Thursday 18 February, 2010

लिखित शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

झांसी : पीडब्ल्यूआई/इंचार्ज, उरई द्वारा लगातार प्रताडि़त किए जाने के खिलाफ अवर अभियंता, स्पेशल वर्क, ऐट ..रे. हबीब अहमद सिद्दीकी ने कई बार संबंधित अधिकारियों को लिखित शिकायत की है. परंतु उनके खिलाफ आज तक कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि श्री सिद्दीकी को पीडब्ल्यूआई/इंचार्ज द्वारा प्रताडि़त किए जाने का सिलसिला लगातार जारी है.

'रेलवे समाचार' को श्री सिद्दीकी द्वारा 24 नवंबर को एईएन, कानपुर को इस संबंध में लिखे गए पत्र की प्रति प्राप्त हुई है, जिसमें श्री सिद्दीकी ने लिखा है कि दि. 7. 8.09 के पत्र में उन्होंने उन्हें अवगत कराया था कि पीडब्ल्यूआई/इंचार्ज द्वारा उन्हें अनावश्यक रूप से प्रताडि़त किया जा रहा है. परंतु उनके द्वारा जांच कराए जाने के आश्वासन के बावजूद आज तक कुछ नहीं किया गया है, जबकि उसके बाद से पीडब्ल्यूआई/इंचार्ज उन्हें और ज्यादा प्रताडि़त करने लगे हैं. उन्होंने लिखा है कि बिना किसी लिखित आदेश और सहायक के उन्हें यूनो मशीन पर काम के लिए मोंठ जाने का आदेश इंचार्ज द्वारा एक पीडब्ल्यूएस से दिलवाया गया. उन्होंने लिखा है कि जब सभी पीडब्ल्यूआई को एक सहायक दिया जाता है और उन्हें भी इससे पहले दिया गया है, तो मोंठ जाने के लिए उन्हें एक सहायक मांगने के बावजूद उपलब्ध नहीं कराया गया, इसलिए वह मोंठ नहीं जा सके, जबकि उन्होंने पहले कभी इंचार्ज के आदेशों का उल्लंघन नहीं किया है.

उन्होंने लिखा है कि पीडब्ल्यूआई, उरई के मातहत सभी के पास जरूरत से ज्यादा आदमी हैं, सिर्फ उन्हें ही कोई आदमी नहीं दिया जाता है. उन्होंने लिखा है कि पीडब्ल्यूआई/इंचार्ज, उरई के पास 10 आदमी हैं. जबकि पीडब्ल्यूआई, उरई एन. आर. गौतम के पास 2, राजेंद्र सिंह निरंजन के पास 5, वृंदावन अंबेडकर के पास 4, गोविंद सिंह निरंजन के पास 2, एस. एन. उपाध्याय के पास 3, नरेंद्र तिवारी, ग्वालियर के पास 1, पोरवाल, बड़े बाबू, उरई के पास 1, पीडब्ल्लयूआई/उरई सुरेंद्र सिंह के पास 1 और नारायण कुमार के पास 1, ईडीपी सेंटर झांसी में 1, ट्रैक मशीन के साहब के पास 1, पीक्यूआरएस ड्राईवर के पास 1 और गार्ड के पास 1 आदमी है. फिर पीडब्ल्यूआई/उरई हबीब अहमद सिद्दीकी के पास ही कोई आदमी क्यों नहीं है? श्री सिद्दीकी ने अपने पत्र में लिखा है कि उपरोक्त गैंगों से इस तरह बांटे गए आदमियों के कारण अब इन गैंगों में रेल का कार्य करने के लिए वर्तमान में मात्र एक या दो आदमी ही बचे हैं, बाकी सभी आदमी उपरोक्त 'साहबों' के घरों में अथवा 'साहबों' की सेवा में लगे हुए हैं, जबकि उरई डिपो में डिकैटेगराइज होकर कई आदमी कागज पर मौजूद हैं परंतु यह किसी को पता नहीं है कि इन सभी डिकैटेगराइज आदमियों को कहां लगाया गया है.

उन्होंने लिखा है कि 10 आदमियों को चौकीदारी के नाम पर वहां लगाया गया हैं, जहां चौकीदार की कोई आवश्यकता नहीं है. इनके नाम हैं - 1. मईयादीन पुत्र बदलू एवं मोहना पुत्र सुक्खू (गैंग नं. 14) और प्रभुदयाल पुत्र
ग्यासी (गैंग नं 23) तथा सिद्धगोपाल (गैंग नं. 25) को पीक्यूआरएस ऐट यार्ड में, 2. हरदास पुत्र मोहनलाल (गैंग नं. 13) को परौना में, 3. सुखलाल पुत्र जुटुआ को ऐट यार्ड में, 4. मथुरा गैंगमैन (गैंग नं. 17) ऐट यार्ड में, 5. रामसंजीवन पुत्र रामलाल (गैंग नं. 23) भुआ यार्ड में, 6. गजराज पुत्र गोटीराम (गैंग नं. 22) को उरई यार्ड में, 7. जगदीश पुत्र जियालाल (एलआर की-मैन) को आटा यार्ड में चौकीदारी के लिए लगाया गया है.

श्री सिद्दीकी ने साफ लिखा है कि इन उपरोक्त आदमियों को पैसा कमाने के लिए चौकीदारी के बहाने उक्त स्थानों पर तैनात किया गया है. उन्होंने लिखा है कि इतने सारे आदमी होने और उनका रेल कार्य के बजाय साहबों के घरों और
उनकी व्यक्तिगत सेवा में लगाए रखने तथा अवैध कमाई के लिए उपयोग किए जाने पर भी उन्हें एक भी आदमी नहीं दिया जा रहा है और यहां-वहां आये दिन बिना सहायक के दौड़ाया जाता है. यह कहां तक उचित है? उन्होंने प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई करते हुए उन्हें न्याय देने की मांग की है.

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