Thursday 18 February, 2010

.रे. मेडिकल विभाग की संपूर्ण
कार्यप्रणाली की जांच हो

मुंबई : गत माह म.रे. की एक महिला डॉक्टर श्रीमती सविता गांगुर्डे के 4-5 ठिकानों पर छापा मारकर सीबीआई ने करोड़ों की अघोषित एवं आय से अधिक संपत्ति तथा निजी फार्मा कंपनियों से लिए गये लाखों के कमीशन और उनके खर्च पर विदेशों में भ्रमण के मामले का पता लगाया है. परंतु अब हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि भारी दबाव के चलते सीबीआई द्वारा इस मामले को हलका किया जा रहा है और इसी वजह से प्रामाणिक सबूतों के मौजूद होने के बावजूद अब तक सीबीआई ने डॉ. श्रीमती सविता गांगुर्डे को गिरफ्तार नहीं किया है.

उधर अदालत ने डॉ. श्रीमती गांगुर्डे को 10 दिन की गिरफ्तारी पूर्व जमानत इस शर्त के साथ दे दी है कि वे जांच में सहयोग करेंगी और प्रतिदिन सीबीआई मुख्यालय तन्ना हाउस में अपनी हाजिरी लगाएंगी. इसके बाद अदालत इस बात का निर्णय लेगी कि उनकी गिरफ्तारी जरूरी है कि नहीं. प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्व सीएमडी/म.रे. ने यहां पर अपनी एक बिरादरी लॉबी खड़ी की थी और बिरादर होने का लाभ डॉ. श्रीमती गांगुर्डे के पतिदेव डॉ. महेंद्र गांगुर्डे को भी मिला है. उन्हें मुख्यालय में सीएचडी के महत्त्वपूर्ण पद पर बैठाया गया, जबकि इस पद पर पहले स्तर के वरिष्ठतम मेडिकल अधिकारी को नियुक्त किया जाता है, जबकि डॉ. महेंद्र गांगुर्डे अभी काफी जूनियर हैं.

इसका कारण यह बताया जाता है कि उच्च अधिकारी के बंगले पर अपनी मेडिकल सेवाएं अर्पित करने के पुरस्कारस्वरूप यह सीनियर मोस्ट और अति संवेदनशील पोस्ट इन्हें प्राप्त हुई है.

इसी प्रकार पूर्व सीएमडी/म.रे. ने डॉ. श्रीमती अरुंधती मालवीय का भी 'मंगल' किया था. वह डॉ. मालवीय पर तो इतने ज्यादा मेहरबान हुए कि उन्हें मात्र कुछ ही महीनों बाद भुसावल से सीधे मुख्यालय में लाकर अपनी बगल में बैठा लिया था, जबकि वह डिप्टी सीएमडी/एच एंड एफडब्ल्यू के पद के काबिल नहीं हैं और जूनियर मोस्ट हैं. मगर पूर्व सीएमडी ने उनको अपनी वफादार बनाने के लिए तत्कालीन डिप्टी सीएमडी/एच एंड एफडब्ल्यू डॉ. श्रीमती मधु प्रसाद को हटाकर परेल हेल्थ यूनिट में भेज दिया था, जबकि डॉ. श्रीमती प्रसाद न सिर्फ डॉ. मंगला से सीनियर हैं, बल्कि ईमानदार और अत्यंत व्यवहार कुशल भी हैं. मगर मेनीपुलेटरों और कर्मचारियों के सामने आजकल ईमानदारों और कर्तव्यनिष्ठों की कोई कदर नहीं रह गई है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. श्रीमती मालवीय पिछले करीब 15-16 वर्षों से लगातार मुंबई में ही कार्यरत हैं. इन्हें गत वर्ष भुसावल ट्रांसफर किया गया था. मगर मात्र 4 महीनों में यह बच्चे की बीमारी का बहाना बनाकर मुंबई वापस आने में सफल रही थी. इससे पहले जब वर्ष 1995-96 में इनको कल्याण रेल अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था, तब भी अपने बांझपन का इलाज कराने के बहाने इन्होंने कल्याण जाने से मना कर दिया था. इस बार भी बच्चे की मानसिक बीमारी (?) का इलाज कराने के बहाने भुसावल से वापस आने में कामयाब रही हैं, जबकि अन्य डॉक्टरों का कहना है कि छोटे बच्चों का सोते समय बिस्तर में पेशाब कर देना कोई मानसिक बीमारी नहीं होती है, ऐसा तो छोटेपन में डॉ. श्रीमती मालवीय ने भी किया होगा. तथापि यदि ऐसा था भी, तो इस बीमारी के विशेषज्ञ डॉक्टर भुसावल से नजदीक नागपुर में मौजूद थे.

