Saturday 6 February, 2010

इंजीनियरिंग विभाग झांसी :

करोड़ों रुपये के जोनल कार्यों में लग
रहा है रेलवे को लाखों रुपये का चूना


झांसी : डिवीजन के अन्तर्गत कानपुर लाइन पर लगभग 25 करोड़ रुपये के जोन वर्क कांट्रेक्ट चल रहे हैं। लेकिन सिविल इंजी. विभाग कानपुर सब डिवीजनमें कांट्रेक्टरों से बतौर कमीशन लाखों कमाकर मालामाल हो रहे एईएन और एसएसई/पी-वे वर्क्स आदि को इन कार्यों की गुणवत्ता की कोई फिक्र नहीं है। इन कार्यों में चिरगांव डिपो की बेलास्ट सप्लाई में रेलवे को जमकर चूनालगाया जा रहा है और इंजी. विभाग के अधिकारियों की नाक के नीचे चिरगांव एसएसई/पी-वे एवं एईएन द्वारा बड़े पैमाने पर एडजेस्टमेंट किया जा रहा है।
इस अवैध कमाई में अंधे हो रहे इन अधिकारियों द्वारा तो सप्लाई हो रही इस बेलास्ट की गुणवत्ता देखी जा रही है और ही इसकी साईज पर ध्यान दिया जा रहा है. परिणाम स्वरूप घटिया गुणवत्ता और बिना किसी साईज की बेलास्ट सप्लाई हो रही है. जैसे बेलास्ट के एक चट्टे की दो इंच हाईट कम दिखाने पर कम से कम 500 क्यू. मी. गिट्टी एडजेस्ट की जा रही है, जो रेलवे रेट से 50 हजार रुपये की हो जाती है. बेलास्ट चट्टों को एसएसई/पी-वे के ट्रॉलीमैन रामसिंह मानसिंह द्वारा नापा जोखा जाता है, जो कि सभी गैंगमैनों में से भी एसएसई के लिए उगाही करते बताये गये हैं. यही लोग बेलास्ट के सभी चट्टे नापते हैं और कोई जांच करने वाला नहीं है.
इसी तरह सहायक मंडल अभियन्ता एवं मंडल अभियंता के अधीन कई स्टेशनों पर खुले कुओं की सफाई (डिसिल्टिंग) का कार्य कराया जा रहा है, जो किसी भी अधिकारी से वेरीफाई नहीं कराया जाता है और मनमानी गहराई दिखाकर लाखों रुपयों का कारोबार चल रहा है. पता चला है कि ट्यूबेल बोरिंग तीन स्टेशनों पर की गयी है. हमीरपुर चौरहा, घाटमपुर स्टेशन पर कार्य किया गया. जिसमें बोरिंग की गहराई पाइप ज्यादा दिखाकर कम मोटाई पर लगाकर लाखों रुपयों का एडजेस्टमेन्ट किया गया है. सेक्शन में अर्थवर्क के कार्य स्टेशनों प्लेटफार्मों पर ब्लॉक लगाने के कार्य, सिरेमिक टाइल्स लगाने का कार्य ज्यादा बड़ी मात्रा में कराया जा रहा है. इन सभी कार्यों में 60 प्रतिशत से ज्यादा का एडजेस्टमेंट किया जा रहा है. ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है.
इसका नमूना 27-12-09 को रेल मंडल प्रबंधक अशोक गुप्ता ने स्वयं देखा कि मनमाने ढंग से उरई हॉस्पिटल में नीले रंग की टाइल्स लगाई जा रही थी. इस पर डीआरएम ने संबंधित सभी अधिकारियों को डांट लगाई और नई निर्मित सड़क की गुणवत्ता देखकर भारी क्षोभ व्यक्त किया. इनके साथ-साथ रेलवे कॉलोनी उरई में बाउन्ड्री वॉल का कार्य नाली का कार्य, जूही स्टेशन पर छतों (रूफ लीकेज) का कार्य, पुखरायां स्टेशन में आरपीएफ चौकी का कार्य, 9 स्टेशनों पर ट्रैकमशीन रेस्टरूम निर्माण इत्यादि कार्य शायद मंडल को पता ही नहीं है. यह सभी कार्य एसएसई/ वर्क्स/स्पेशल वर्क को दिए गये हैं, जो कभी भी इन जगहों का निरीक्षण नहीं करता है जबकि यह सारे कार्य ठेकेदार के अकुशल लेबर से कराये जा रहे हैं. जिसके कार्यों की गुणवत्ता की जांच भी नहीं होती है और भुगतान कर दिया जाता है.
वर्तमान में पुलों के नीचे (वॉक्स पुसिंग) के कार्य चल रहे है। जिसमें कुशल एसएसई का रहना अति आवश्यक है. जैसे कि पुल नम्बर 1133 पर. इसी तरह से प्लास्टर में 1:6 सीमेन्ट मसाले की जगह 1:12 का, 15 एमएम की जगह 6 एमएम और चिनाई में 1:6 सीमेन्ट मसाले की जगह 1:16 का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके साथ ही गुम्मा-ईंट घटिया किस्म की लगाई जा रही है. जबकि रेलवे नियमानुसार सेकेन्ड क्लास (नं. 2) की ईंट लगाने का प्रावधान है.
ऐसे अनेकों उदाहरण यहां इंजी. विभाग में हैं. जिसको कलमबद्ध नहीं किया जा सकता, लेकिन मौके पर देखा जा सकता है. कई कर्मचारियों का कहना है कि कानपुर एईएन ऑफिस में 18 वर्षों से एक ही जगह पदस्थ ममता शर्मा, रेश्मा खान, बाबू इत्यादी कर्मियों का ट्रान्सफर अन्यत्र क्यों नहीं किया जा रहा है. जबकि रेलवे नियमानुसार 4 वर्ष में ट्रान्सफर हो जाना चाहिए. कर्मचारियों का कहना है कि सहायक मंडल अभियन्ता कानपुर इन दोनों बाबुओं द्वारा गैंगमैनों से अवैध वसूली करवाते हैं. बताते हैं कि उरई स्टेशन के कार्य की गुणवत्ता खराब होने के कारण ठेकेदार का बिल रोका गया है.
विभागीय जानकारी के अनुसार कानपुर एईएन द्वारा जोनल वर्क में ठेकेदार को फायदे के आइटमों का लाभ पहुंचाया जा रहा है. और अधिक सुविधा शुल्क के चलते कार्यों में गुणवत्ता नहीं दिखाई दे रही है. विभागीय सूत्रों से पता चला है कि आईओडब्ल्यू उरई की ठेकेदारों के साथ अन्दरूनी पार्टनरशिप भी चल रही है.? उरई आईओडब्ल्यू को क्यों नहीं वहां से हटाया जा रहा है, जबकि उसे विजिंलेस की चार्जशीट मिली हुई है.

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