Saturday 8 August, 2009

हवाई कंपनियां बनाम भारतीय रेल

मुंबई : रेलमंत्री ममता बनर्जी की महत्त्वाकांक्षी नॉन-स्टाफ गाडियां जो कि बड़े शहरों से दिल्ली को जोड़ेंगी, कम किराये वाली हवाई कंपनियों (एलसीसी) के सामने एक बड़ी चुनौती बनने जा रही हैं. पिछले करीब एक साल से एलसीसी सहित लगभग सभी हवाई कंपनियां अपने किराये बढ़ा रही हैं, जबकि उनके यह बढ़े हुए किराये उनके यात्रियों की घटती संख्या के रूप में सामने हैं. फिर भी हवाई कंपनियां यह मानकर चलती हैं कि ट्रेनों में यात्रा का समय अधिक लगता है और रेलवे में कन्फर्म टिकट मिल पाना काफी मुश्किल हो गया है. इसलिए उनके यात्रियों की संख्या में आने वाली गिरावट अस्थायी होती है.

इस संदर्भ में एक एलसीसी के मालिक का कहना था कि वह रेलमंत्री को धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने यात्री किराये कम नहीं किए हैं और न ही बढ़ाये हैं, इससे हमारा ट्रैफिक ज्यादा नहीं घटेगा और न हमें ज्यादा नुकसान होगा. परंतु जब भी रेलमंत्री की यह सस्ती और नॉन स्टॉप ट्रेनें शुरू होंगी, इनसे हमें अवश्य काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. उनका कहना था कि शुरुआत में एलसीसी के किराये ट्रेनों के थ्री एसी के बराबर और सेकंड एसी के किरायों से कम रखे गये थे. इससे एलसीसी को काफी सफलता मिली थी. हालांकि वह किराये अवास्तविक थे और एलसीसी को उन्हें जल्दी ही रिवाइज कराना पड़ा था. उनका कहना था जैसे ही एलसीसी के यह किराये बढऩे या रिवाइज होने शुरू हुए इसके यात्री पुन: ट्रेनों की तरफ मुडऩे लगे और हमें पिछले कई महीनों से नकारात्मक ग्रोथ का सामना करना पड़ रहा है.

एलसीसी ऑपरेटर्स का कहना है कि ज्यादा किराये के बावजूद लोगों ने एलसीसी को इसलिए पसंद किया है क्योंकि इससे यात्रा में समय काफी कम लगता है, उसकी तुलना ट्रेनों में लगने वाले समय से नहीं की जा सकती है. उनका कहना है कि नान स्टॉप गाडिय़ों का प्रस्ताव करके अब रेलमंत्री ममता बनर्जी उन क्षेत्रों को निशाने पर ले रही हैं जहां राजधानी शताब्दी ट्रेनों को किराये के मामले में हवाई कंपनियों के साथ काफी संघर्ष करना पड़ रहा है. ज्ञातव्य है कि रेल बजट में ममता ने दिल्ली से जम्मू, लखनऊ, कोलकाता, चेन्नई, इलाहाबाद, भुवनेश्वर और एर्नाकुलम जैसे महत्त्वपूर्ण महानगरों के लिए इन नॉन स्टॉप गाडियों को चलाने का प्रस्ताव किया है. इन ट्रेनों की सबसे खास बात यह होगी कि इनमें एसी और नॉन-एसी दोनों यात्रा श्रेणियां रहेंगी, जो हफ्ते में एक बार से तीन बार तक चलेंगी. इस संबंध में एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि इन नॉन स्टॉप ट्रेनों के चलने में अभी वर्षों लग जायेंगे जबकि हमारी तो वर्तमान में सबसे बड़ी चिंता यही है कि इतने समय तक हमें अपने आपको जिंदा कैसे रखना है, यह सोचना पड़ रहा है.
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रेल बजट से वैगन और कोच
बनाने वाली
कंपनियां खुश

नयी दिल्ली : रेलमंत्री ममता बनर्जी के रेल बजट में घोषित की गई पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनरशिप (पीपीपी) योजना से वैगन और कोच बनाने वाली कंपनियां काफी खुश हो गई हैं, क्योंकि उन्हें इस योजना के तहत अपने लिए असीम व्यावसायिक संभवानों नजर आ रही हैं. बम्बार्डियर, टीटागढ़ वैगन्स, जीसॅप और टेक्समेको जैसी निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां रेल बजट में घोषित डबल डेकर इंटरसिटी एसी कोचों को लाने और 18000 नये वैगनों के चालू वर्ष 2009-10 के दौरान रेलवे द्वारा खरीदे जाने की योजना से अत्यंत उत्साहित हो गई हैं और इसमें से ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मिलने की उम्मीद कर रही है.

