Thursday 18 February, 2010

सीनियर डीओएम/मुरादाबाद के कारनामे - 2

पांच हजार रुपए दो, वैगन/रेक लो

गोरखपुर : मुरादाबाद मंडल, .रे. के सीनियर डीओएम प्रफुल्ल गुप्ता कितने शातिर हैं और उन्होंने किस-किस तरह से पार्टियों को परेशान किया, उसके अंदाजा डीएसएम सुगर असमोली और गोविंद दाल मिल, हरदोई की क्रमश: दि. 16.09.09 और 20.09.09 को दी गई लिखित शिकायतों से लगाया जा सकता है, जो कि उन्होंने डीआरएम/मुरादाबाद और सीसीएम/.रे. एवं मेंबर ट्रैफिक/रे.बो. को लिखी थीं.

डीएसएम सुगर कंपनी ने अपनी उक्त शिकायत में लिखा है कि 'हरथला साइडिंग पर उसका कोयले का रेक दि. 15.09.09 को दोपहर 12 बजे प्लेस हो गया था. तथापि उस पर 11.20 बजे से ही पैनल डेमरेज लगाने का आदेश हरथला साइडिंग को दे दिया गया था, जबकि कंपनी द्वारा उक्त रेक को समयानुसार 21 बजे (फ्री टाइम) में ही खाली कर दिया गया. इससे यह ज्ञात होता है कि रेलवे द्वारा जानबूझकर पार्टी को परेशान किया जा रहा है, जबकि पैनल डेमरेज लगाने का कोई औचित्य अथवा आधार भी नहीं बनता है.'

उसी पत्र में कंपनी ने आगे लिखा है कि 'उसका दूसरा रेक हरदुवागंज यार्ड में दि. 15.09.09 को सुबह 11.30 बजे से खड़ा हुआ है जो कि आज दि. 16.09.09 को 25-30 घंटे बाद मात्र कुछ किमी दूरी पर स्थित हरथला साइडिंग तक भी नहीं पहुंचा है, जिससे कंपनी के 200 लेबर रेक आने के इंतजार में सुबह से शाम तक खाली बैठे रहकर वापस चले गए हैं. इससे यह साफ आभास हो रहा है कि पार्टी को जानबूझकर रेलवे द्वारा परेशान किया जा रहा है और जबरदस्ती पैनल डेमरेज लगाने के आदेश दिए गए हैं.' कंपनी ने लिखा है कि 'रेलवे द्वारा यदि उसके रेक पर पैनल डेमरेज लगाया जाता है, तो उसे मजबूर होकर न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा.'

जबकि पैनल डेमरेज लगाने और सीनियर डीओएम प्रफुल्ल गुप्ता द्वारा कंपनी को परेशान किए जाने की सबसे बड़ी विसंगति यह है कि यह आदेश दि. 17.07.09 का है और इसमें सीनियर डीओएम ने सीएनसी को कंपनी के रेक पर एक दिन पहले से यानी 16.07.09 से सात दिन का पैनल डेमरेज लगाने का आदेश दिया है. इसमें सीएफटीएम /.रे. के आदेस का हवाला दिया गया है. इस आदेश की एक प्रति 'रेलवे समाचार' के पास सुरक्षित है. इसी में सीएनसी ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि 'यह आदेश नियमानुसार मानना संभव नहीं है, क्योंकि यह नियम का उल्लंघन होगा. यह तभी लागू किया जा सकता है जबकि संबंधित गुड्स यार्ड/स्टेशन पर इसे 48 घंटे पहले नोटिस बोर्ड में लगाया गया हो.'

इसी प्रकार गोविंद दाल मिल, हरदोई ने भी सीनियर डीओएम/मुरादाबाद मंडल, .रे. प्रफुल्ल गुप्ता द्वारा व्यापारियों को परेशान किए जाने के संबंध में दि. 20.09.09 को दो लिखित शिकायतें क्रमश: मेंबर ट्रैफिक और सीसीएम/ .रे. को भेजी थीं. यह दोनों शिकायतें क्रमश: मेंबर ट्रैफिक और सीसीएम/.रे. को भेजी गई थीं. इन दोनों शिकायतों में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि 'श्री गुप्ता द्वारा रेक (वैगन) एलॉटमेंट के समय व्यापारियों से 5000 रु. मांगा जाता है. यह पैसा एडवांस लेने के बाद ही वह रेक की सप्लाई करते हैं. पैसा देने पर रेक की सप्लाई समय पर करके आगे कभी या फिर असमय में की जाती है, जिससे व्यापारी को रेक की लोडिंग के लिए तुरंत आवश्यक लेबर और ट्रक नहीं मिल पाते हैं तथा ज्यादा पैनल डेमरेज लगाने का उन्हें मौका मिल जाता है.'

