Saturday 6 February, 2010

राजीव भार्गव को और अधिक
परेशान करने पर उतारू रेलवे बोर्ड

नयी दिल्ली : एसीआर खराब किए जाने के मामले में न्याय पाने के लिए कैट की शरण में गए वरिष्ठ इंजी. अधिकारी और जीएम पैनलिस्ट श्री राजीव भार्गव को 'तारीख पर तारीख' के अदालती मकडज़ाल में उलझाकर रेलवे बोर्ड और इसकी महातिकड़मी नौकरशाही और ज्यादा परेशान करने पर उतारू हो गई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 नवंबर 2009 के पहले वाली तारीख में कैट द्वारा श्री भार्गव के लिए एक जीएम पोस्ट खाली रखने का जो आदेश दिया गया था, उससे बोर्ड के बाबुओं की नींद हराम हो गई थी, क्योंकि इस आदेश के चलते तब जीएम्स की पोस्टिंग अटक गई थी. हालांकि एनएफआर की जगह खाली दिखाकर बाद में 7 महाप्रबंधकों की पोस्टिंग और दो का लेटरल ट्रांसफर किया गया था. इसके बाद 30 नवंबर 09 की तारीख में रे.बो. अपनी कानूनी तिकड़मों से यह आदेश कैट से निरस्त कराने में सफल रहा. इसके लिए बोर्ड के बाबुओं ने मोटी-मोटी सरकारी फीस पर कई बड़े वकीलों को श्री भार्गव के खिलाफ कैट के समक्ष खड़ा किया है. जिससे ऐसा लगता है कि बोर्ड के कुछ बाबू श्री भार्गव को अब रेलवे की नौकरी में रहने देना नहीं चाहते हैं.

पता चला है कि जैसे ही एक जगह खाली रखने वाला कैट का पूर्व आदेश निरस्त कराने में बोर्ड के बाबू सफल हुए वैसे ही पुन: 'तारीख पे तारीख' का सिलसिला शुरू हो गया. 30 नवंबर के बाद 17, 23 दिसंबर 2009 और 5, 7, 8, 11 जनवरी 2010 की तारीखों पर रे.बो. के बाबू लोग यह सिलसिला जारी रखे हुए हैं. बताते हैं कि 11 जनवरी की तारीख में बोर्ड के कुछ वकीलों ने पुन: 'कुछ चीजों की जानकारी लेनी है' का बहाना बनाकर अब 21 जनवरी की तारीख ली है. इससे पहले 5 और 7 जनवरी को भी यही बहाना बनाया गया था. यहां तक कि सूत्रों का कहना है कि बोर्ड के बाबू लोग मामले को कैट के बोर्ड में ही नहीं लगने देने की तिकड़म करते रहते हैं. बताते हैं कि 8 जनवरी को तारीख में यही हुआ था और तब 8 जनवरी का कैट में जाकर श्री भार्गव को अपना मामला 11 जनवरी के बोर्ड में रखने का आग्रह करना पड़ा. अब देखते हैं कि तारीखों में बोर्ड के बाबू क्या तिकड़म भिड़ाते हैं.

कई इंजी. अधिकारियों का कहना है कि जहां एमटी की पोस्ट को मात्र 15 दिन के अंदर भरा जाता है, वहीं रेलवे के ढांचागत विकास से जुड़ी एएम/वक्र्स/रे.बो. जैसी महत्वपूर्ण पोस्ट को पिछले करीब 6 महीने से खाली रखा गया है, जबकि इस पद पर श्री भार्गव की पोस्टिंग की फाइल पिछले लगभग 5 महीनों से मंत्री के चेंबर में पड़ी है, जिसे देखने की फुर्सत भी मंत्री के पास नहीं है, और अपने करीब तीन साल के कार्यकाल में लगभग 500 कि.मी. से ज्यादा रेल लाइन का निर्माण करने वाले श्री भार्गव जैसे कर्मठ एवं कर्तव्यनिष्ठ वरिष्ठ रेल अधिकारी को दर-दर भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उनका कहना था कि बोर्ड के कुछ बाबुओं और उनकी भ्रष्ट नीतियों ने भा. रे. को बरबादी की कगार पर पहुंचा दिया है.

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