Thursday 18 February, 2010

कुछ आईआरटीएस भी खूंटा
गाड़े बैठे हैं दिल्ली में....

नयी दिल्ली : पिछले अंक में 'रेलवे समाचार' ने इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस (आईआरपीएस) के उन 52 अधिकारियों का विवरण प्रकाशित किया था जो कि पिछले 20-25 वर्षों से लगातार दिल्ली में ही इधर-उधर गुलाटी मार मारकर जमें हुए हैं और जिन्होंने सिर्फ दिल्ली को ही पूरा हिंदुस्तान मान लिया है बल्कि उसके बाहर और कुछ देखा ही नहीं है तथा अन्य कैडर बिरादरी वालों को दिल्ली में घुसने से भी रोके हुए हैं. ठीक इसी तर्ज पर इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (आईआरटीएस) के भी कुछ ऐसे ही अधिकारियों के नाम ज्ञात हुए हैं जो पिछले 25-20 -25-30 वर्षों से लगातार अपना फूंटा गाड़कर बैठे हुए हैं. ये अपना यह खूंटा तो उखाड़ रहे हैं, और ही दिल्ली से बाहर जा रहे हैं, और ही किसी अन्य कैडर बिरादर को दिल्ली आने दे रहे हैं, इन्होंने भी दिल्ली में ही, एक ही जगह, एक ही शहर में रहकर पूरी सर्विस करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार और दिल्ली को अपनी बपौती मान लिया है. इनके ऊपर तो कोई पूर्व स्थापित सरकारी नियमावली लागू हो रही है और ही इस नियमावली को लागू करने की किसी मंत्री-संत्री को कोई परवाह है. दिल्ली में पचीसों वर्षों से जमें ऐसे सभी कैडरों के अधिकारियों पर एक स्टेशन (शहर) में 10 के बाद अन्यत्र स्थानांतरण की स्थापित नीति भी लागू नहीं हो पा रही है, क्योंकि यह सभी एक-दूसरे का हितसाधन कर रहे हैं.

स्थिति यह है कि उत्तर रेलवे में 17 एसएजी/आईआरटीएस अधिकारी ज्यादा (एक्सेस) चल रहे हैं, परंतु इनमें से कोई भी दिल्ली से बाहर जाकर पोस्टिंग लेने को तैयार नहीं है. बल्कि एक खास बिरादरी के कुछ लोगों को पूर्व मेंबर ट्रैफिक ने बुलाकर दिल्ली में बैठा लिया है. इस बिरादरी वाद ने तो आईआरटीएस कैडर का और भी सत्यानाश कर रखा है, जिसके वर्चस्व को बनाये रखने का सतत प्रयास इस बिरादरी के प्रत्येक बड़े भाई (एमटी) द्वारा किया जाता है, इससे इस पूरे कैडर में नीचे स्तर पर और भी ज्यादा हीनभावना तथा ऊपर स्तर पर व्यापक होता जा रहा भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है.

स्थिति यह भी है कि पूरी भारतीय रेल में करीब 48 एसएजी / आईआरटीएस अधिकारी वर्तमान में एक्सेस चल रहे हैं और लगभग प्रत्येक जोनल रेलवे में इनको एडजस्ट करने के लिए पिछले लंबे अर्से से म्युजिक चेयर सिस्टम चल रहा है.

कुछ अधिकारियों का कहना है कि जब वैकेंसी नहीं थी तो इतनी ज्यादा संख्या में प्रमोशन क्यों दिये गये? उनका यह भी कहना है कि यदि प्रमोशन दिया जाना जरूरी ही था तो जहां-जहां वैकेंसी थी, वहां-वहां और उतनी ही संख्या
में प्रमोशन दिए जाने चाहिए थे. इसके लिए इन लोगों को वहां भेजा भी जाना चाहिए था. यदि प्रमोशन कैरीआउट करने के लिए यह लोग तैयार नहीं थे और अन्यत्र जाना नहीं चाहते थे, जो कि प्रमोशन पर यह अनिवार्य शर्त है, कि
अन्यत्र जाना पड़ेगा, तो फिर उन्हें प्रमोशन किस आधार पर और किस नियम के तहत दिए गये? ऐसे 17 लोग दिल्ली में क्यों म्युजिक चेयर खेल रहे हैं, यदि इन्होंने 'ऑन प्रमोशन-ट्रांसफर' स्वीकार नहीं किया था, तो इन्हें यह प्रमोशन क्यों दिया गया? इसके अलावा जब दिल्ली में पहले से ही कई अधिकारी एक्सेस चल रहे थे, तो और लोगों को अनावश्यक रुप से दिल्ली क्यों लाया गया? उनका कहना है कि यह सवाल वर्तमान एवं पूर्व मेंबर ट्रैफिक से पूछा जाना चाहिए और बिरादरीवाद फैलाने तथा उसे संरक्षण देने के लिए उन्हें दंडित भी किया जाना चाहिए.

फिलहाल दिल्ली में 12 साल से लेकर 30 साल और उससे ज्यादा वर्षों, कुछ लोगों के मामले में तो पूरी सर्विस, तक जमें हुए 24 आईआरटीएस अधिकारियों के नाम प्राप्त हुए हैं. जो डीआरएम जैसी एकाध पोस्टिंग अथवा अन्य किसी टसल के चलते दिल्ली से बाहर एक-दो साल रह आये हैं, मगर लगातार दिल्ली में ही बने हुए हैं. उनके नाम इस प्रकार है.....

क्र. अधिकारी का नाम पद नाम दिल्ली में औसत सर्विस
1. श्रीप्रकाश चेयरमैन/एचपीसी अधिकतम
2. प्रदीप भटनागर एडवाइजर/इंफ्रास्ट्रक्चर अधिकतम
3. इंद्र घोष एडवाइजर/रेट्स अधिकतम
4. विक्रम चोपड़ा डाइरेक्टर/क्रिस अधिकतम
5. सुनील माथुर ईडी/टी एंड सी 27 साल
6. मुकेश निगम ईडी/कोचिंग 25 साल अधिकतम
7. सुचितो ईडी/टीटी/एफ 17 साल
8. एस. के. दास ईडी/टीटी/एफ 13 साल
9. दीपकनाथ ईडी/टीटी/एम 14 साल
10. एच. डी. गुजराती ईडी/एफएम अधिकांश
11. आर. बी. दास ईडी/सी एंड आईएस पूरी सर्विस
12. डॉ. पी. के. गोयल सीसीएम/यूटीएस/.रे. पूरी सर्विस
13. एस. एस. नेगी सीसीएम/कैटरिंग पूरी सर्विस
14. एस. बी. रॉय डाइरेक्टर/क्रिस पूरी सर्विस
15. कुंदन सिन्हा पूर्व एसडीजीएम/.रे. पूरी सर्विस
हाल में कोलकाता गए
16. सतीश चंद्रा कांकोर पूरी सर्विस
17. अर्चना जोशी रजिस्ट्रार/क्रिस पूरी सर्विस
18. सीमा कुमार वर्मा - पूरी सर्विस
19. सीमा धीर - पूरी सर्विस
20. राजीव सक्सेना ईडी/वी/टी/रे.बो. 12 साल
21. डी.के. सिंह प्रतिनियुक्ति पर अधिकांश
22. एन. एन. ओझा - अधिकांश
23. अमित वर्धन कच्छ रेलवे कं. अधिकांश
24. सुहास कुमार - अधिकांश

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