Thursday 18 February, 2010

स्कूल में प्राचार्य की अवैध वीडियोग्राफी

कल्याण : रेलवे स्कूल कल्याण में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस को उल्टा राष्ट्र ध्वज फहराये जाने के प्रकरण से बौखलाए स्कूल के प्राचार्य जी. एस. पाठक द्वारा स्कूल में खासतौर पर महिला अध्यापकों और छात्राओं सहित सभी
विद्यार्थियों और अध्यापकों की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करवाई जा रही है. रोजाना यह अवैध शूटिंग किए जाने से महिला अध्यापकों सहित 10वीं-12वीं की वयस्क छात्राओं को भारी असुविधा और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है.

इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ महिला एवं पुरुष अध्यापकों ने लिखित रूप से प्राचार्य की इस अवैध एवं अनधिकृत और अनैतिक हरकत का विरोध किया है तथा इस बारे में रेल प्रशासन को भी लिखित रूप से सूचित
किया है. स्कूल सूत्रों का कहना है कि रेल प्रशासन ने प्राचार्य को इस संबंध में कोई अनुमति नहीं दी है. इसके अलावा स्कूल में रोजाना इस तरह की कोई भी गतिविधि सिर्फ कानूनन अवैध है बल्कि पूरी तरह से अनैतिक भी है, जबकि स्कूल में 80 प्रतिशत संख्या महिलाओं की है और किसी व्यक्ति की अनुमति एवं जानकारी के बिना उनकी फोटो खींचना एवं वीडियो बनाना कानूनन दंडनीय अपराध भी है.

सूत्रों का कहना है कि कार्यालय में पहले प्राचार्य द्वारा कई अश्लील वेबसाइटों को देखकर अपनी कामपिपासा की पूर्ति की जाती थी. जबसे सरकार ने सरकारी कार्यालयों में ऐसी सभी वेबसाइटों पर पाबंदी लगाकर उन्हें प्रतिबंधित कर दिया है तब से प्राचार्य की छिपी हुई यौन पिपासाओं की पूर्ति नहीं हो पा रही है. सूत्रों का कहना है कि वीडियो एवं फोटोग्रापी के जरिए प्राचार्य द्वारा महिला अध्यापिकाओं एवं वयस्क छात्राओं के किन-किन शारीरिक अंगों को क्लोजअप में लिया जा रहा है और उनका प्राचार्य द्वारा कहां और कैसा 'इस्तेमाल' किया जाने वाला है, यह सोच-सोचकर सभी परेशान हैं. उन्होंने प्राचार्य की इस अवैध, अनैतिक एवं अश्लील हरकत पर सिर्फ तुरंत पाबंदी लगाने के साथ ही उन्हें तुरंत हटाने की भी मांग की है.

उल्लेखनीय है कि 27 जनवरी को स्कूल में सुरक्षा की कोताही और प्राचार्य की लापरवाही से एक रिक्शा वाला स्कूल में सरेआम घुसकर यहां ऊपरी कक्षा में पढऩे वाली छात्रा, जो कि एक रेलकर्मी की लड़की है, को जबरन भगा कर ले
गया. उक्त छात्रा का अब तक पता नहीं चल सका है. प्राचार्य ने इस घटना की रिपोर्ट भी पुलिस में करने की जरूरत नहीं समझी. यही नहीं हाल ही में एक टीचर ने गुस्से में एक छात्र की शर्ट (यूनिफार्म) फाड़ ड़ाली, तब कुछ छात्रों एवं पैरेंट्स ने प्राचार्य के चेंबर में ही उक्त टीचर की लानत-मलामत की. इसके अलावा स्कूल में जहां प्राचार्य द्वारा किसी बाहरी व्यक्ति को घुसने देने की हिदायद है और इसके लिए 4-5 वाचमैन रखे गए हैं, जहां प्राचार्य के आदेश से सुबह 8 बजे ही स्कूल के गेट अध्यापकों को परेशान करने के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जबकि वह खुद 10 बजे आते हों, और पिछले दो वर्षों में स्कूल का समय मिड-टर्म में 6 बार बदला हो, वहीं खुद प्राचार्य से जुड़े कुछ असामाजिक तत्व गाहे-बगाहे स्कूल में घुसकर छात्रों, उनके अभिभावकों और अध्यापकों को धमकाने वाली भाषा बोलते हैं- जैसे 'प्राचार्य को यदि कोई परेशान करेगा तो उसे सही सबक सिखाया जाएगा.'

ऐसी स्थिति में यहां कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है. रेल प्रशासन की अनदेखी के कारण यह आदर्श रेलवे स्कूल सिर्फ पूरी तरह बरबाद हो चुका है बल्कि भ्रष्टाचार, अनाचार, कदाचार, अनैतिकता, अन्याय और उत्पीडऩ का केंद्र बन चुका है. यहां प्राचार्य की अनैतिकताओं के कारण एकाध को छोड़कर महिला अध्यापिकाओं और वय:संधि की दहलीज पार कर रही स्कूल की छात्राओं की इज्जत, मान-सम्मान भी सुरक्षित नहीं रह गया है.

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