Saturday 6 February, 2010

एआईआरपीएफए का 18 वाँ राष्ट्रीय
अधिवेशन पुरी में संपन्न

सिद्धू और उनके चापलूसों के खिलाफ ड्यूटी
में कोताही बरतने का मामला दर्ज हो

जगन्नाथ पुरी : अखिल भारतीय रेल सुरक्षा बल संगठन ( एआईआरपीएफए ) का 18 वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन 7, 8, 9 जनवरी को भगवन जगन्नाथ की पवित्र नगरी पुरी में संपन्न हुआ. देश भर से आरपीएफ के हजारों प्रतिनिधियों और जोनल/डिविजनल पदाधिकारियों ने इसमें हिस्सा लिया. अधिवेशन में काफी महत्वपूर्ण और गंभीर विषयों पर चर्चा हुई. पहले दिन 7 जनवरी को अधिवेशन का उदघाटन पूर्व रेल राज्य मंत्री एवं सांसद श्री भक्त चरणदास, सांसद श्री कमल किशोर, स्थानीय विधायक महेश्वर मोहंती और रे.सु.. के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कलईअरसन और राष्ट्रीय महामंत्री श्री उमाशंकर झा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया. इस अवसर पर राष्ट्रीय महामंत्री श्री उमाशंकर झा
ने रे.सु.. की समस्याओं को सदन और आमंत्रित नेताओं के समक्ष रखा, जिसमें सबसे मुख्य बात थी - रेलवे में दोहरी पुलिस नीति के चलते रेल यात्रियों को होने वाली परेशानियों और उनके जान-माल की पूरी सुरक्षा हो पाना और दोनों सुरक्षा बलों - जीआरपी और आरपीएफ - द्वारा एक दूसरे पर रोपण और प्रत्यारोपण करना.
श्री झा ने कहा कि सभी विकसित देशों में एक ही रेल पुलिस प्रणाली प्रचलित है. उन्होंने अमेरिका का उदहारण देते हुए कहा कि वहां राज्य ज्यादा शक्तिशाली होते हुए भी वहां पर एक रेल रोड पुलिस पूरे अमेरिका में कार्यरत है. उन्होंने इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए अब समय गया है कि इस विषय पर देश में चर्चा शुरू हो. उन्होंने माननीय सांसदों से इस मुद्दे को संसद पटल पर उठाने का आग्रह किया, श्री झा ने कहा कि कैसे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकती है, जब हम दोनों - जीआरपी और आरपीएफ - मिलकर भी कुल 17,000 यात्री गाडिय़ों में से सिर्फ 1100 गाडिय़ाँ ही एस्कोर्ट कर पा रहे हैं, उन्होंने इसके लिए रिक्त स्थानों की पूर्ति, नयी भर्तियों का हो पाना और आरपीएफ स्टाफ का अधिकारियों द्वारा घरेलू एवं अन्य कार्यों में दुरुपयोग आदि कई कारण बताये.
श्री झा ने कहा की आरपीएफ की संख्या भले ही 70,000 हो, पर वास्तविक तौर पर सिर्फ 50,000 जवान ही रेल की सुरक्षा का कार्य करते हैं, बाकी 20,000 जवानों को बड़े अधिकारियों के घरों पर या उनके व्यतिगत कामो में व्यस्त रखा जाता है. श्री झा ने आरपीएफ में ऊँचे पदों पर आसीन अधिकारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि जिस बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है वह इस फोर्स की लडऩे की ताकत को कमजोर बना देगा. उन्होंने पूरे देश से आये जनप्रतिनिधियों से यह आह्वाहन किया कि वे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों का साथ दें और आरपीएफ जैसी जाँबाज फोर्स से भ्रष्टाचार का निर्मूलन हो, जो देश की प्रगति में सार्थक होगा.
आमंत्रित अतिथियों ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि श्री झा ने जो मुद्दे यात्रियों के जान-माल की सुरक्षा पर उठाये हैं, वह उनकी राष्ट्रवादिता और उनके विवेक का परिचायक है. उन्होंने रेलवे में दोहरी पुलिस नीति को चर्चा का विषय बताते हुए इसका निवारण केंद्र और राज्य सरकारों से जल्द से जल्द करने का आग्रह किया. दोनों सांसदों ने इस मुद्दे को संसद के आगामी सत्र में रखने का आश्वाशन भी दिया. श्री भक्त चरणदास ने कहा कि देश में अफसरशाही का ही बोल-बाला है, नीचे के तबके के लोगों को बात-बात में दबा दिया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि अफसर की भी जवाबदारी तय होना जरुरी है, उन्होंने कहा कि आज तक वे जो भी यूनियन या एसोसिएशन की सभा में गए हैं, वहां पर उनकी अपनी मांगों पर ही चर्चा होती है, पर पहली बार वे इस तरह की एसोसिएशन की सभा में आये है जहाँ यात्रियों की सुरक्षा को अपनी मांगों से ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. उन्होंने उपस्थित आरपीएफ जवानों से कहा कि आपका नेत्तत्व ऐसे नेता (श्री झा) के हाथों में है, जिसे सिर्फ आरपीएफ या रेल यात्रियों की ही नहीं, बल्कि संपूर्ण राष्ट्र के हित की चिंता है.
अधिवेशन के तीनो दिन महामंत्री की रिपोर्ट पर चर्चा होती रही और चर्चा के दौरान जो मुख्य मुद्दों पर गहन चिंतन हुआ वो इस प्रकार हैं-- सीएसटी स्टेशन मुंबई में जो आत्मघाती हमला सीमा पार से भेजे गए आतंकवादियों ने किया, जिसमें निहत्थे 57 यात्रियों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, उसमें मध्य रेलवे आरपीएफ के मुख्य सुरक्षा आयुक्त ( सीएससी ) श्री बी. एस. सिद्धू की घोर लापरवाही और उनके दो चापलूस निरीक्षकों द्वारा आतंकियों पर फर्जी 40 राउंड का प्रहार हर वक्ता का मुख्य विषय रहा और यह मांग की गयी कि जैसे राज्य सरकार ने राम प्रधान कमेटी की जाँच बैठाई थी और इस कमेटी ने यदि श्री सिद्धू की घोर नालायाकियों की जाँच नहीं की है तो इसके लिए अलग से तुरंत जाचं बैठाई जाये, जिससे श्री सिद्दू और उनके चापलूसों के खिलाफ ड्यूटी में कोताही बरतने का मामला तय हो, श्री सिद्दू को दी गयी 5 वर्ष से अधिक प्रतिनियुक्ति की भी जाँच करने की मांग की गयी.
अधिवेशन में दिवंगत पूर्व अध्यक्ष श्री मुरली कृष्ण और आगरा मंडल सचिव बच्चू सिंह को 2 मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गयी और बच्चू सिंह के परिवार को 57000 रुपये आरपीएफ एसोसिएशन की तरफ से सहायतार्थ प्रदान किये गए. इसके साथ ही सेंट्रल रेलवे के महामंत्री श्री एस. आर. रेड्डी को रुपये 1 लाख और . . रे. के पूर्व महामंत्री श्री कैलाश मिश्र को 20,000 रुपये अनुदान के तौर पर प्रदान किये गए.

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