Saturday 13 February, 2010

रेलवे डॉक्टर के घर और कार्यालय में सीबीआई का छापा

लाखों के कमीशन और दवा कंपनियों के खर्च पर विदेश भ्रमण का पता चला
भायखला रेलवे अस्पताल कमीशनखोरी को लेकर बने हैं डॉक्टरों के अलग-अलग गुट
20-25 सालों से इसी अस्पताल में जमें हैं अधिकांश डॉक्टर
दस साल की ट्रांसफर पॉलिसी नहीं लागू कर रहा है रेल प्रशासन.
रेल प्रशासन की अकर्मण्यता से मिल रहा है भ्रष्टाचार को बढ़ावा
27 साल पहले से लगातार भायखला रेलवे अस्पताल में कार्यरत एक महिला डॉक्टर
को मात्र दो माह में ही भुसावल से वापस लाया गया
जबकि अन्य डॉक्टरों के ट्रांसफर आदेश पूर्वाग्रहों एवं पक्षपातों के चलते
रद्द किये गए.

मुंबई : सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा ने शुक्रवार, 29 जनवरी को डॉ. भीमराव आंबेडकर म.रे. अस्पताल की एक महिला डॉक्टर श्रीमती सविता गांगुर्डे, सीनियर डीएमओ/नेफ्रोलॉजी, के घर-कार्यालय सहित 5 ठिकानों पर फ्रॉड और आपराधिक व्यवहार-व्यापार की जांच के लिए छापामार कार्रवाई की है. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने डॉ. श्रीमती गांगुर्डे के खिलाफ अवैध रूप से दवा कंपनियों एवं सप्लायरों से लाखों रु. का गैरकानूनी कमीशन लिए जाने का मामला दर्ज किया है.

डॉ. श्रीमती गांगुर्डे पर कथित आरोप है कि डायलिसिस संयंत्रों एवं दवाओं की खरीद के लिए वर्ष 2003 से अब तक करीब 3 करोड़ रु. के जो टेंडर जिन फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों को दिए उनकी बिना पर उन्होंने दवा कंपनियों के खर्च पर कई बार विदेश भ्रमण किया. सीबीआई अधिकारियों का दावा है कि डॉ. श्रीमती गांगुर्डे ने दवा कंपनियों से 5 से 10 प्रतिशत कमीशन लेकर अपने पद और पोजीशन का बेईमानीपूर्ण दुरुपयोग किया, जिससे रेलवे और भारत सरकार को गैरकानूनी रूप से काफी नुकसान हुआ है. इसी 'डील' के आधार पर वे कई बार यूरोप की ट्रिप पर गईं जिनका सारा खर्च निजी फार्मा कंपनियों द्वारा वहन किया गया है.

डॉ. श्रीमती सविता गांगुर्डे, जो कि पिछले करीब महीने से लंबे अवकाश पर हैं, के घर का लैंड लाइन नंबर बदल जाने और उनका आबंटित सीयूजी मोबाइल आउटऑफ सर्विस होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका, तथापि पता चला है कि उनका कहना है यह सब झूठा मामला है और उनके खिलाफ किसी ने साजिश की है. उनका कहना है कि सीबाआई ने उनका आधा-अधूरा बयान लिया है. जबकि सीबीआई ने सुबह करीब 7 बजे भायखला रेलवे अस्पताल स्थित उनके कार्यालय एवं निर्मल पार्क स्थित आवास में एक साथ छापा मारा, जोकि इस मामले में महीनों तक चली जांच के बाद की कार्रवाई है. डीआईजी/सीबीआई/एसीडब्ल्यू श्री प्रवीn सालुंखे ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि वे जब जरूरत पड़ेगी तब डॉ. श्रीमती गांगुर्डे को गिरफ्तार भी करेंगे.

सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि डॉ. श्रीमती गांगुर्डे के बैंक खातों का विवरण इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि फार्मा कंपनियों ने किस तरह उनके बैंक खातों में फंड ट्रांसफर किया. इस छापामारी से आश्चर्यचकित अस्पताल के एमडी डॉ. महेंद्र लाकड़े का कहना है कि सीबीआई वाले अचानक अस्पताल में घुस आए, उन्होंने उनसे कोई अनुमति नहीं ली और न ही उन्हें कुछ बताया कि यह छापा किस बारे में डाला जा रहा है. उनका कहना है कि सीबीआई वालों ने उन्हें सिर्फ इतना ही बताया कि वे कौन-कौन से दस्तावेज लेकर जा रहे हैं. जबकि सीबीआई ने अस्पताल से मेडिकल खरीद संबंधी बिलों और वर्ष 2003 से 2009 के दरम्यान की दवा कंपनियों की इन्वाइस सहित हजारों पन्नों के कागजात जांच के लिए जब्त किए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार सीबीआई ने इस मामले में सह अभियुक्त बिजल जगदड़ नामक फार्मा प्रतिनिधि के अंधेरी स्थित वरसटर ऑफिस पर भी छापा मारा है. जबकि डॉ. श्रीमती गांगुर्डे के चारकोप स्थित निजी आवास की भी तलाशी ली गई है. जहां से उनका पासपोर्ट, बैंक एकाउंट्स डिटेल्स और कई अन्य संदिग्ध दस्तावेजों को जब्त किया गया है. सीबीआई का कहना है कि उसे मिली शिकायत के आधार पर वे इस मामले का एक टेस्ट केस की तरह भी परीक्षण कर रहे हैं कि लंबे समय से एक ही जगह पदस्थ सरकारी कर्मचारी किस तरह निजी कंपनियों को फेवर करके सरकारी फंड का अपने हित में इस्तेमाल कर रहे हैं.

बहरहाल, इससे पहले भी म.रे. के 2-3 डॉक्टर सीबीआई की गिरफ्त में आ चुके हैं. तथापि लंबे समय से रेल प्रशासन कुछ डाक्टरों को 10 साल की ट्रांसफर पालिसी के तहत अन्यत्र नहीं शिफ्ट कर रहा है. इस तरह जहां प्रशासन खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है, वहीं लंबे समय से एक ही जगह कार्यरत इन डॉक्टरों के स्थानीय फार्मा कंपनियों और अस्पतालों के साथ गहरे रिश्ते जुड़ जाने से भारी कमीशनबाजी और बड़े पैमाने पर विदेशी टूर निजी फार्मा कंपनियों के खर्चे पर हो रहे है. तथापि रेल प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है. यहां तक कि भायखला रेलवे अस्पताल में इस कमीशनबाजी को लेकर डॉक्टरों के अलग-अलग गुट बने हुए हैं. इन गुटों और इनकी कमीशनखोरी तथा इनके एक ही जगह कार्यरत होने की अवधि के बारे में अगले अंकों में पढ़ें क्रमश:....

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