Thursday 18 February, 2010

केबीएल मित्तल आखिर हटाये गये

आखिर रेलमंत्री को समझ में गई मित्तल की चालबाजी
देर से हुआ, मगर जो हुआ अच्छा हुआ
सेक्रटरी रे.बो. के पद पर बैठकर मंत्री को दे रहे थे धोखा

नयी दिल्ली : तथाकथित प्रबंधन गुरु और महाचालबाज राजनीतिज्ञ पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव द्वारा सेक्रेटरी /रेलवे बोर्ड के पद पर अवैध रूप से और नियम विरुद्ध बैठाये गये के.बी.एल. मित्तल को आखिर हटाया गया. रेलमंत्री का यह कदम इतना अप्रत्याशित रहा है कि पूरा रेलवे बोर्ड सकते में गया और श्री मित्तल को, उनकी ही सबसे ज्यादा मदद से मेंबर ट्रैफिक बने विवेक सहाय भी नहीं बचा पाये, जो कि आजकल मंत्री की जूतियां अपने सिर रखकर उनके सबसे बड़े विश्वासपात्र बन गये हैं.

रेलवे बोर्ड के हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि श्री मित्तल सेक्रेटरी/रे.बो. के पद पर बैठकर रेलमंत्री को भी धोखा दे रहे थे और उत्तर रेलवे का महाप्रबंधक बनने की जोड़तोड़ में लगे थे. ज्ञातव्य है कि श्री मित्तल को डीजी/ आरडीएसओ बनाकर लखनऊ भेजे जाने का प्रस्ताव करीब 15 दिन पहले ही डीओपीटी के माध्यम से कैबिनेट को भेजा गया है. सूत्रों का कहना है कि श्री मित्तल डीजी/आरडीएसओ नहीं बनना चाहते हैं और इसलिए वह अपने सूत्रों से दिल्ली में ही .रे. का महाप्रबंधक बनने की जोड़-तोड़ कर रहे थे.

सूत्रों का यह भी कहना है कि श्री मित्तल की ही लॉबिंग के फलस्वरूप उन्हें और श्री बुधलाकोटि को क्रमश: डीजी/ आरडीएसओ और जीएम/.रे. बनाए जाने की 15-20 दिन पहले भेजी गई फाइल डीओपीटी से आगे नहीं बढ़ पाई थी. इस बात की जानकारी रेलमंत्री को मिलते ही उन्होंने श्री मित्तल को तत्काल सेक्रेटरी/रे.बो. के पद से हटाकर फिलहाल उन्हें घर बैठाने का निर्णय ले लिया. इस निर्णय का सभी अधिकारियों ने स्वागत किया है.

सूत्रों का कहना है कि हालांकि श्री मित्तल ने इसके लिए कोई ज्ञापन कैबिनेट सेक्रेटरी अथवा पीएमओ को नहीं दिया था, परंतु वह ऐसा कुछ कर रहे थे कि रेलमंत्री का प्रस्ताव ही वापस कर दिया जाये और उन्हें .रे. का महाप्रबंधक बनाने को प्रस्ताव बनाकर दुबारा भेजा जाये. सूत्रों के अनुसार इसीलिए उक्त फाइल डीओपीटी से 15-20 दिन में भी आगे नहीं बढ़ पाई थी.

सूत्रों का कहना है कि इस बात की जानकारी रेलमंत्री को मिलते ही वह अपने सर्वज्ञात स्वभाव के अनुसार उबल पड़ीं और उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि यह व्यक्ति सिर्फ पूर्व रेलमंत्री के कदाचार एवं भ्रष्टाचार में बराबर का शरीक रहा है बल्कि जोड़-तोड़ में भी बहुत माहिर है. सूत्रों का कहना है कि अपने साथ धोखा किए जाने और अपने प्रस्ताव को टर्न डाउन कराये जाने की श्री मित्तल की कोशिशों का पता लगते ही रेलमंत्री ने उन्हें तुरंत सेक्रेटरी/रे.बो. के पद से हटाकर घर बैठाने का निर्णय ले लिया. सूत्रों का कहना था कि इसमें उन्हें कोई नहीं बचा पाया. वह भी नहीं, जो कि पद पर दिसंबर 2009 से पहले उनको एक्सटेंशन दिलवाने के लिए रेलमंत्री को गुमराह करने में कामयाब रहे थे. ज्ञातव्य है कि श्री मित्तल, श्री संजीव हांडा, वर्तमान जीएम/पू..रे. और श्री एच. सी. जोशी
वर्तमान जीएम/ एनसीआर से जूनियर हैं तथापि पूर्व रेलमंत्री ने बिहार की रेल फैक्ट्रियों और रेल परियोजनाओं के जरिए पूर्व अपने भ्रष्टाचार एवं कदाचार में बराबर के भागीदार रहे श्री मित्तल को 'आऊट ऑफ वे' सेक्रेटरी /रे.बो. के पद पर बैठा दिया था.

सूत्रों का कहना है कि श्री मित्तल पूर्व रेलमंत्री के सबसे ज्यादा करीबी वफादार और विश्वासपात्र रहे थे. यह बात शुरू से रेलमंत्री ममता बनर्जी की जानकारी में थी और बार-बार उनकी इस पदस्थापना को लेकर सवाल उठाये जाते रहे हैं. मगर तब रेलमंत्री की समझ में नहीं आया था. परंतु अब जब श्री मित्तल स्वयं उनके ही साथ धोखाधाड़ी करते उनकी नजर में आये हैं, तब उनकी समझ में आया है कि श्री मित्तल वास्तव में क्या हैं? तथापि करीब एक साल से ज्यादा सेक्रेटरी /रे.बो. के पद पर उनके बैठने से श्री राजीव भार्गव जैसे कर्मठ रेल अधिकारियों का जो नुकसान होना था, वह तो हो ही चुका है, जिसकी भरपाई अब ममता बनर्जी चाहें तो भी होनी मुश्किल है.

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