गोविंद दाल मिल ने इन शिकायतों में आगे लिखा है कि 'इसके अलावा रेक का जब स्टेशन पर प्लेसमेंट हो जाता है तभी व्यापारी को बताया जाता है और तभी उसे पता चलता है कि उसका रेक लोडिंग के लिए प्लेस हो गया है. दाल मिल ने लिखा है कि इससे पहले रेक की सप्लाई से करीब 7-8 घंटे पहले व्यापारी को बता दिया जाता था, जिससे उसे आवश्यक लोडिंग संसाधन जुटाने में आसानी होती थी. उदाहरण के तौर पर दाल मिल ने लिखा है कि उसका एक इंडेंट 42 बीसीएन गेहूं के लिए दि. 10.09.09 को 18.30 बजे हरेदोई से वेस्ट डील के लिए लगाया गया था लेकिन यह रेक दि. 20.09.09 तक भी नहीं मिला, जबकि 42 बीसीएन गेहूं का इंडेंट जो दि. 1809.09 को रोजा से एमएनडीटी/एसजीडब्ल्यूएफ के लिए लगाया गया था, वह दि. 20.09.09 को ही लोडिंग के लिए मिल गया.

दाल मिल ने लिखा है कि जब इसके लिए उसने मुरादाबाद मंडल कार्यालय से बात की तो सीनियर डीओएम ने मोबाइल पर जवाब दिया कि 'आप तो मुझे कुछ समझते ही नहीं हो, जब उनसे 'समझते' का मतलब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रति रेक 5000 रु. देने पर ही रेक का आवंटन किया जाएगा और ऐसा करने पर आगे के भी रेकों की सप्लाई और प्लेसमेंट मेें परेशानी हो सकती है, की चेतावनी भी जारी कर दी.' शिकायत में कहा गया है कि जब से वर्तमान सीनियर डीओएम यहां आए हैं, तब से हरदोई स्टेशन पर लाइन नं. 5, जो कि रनिंग लाइन है, पर वैगनों का प्लेसमेंट देना/करवाना शुरू कर दिया है, जबकि इस लाइन पर तो प्लेटफार्म की और ही लाइट-पानी की कोई सुविधा उपलब्ध है. यही नहीं इस पर जाने के लिए एकमात्र रेलवे क्रासिंग फाटक भी अक्सर बंद रहता है. इससे वैगन लोडिंग में आवश्यकता से अधिक समय लगता है और व्यापारियों का भारी नुकसान होता है जबकि श्री गुप्ता द्वारा ऐसा जानबूझकर किया जा रहा है.

शिकायत में आगे कहा गया है कि इस संबंध में जब हमने अन्य स्टेशनों के व्यापारियों से पूछा तो उन्होंने भी यही कहा कि 'जल में रहकर मगर से बैर नहीं किया जाता. हम तो प्रति रेक 5000 रु. सीनियर डीओएम को देते हैं, जिससे हमें रेक मिलने में कोई परेशानी नहीं होती है. आप भी सीनियर डीओएम को पैसा दो, तो वह सिर्फ समय से आपको रेक की सप्लाई करेंगे बल्कि प्लेसमेंट मे पहले आपको खबर भी कर देंगे.' उन्होंने लिखा है कि यहां के व्यापारीगण हरदोई से पिछले एक वर्ष के दौरान विभिन्न जगहों के लिए करीब 30 रेक लोड करके करोड़ों रु. की आय रेलवे को दे चुके हैं. यदि इसी तरह उन्हें परेशान किया जाता रहा तो हम सब व्यापारीगण मिलकर अपना माल रेलवे के बजाय सड़क मार्ग से भेजने के लिए मजबूर हो जाएंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी सीनियर डीओएम /मुरादाबाद मंडल प्रफुल्ल गुप्ता की होगी. पत्र में सीनियर डीओएम श्री गुप्ता के खिलाफ अविलंब कड़ी कार्रवाई किए जाने की भी मांग की गई है.
क्रमश:

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