प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. श्रीमती एन. के. मंगला ने लगातार ड्यूटी पर रहते हुए और रेलवे के संपूर्ण खर्च पर भायखला अस्पताल में रहकर चाइल्ड हेल्थ पर 3 साल का पोस्ट ग्रेजूएट डिग्री कोर्स किया है, तो कम-से-कम 3 साल तक उन्हें किसी रेलवे अस्पताल में रखकर बच्चों के इलाज में लगाया जाना चाहिए था, जबकि चाइल्ड केयर की पोस्टें सोलापुर और नागपुर के डिवीजनल अस्पतालों में काफी लंबे अर्से से खाली पड़ी हैं और वहां इसके लिए कोई डॉक्टर नहीं है. यही नहीं उनसे काफी सीनियर डॉ. श्रीमती भानुमति शेखर को चाइल्ड केयर के लिए ही भायखला से हटाकर कल्याण भेजा गया है जो कि पश्चिमी उपनगर से कल्याण के बीच रोजाना लेफ्ट-राइट कर रही हैं. मगर उनसे काफी जूनियर डॉ. श्रीमती मालवीय को मुख्यालय में पूर्व सीएमडी ने वरिष्ठ डॉ. श्रीमती मधु प्रसाद को हटाकर अपनी देखभाल के लिए बैठा लिया था. प्राप्त जानकारी के अनुसार भायखला रेलवे अस्पताल में डॉ. श्रीमती एम. गौर, सीनियर डीएमओ/आप्थैत्मोलॉजिस्ट, डॉ. श्रीमती मेंमुना बहादुर, सीनियर डीएमओ/ आप्थैल्मोलॉजिस्ट, डॉ. रीनादास, सीनियर डीएमओ/आप्थैल्मोलॉजिस्ट डॉ. पी. के. शर्मा, सीनियर डीएमओ/ पैथालॉजिस्ट, डॉ. बी. आर. बनसोड़े, सीनियर डीएमओ/ फीजिशियन एंड कार्डियाक, डॉ. एस. बी. गुप्ता, चीफ कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. डी. के. नाहर, सीनियर डीएमओ/रेडियोलॉजिस्ट आदि सहित कई अन्य डॉक्टर यहां पिछले 15-20 वर्षों से भी ज्यादा समय से लगातार एक ही जगह कार्यरत हैं. इनमें से एक ग्रुप विशेष को ही निजी फार्मा कंपनियों की मेहरबानी और कमीशन तथा विदेश भ्रमण जैसी तमाम स्थानीय एवं विदेशी सुविधाएं मिल रही हैं. डॉक्टरों की मांग है कि वर्ष 2007 से वर्ष 2009 के दरम्यान म. रे. के डॉक्टरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और विदेश गमन के सभी मामलों की जांच की जानी चाहिए.

प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉ. श्रीमती अर्चना सक्सेना का ट्रांसफर करीब 15-16 साल बाद भायखला से पुणे किया गया है. वह स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जबकि भायखला में मात्र तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों की पोस्टें हैं. मगर यहां 3 की जगह 5 ऐसे डॉक्टर कार्यरत हैं जबकि कई रेल अस्पतालों में स्त्री रोग विशेषज्ञ एक भी डॉक्टर नहीं हैं. डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक एक ही जगह लगातार इन तमाम डॉक्टरों के जमे रहने के लिए प्रशासन के साथ- साथ दोनों मान्यताप्राप्त श्रम संगठन भी जिम्मेदार हैं. उनका कहना है कि कुछ डॉक्टर उच्च प्रशासनिक अधिकारियों एवं श्रम संगठनों के पदाधिकारियों को 'घर पहुंच' मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराते हैं जिससे उनकी आड़ में यह डॉक्टर मौज कर रहे हैं और उन्होंने इन्हीं लोगों को अपना 'एजेंट' बना लिया है, जिससे यह पूरी तरह सुरक्षित हैं.

ज्ञातव्य है कि पूर्व सीएमडी ने गत वर्ष जब पुणे से अपने बिरादर डॉ. लाकड़े को लाकर भायखला रेलवे अस्पताल का एमडी बनाया और वहां से उनसे सीनियर डॉ. जे. पी. गुप्ता को हटाकर कल्याण में बतौर सीएमएस भेजा था, तब
भी काफी विवाद पैदा हुआ था. पूर्व सीएमडी/म.रे. जिन्हें ठाणे में हुई भीषण लोकल दुर्घटना के बाद मेडिकल लापरवाही के चलते शिफ्ट करके प.रे. में बैठाया गया है, को डॉक्टरों द्वारा पक्का जातिवादी और पक्षपाती बताया जाता है. डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने अभी भी यह भ्रम फैलकर रखा है कि वे पुन: सीएमडी/म.रे. के पद पर अवश्य आयेंगे. इसी वजह से कोई डॉक्टर उनके जातिवादी, पक्षपाती और भ्रष्टाचारपूर्ण आचरण के प्रति अपना मुंह
खोलने को तैयार नहीं है. डॉक्टरों का कहना कि यह संभव है क्योंकि जब उनकी फाइल में यह लिखित टिप्पणी होने के बावजूद, कि उन्हें दुबारा नागपुर अस्पताल में पदस्थ न किया गया जाये, नागपुर में पदस्थ किया गया था क्योंकि उन्हें हजारों की नकदी और वहां सिक-फिट का रैकेट चलाने के लिए एक सीवीआई ने रंगे हाथ पकड़ा था, तो यह भी पूरी तरह से संभव है कि वे पुन: म.रे. में आने में कामयाब रहें. डॉक्टरों ने पूर्व सीएमडी सहित उनकी पूरी
लॉबी की समस्त गतिविधियों की जांच किए जाने की मांग की है. इस सारे प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए वर्तमान सीएमडी/म.रे. डॉ. श्रीमती मधु मेहरोत्रा उपलब्ध नहीं थीं. बताया गया कि वे छुट्टी पर हैं.
क्रमश:

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