पूर्व जीएम रहे श्री बुधप्रकाश द्वारा की गई भर्तियों की फाइलें भी अपने कब्जे में ले ली हैं.

ज्ञातव्य है कि 'रेलवे समाचार' ने ..रे. में पिछले पांच साल में जीएम कोटे के अंतर्गत की गई सभी भर्तियों की जानकारी जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी थी. इसके अनुसार पिछले पांच वर्षों में ..रे. इलाहाबाद जोन में कुल 669 लोगों की चतुर्थ श्रेणी जीएम कोटे में भर्तियां की गई थीं. इनमें से 1 के.सी. जेना, 22 आईपीएस आनंद, 265 बुधप्रकाश और 381 विवेक सहाय ने की हैं. इन कुल 669 भर्तियों में 99' उम्मीदवार बिहार के हैं, जबकि ..रे. जोन की सीमा दूर-दूर तक बिहार प्रदेश से नहीं मिलती है. विवेक सहाय द्वारा की गई भर्तियां पूर्व रेलमंत्री कार्यालय से उम्मीदवारों के भेजे गए आवेदनों पर की गई थीं. यह आवेदन 'महाप्रबंधक/रेलवे बोर्ड' के नाम संबोधित थे, जबकि भा. रे. में ऐसा कोई पद नहीं है.

इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी स्टाफ के एक विभागीय प्रमोशन के फाइनल पैनल को नियम विरुद्ध एवं अनाधिकार मॉडिफाई करके अपने चार चहेतों को 2-2 लाख रु. लेकर प्रमोट करने तथा एसीएम ग्रुप 'बी' सेलेक्शन में पैनल को रोककर अपने चहेते बिरादरी भाई को प्रमोट करने जैसे दो अन्य मामले भी श्री सहाय के खिलाफ सीवीसी एवं रे. बो. विजिलेंस में पहले से ही दर्ज हैं. इसके बावजूद उन्हें एमटी पैनल के लिए विजिलेंस क्लीयरेंस दे दिया गया है. क्योंकि एमटी पैनल में भेजे गए चार नामों में से दूसरे नंबर पर श्री विवेक सहाय का नाम है. पहले नंबर पर श्री . के. गोयल, तीसरे नंबर पर कर्तव्यनिष्ठ एवं मोस्ट एलिजिबल श्री कुलदीप चतुर्वेदी और चौथे पर श्री आर. एन. वर्मा का नाम है. जिसके खिलाफ पहले से ही दो गंभीर मामले विजिलेंस में दर्ज हों और उनमें कच्छप गति से जांच की जा रही हो तथा जीएम कोटे की भर्तियों का मामला विजिलेंस के साथ-साथ अब सीबीआई में भी दर्ज हो चुका है, उसे विजिलेंस क्लीयरेंस देकर रेलवे बोर्ड के बाबुओं ने मंत्री की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है. अब यह मंत्री पर निर्भर करता है कि इन बाबुओं (सीआरबी एवं सेक्रेटरी/रे.बो.) के खिलाफ इस अक्षम्य गलती और मेनीपुलेशन के लिए क्या कार्रवाई करती हैं? यह कहना है रे.बो. के तमाम अधिकारियों का.

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