इस बारे में बम्बार्डियर ट्रांसपोर्ट इंडिया के प्रबंध निर्देशक श्री राजीव ज्योति का कहना है कि विश्व स्तर पर हमारी कंपनी डबल डेकर कोच बनाने में अग्रणी है और जब भारत में डबल डेकर कोचों की यह प्रक्रिया शुरू होगी, हम इसके साथ ही खानपान सेवाओं में भी रेलवे की जरूरतों के मुताबिक अवश्य रुचि लेना चाहेंगे. उन्होंने बताया कि बम्बार्डियर की निर्माण इकाई (फैक्टरी) बड़ोदरा, गुजरात में स्थापित है, जहां मेट्रो ट्रेनों के लिए कोचों का निर्माण किया जाता है. यदि भा. रे. से कंपनी को डबल डेकर कोचों का ऑर्डर मिलता है, तो यह कोच भी वड़ोदरा में बनाये जा सकेंगे, क्योंकि हमारे पास इसकी पर्याप्त सुविधा और ढांचा मौजूद है.

टीटागढ़ा वैगन्स के प्रबंध निर्देशक श्री उमेश चौधरी का कहना है कि वैगनों का ज्यादा से ज्यादा सप्लाई ऑर्डर पाने के साथ ही हमारी योजना रेलवे की पीपीपी योजनाओं में भी बड़े पैमाने पर भागीदारी करने की है. उन्होंने बताया कि इसके अलावा हमारी कंपनी ने ईएमयू एवं अन्य यात्री कोच बनाने शुरू कर दिए हैं तथा इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा प्रगति पर हम अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हमारी कंपनी टीटागढ़ वैगन्स, काचरापाड़ा, कोलकाता में स्थापित होने जा रही रेलवे कोच फैक्टरी में रेलवे के साथ संयुक्त उपक्रम के तहत यात्री कोचों के निर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए प्रयास करेगी. उन्होंने बताया कि हम डंकुनी में लोकोमोटिव कम्पोनेंट्स पार्क स्थापित करने तथा रेलवे की विश्वस्तरीय स्टेशन निर्माण योजनाओं में भी भागीदारी करने के प्रति अत्यंत उत्सुक हैं.

के.के. बिड़ला ग्रुप की कंपनी टेक्समेको, जो कि रेलवे के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनों और फ्रेटकारों का निर्माण करती है, को भी रेलवे से अतिरिक्त बिजनेस मिलने की उम्मीद है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री रमेश महेश्वरी को पूरी उम्मीद है कि रेलवे के विश्वस्तरीय स्टेशन प्रोजेक्ट में से काफी व्यवसायिक हिस्सा उनकी कंपनी को अवश्य मिलेगा. उन्होंने अपने इस विश्वास का आधार यह बताया कि उनकी कंपनी द्वारा पहले से ही दिल्ली स्टेशन के आधुनिकीकरण की योजना में काम किया जा रहा है और हम अब अन्य स्टेशनों के लिए भी बोली लगायेंगे. श्री महेश्वरी ने बताया कि हम काचरापाडा़ रेल प्रोजेक्ट के लिए अपनी ज्वाइंट वेंचर पार्टनर ऑस्ट्रेलिया की यूनाइटेड रेल की विशेषज्ञता को यात्री कोचों के निर्माण की इस महती योजना के लिए उपयोग में लायेंगे. रुइया समूह की जीसॉप कंपनी के चेयरमैन श्री पी.के.रुइया ने कहा कि उनकी कंपनी वर्षों से रेलवे के लिए ईएमयू कोचों का निर्माण कर रही है. इसलिए उनकी कंपनी अपने दीर्घ अनुभव के बल पर इस क्षेत्र में अपना बिजनेस शेयर अवश्य हासिल करेगी. ज्ञातव्य है कि जीसॉप वैगन और कोच निर्माण क्षेत्र की एक पुरानी स्थापित एवं जानी मानी कंपनी है.

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