Thursday 18 February, 2010

विवेक सहाय को बचाने हेतु
लीपापोती करने में जुटा है रे.बो.

इलाहाबाद : पूर्व महाप्रबंधक, ..रे. एवं .रे. तथा वर्तमान मेंबर ट्रैफिक/रे.बो. विवेक सहाय के कुकर्मों पर पर्दा डालने और लीपापोती करने का प्रयास लगातार रेलवे बोर्ड विजिलेंस द्वारा किया जाना जारी है. यह प्रयास डिप्टी डायरेक्टर/विजिलेंस (इंटेलीजेंस) के मातहत चल रहा है.

विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 10 एवं 11 फरवरी को लगातार दो दिन ..रे. मुख्यालय इलाहाबाद में रहकर रे.बो. विजिलेंस की इंटेलीजेंस ब्रांच के 2-3 आरपीएफ इंस्पेक्टरों ने यहां के मुख्य कार्मिक अधिकारी/ प्रशासन (सीपीओ/), उप मुख्य कार्मिक अधिकारी/अराजपत्रित (डिप्टी सीपीओ/एनजी) और सहायक कार्मिक अधिकारी/भर्ती (एपीओ/रिक्रूटमेंट) तथा सहायक कार्मिक अधिकारी/मुख्यालय (एपीओ/एचक्यू) के बयान लिपिबद्ध किए हैं.

इसके अलावा इन इंस्पेक्टरों ने वरिष्ठ कार्मिक आधिकारी/कल्याण (एसपीओ/वेलफेयर) को सोमवार 15 फरवरी को रेलवे बोर्ड में तलब किया है. सूत्रों का कहना है कि बोर्ड के इन इंटेलीजेंस इंस्पेक्टरों की पूछताछ, हावभाव और समस्त कार्यप्रणाली तथा संदिग्ध प्रक्रिया को देखने के बाद यह निष्कर्ष निकलता है कि किसी प्रकार इनको और बोर्ड को यह स्थापित करना है कि '..रे. में ग्रुप 'डीÓ की वैकेंसी बहुत ज्यादा थींं और रेल का कामकाज प्रभावित हो रहा था, इसलिए विभागीय प्रमुखों की मांग पर तत्कालीन महाप्रबंधक (विवेक सहाय) ने अपने अधिकार के तहत यह भर्तियां की थीं.'

उल्लेखनीय है कि गत दिसंबर से बोर्ड की इस इंटेलीजेंस ब्रांच का यह सिलसिला चल रहा है और वह ..रे. के विभिन्न कार्मिक अधिकारियों को दबाव में लेकर उनसे ऐसा बयान लेने की कोशिश कर रही है कि जिससे उपरोक्त तथ्य को स्थापित करके सारे मामले पर लीपापोती की जा सके. जबकि डिप्टी सीवीओ/एम (पत्र सं. विजि. /एनसीआर/एम/जनरल/02 दि. 29.10.09 और समसंख्यक पत्र दि. 18.11.09) द्वारा मांगी गई तत्संबंधी समस्त जानकारी कार्मिक विभाग (पत्र सं. 797-/एफएफई/एनसीआर/विजि.-09-10 दि. 19.1.09 एवं समसंख्यक पत्र दि. 10.12.109) द्वारा मांगे गए फार्मेट के अनुसार संपूर्ण रूप से दे दी गई है. जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि समस्त आवेदन महाप्रबंधक (विवेक सहाय) द्वारा सीधे कार्मिक विभाग को प्राप्त हुए थे.

इस बात के पुख्ता प्रमाण भी उपलब्ध हैं कि उम्मीदवारों के आवेदन (जिनमें एक में सिर्फ महाप्रबंधक महोदय और दूसरे में - 'रेल महाप्रबंधक महोदय, भारत सरकार, नई दिल्ली' लिखा है, इसमें हाथ से श्री सहाय द्वारा '..रे.' लिखा गया है) यह आवेदन पत्र 'प्लीज प्रोसेस' और 'ही मे बी पोस्टेड ऐज खलासी इन झांसी वर्कशाप सब्जेक्ट टू वेरीफिकेशन' लिखकर स्वयं विवेक सहाय ने सीधे सीपीओ/..रे. को भेजे हैं. यह सारे उम्मीदवार बिहार के हैं.

कार्मिक विभाग के उपरोक्त समसंख्यक पत्र दि. 19.11.09 के पैरा नं. 8 में साफ तौर पर लिखा है कि 'अप्लीकेशंस वेयर रिसीव्ड थ्रू जीएम्स सेल डायरेक्टली' और पैरा-9 में 'जनरल मैनेजर हिमसेल्फ रिकमंडेड फार एंगेजमेंट ऐज सब्स्टीट्यूट'. जबकि श्री सहाय द्वारा की गई भर्ती से संबंधित कुल 299 फाइलें बोर्ड विजिलेंस (इंटेलीजेंस) को सौंपे जाने की जानकारी इसी पत्र के पैरा नं. 5 में दी गई है. पैरा-6 में कहा गया है कि वैकेंसी तो हैं, मगर उनकी सही जानकारी नहीं इकट्ठी की गई है. इसी पत्र में दि. 22.12.07 को नोटिफिकेशन के आधार पर आरआरसी/..रे. द्वारा गु्रप 'डी' में 2968 लोगों की भर्ती किए जाने की जानकारी दी गई है.

सूत्रों का कहना है कि इतने सारे उपलब्ध प्रमाणों के बावजूद बोर्ड विजिलेंस द्वारा लीपापोती करने का प्रयास किया जा रहा है. सूत्रों का तो यह भी कहना है कि अब स्वयं विवेक सहाय भी अपने स्थापित दोगले चरित्र का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए यह कहते सुने जा रहे हैं कि 'इस मामले में उनका कोई दोष नहीं है, उन्होंने तो वही किया जो तत्कालीन रेल मंत्री ने उनसे करने के लिए कहा था.' सूत्रों ने बताया कि उन्होंने यही बात कहकर और अपनी तथाकथित ईमानदारी की दुहाई दिलवाकर उस प्रत्येक व्यक्ति को अपने पक्ष में करके पटा रहे हैं, जो आगे उन्हें परेशानी में डाल सकता है.

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