रेलकर्मियों के लिए बनेंगे नये क्वार्टर
मुंबई : रेलमंत्री ममता बनर्जी ने संसद में अपने बजट भाषण में रेलकर्मियों के लिए नये 6500 क्वार्टर बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस घोषणा में उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया था कि यह नये आवास किस वर्ग के कर्मचारियों के लिए बनाए जाएंगे. कर्मचारियों का मानना है कि नये आवास बनाने की बजाय जो पुराने आवास हैं, उन्हीं को दुरुस्त कर दिया जाता तो बेहतर होता क्योंकि इस नीति से तो सिर्फ कुछ इंजी. अधिकारियों एवं उनके चहेते ठेेकेदारों का ही भला होने वाला है. वैसे भी कल्याण जैसी जगह में कई नये आवास बनकर वर्षों से खाली पड़े हैं और आज तक उनका आवंटन न होने से न सिर्फ उनमें असामाजिक तत्वों का कब्जा हो रहा है बल्कि वह खंडहर बनते जा रहे हैं.
-
मोबाइल चार्जर
नयी दिल्ली : रेल यात्रियों की सहूलियत के लिए सभी यात्री ट्रेनों के स्लीपर कोचों में भी मोबाइल चार्जर प्वाइंट लगाए जाने की तैयारी की जा रही है. 23 जुलाई को संसद में रेल राज्यमंत्री के. एच. मुनियप्पा ने बताया कि सौराष्ट्र मेल और सौराष्ट्र जनता एक्स. के सभी कोचों में यह सुविधा यात्रियों को प्रदान की जा चुकी है और जल्दी ही अन्य सभी प्रतिष्ठित गाडिय़ों में भी यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी. परंतु सच्चाई यह है कि कोचों के सभी कूपों में यह चार्जिंग प्वाइंट लगाने के बजाए कोचों के दोनों सिरों पर स्थित टायलेट्स के पास एक-एक या दो-दो प्वाइट्स लगाकर इस कर्तव्य की इतिश्री मान ली जा रही है जबकि इससे न सिर्फ यात्रियों को आवाजाही में परेशानी हो रही है बल्कि चार्जिंग के लिए मोबाइल को ताक कर वहां यात्रियों के खड़े रहने पर महिला यात्रियों को टायलेट जाने में शर्मिंदगी और भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा यह प्वाइंट लगाने के लिए रेलवे बोर्ड की नीति में भी स्पष्टता नहीं है, जिससे कई अधिकारी विजिलेंस या विभागीय कार्रवाई के शिकार भी हो रहे हैं. अत: रे.बो. को इस संबंध में स्पष्ट नीति जारी करनी चाहिए. ऐसा तमाम अधिकारियों का मानना है.
-
क्या रेलवे में भी ऐसा होगा.......
मुंबई : गर्डर उठाने और क्रेनों को हैंडल करने में दो-दो बार हुई लापरवाही और मेट्रो के 18 पिलर्स में आई दरारों के लिए डीएमआरसी ने अपने प्रतिष्ठित कांट्रेक्टर गैमन इंडिया लि. के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. क्योंकि इस लापरवाही के चलते 5-6 निर्दोष लोगों की जान चली गई. इसके अलावा 18 खंभों में आई दरारों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित करके संबंधित जिम्मेदार कांट्रेक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने के संकेत दे दिए हैं तथा दो डिप्टी इंजीनियरिों को निलंबित भी किया जा चुका है.
डीएमआरसी में भले ही मीडिया के दबाव के चलते यह संभव हुआ है, परंतु जब वहां हो सकता है तो यही सब मुंबई में क्यों नहीं हो पा रहा है. यदि यहां भी ऐसा हो जाए तो मुंबई में बाढ़ तथा रेलवे में भी जल-जमाव के लिए कितने ही बीएमसी और रेल अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो कि लाखों उपनगरीय यात्रियों एवं करोड़ों मुंबईवासियों की सालाना परेशानी के लिए वास्तव में जिम्मेदार हैं. इसके अलावा म.रे. में प्लेटफार्मों की छतें गिर जाती हैं, कई यात्री गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं, प्लेटफार्मों पर पर लटके पंखे यात्रियों के सिर पर गिर पड़ते हैं, ट्रेकों के किनारे से मिट्टïी निकालने के बजाय वहीं छोड़ दिए जाने से वह पुन: वहीं भर जाती है, जिसके लिए पुन: टेंडर निकाले जाते हैं और कांट्रेक्टरों को ओब्लाइज करने के साथ करोड़ों का चूना रेलवे को लगाया जाता है. तथापि किसी कांट्रेक्टर अथवा अधिकारी को इस सबके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता. यह कहां तक उचित है?
-
वैगन उत्पादन के लिए सेल एवं बीईएमएल में समझौता
बंगलोर : रेलवे द्वारा बनाए जाने वाले हाईस्पीड कॉरिडोर के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता वाले स्टील वैगनों के निर्माण हेतु भारत अर्थमूवर्स लि. (बीईएमएल) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) ने यहां 8 जुलाई को एक आपसी समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार बीईएमएल द्वारा अपनी बंगलोर स्थित उत्पादन इकाई से रेलवे को इन वैगनों की डिजाइन, विकास, निर्माण और आपूर्ति की जाएगी, जबकि सेल द्वारा अपने सालेम स्टील प्लांट से इन वैगनों के निर्माण हेतु संपूर्ण स्टील की आपूर्ति बीईएमएल को की जाएगी. समझौते के बाद जारी बयान में कहा गया है कि इन स्टेनलेस स्टील वैगनों के आ जाने से माल की छीजन कम होगी और ढुलाई सस्ती पड़ेगी. कम टेयर वेट होगा तथा इनकी मरम्मत लागत काफी कम हो जाएगी एवं इनसे उच्चतम पेलोड प्राप्त होगा. बयान में कहा गया है कि देश में रेलवे द्वारा माल परिवहन के क्षेत्र में इन वैगनों के आ जाने से एक असामान्य परिवर्तन आ जाएगा.
—
गैंगमैन बने कुली पुन: कुली बन सकेंगे
नयी दिल्ली : रेल मंत्री ममता बनर्जी ने विगत में कुली से गैंगमैन बने और इसकी घोषणा होने पर बंडलबाज पूर्व रेलमंत्री की वाहवाही करने वाले 14000 लोगों के प्रति सहानुभूति दर्शाते हुए कहा कि जो लोग पुन: कुली बनना चाहते हैं वे संबंधित डीआरएम को एक आवेदन देकर ऐसा कर सकते हैं. रेलमंत्री ने यह भी कहा कि हालांकि यह अवसर सभी को नहीं मिलेगा परंतु जो लोग वास्तव में कुछ लोगों को उनके व्यक्तिगत एवं स्वास्थ्यगत कारणों को देखते हुए उन्हें पोर्टर (कुली) बनने का अवसर दिया जाएगा. हालांकि सच्चाई यह है कि एक-डेढ़ साल में ही कुली से गैंगमैन बने कई लोगों के रनओवर हो जाने तथा काम की कठिन परिस्थितियों के अलावा बंधी-बंधाई पगार एवं सुपरवाइजरों के शोषण ने इनका सारा हौसला और सरकारी नौकरी एवं सुविधा का लालच तोड़कर रख दिया है. इन्हीं तमाम कारणों के चलते पूर्व पोर्टर अब पुन: अपने पेशे में लौट जाने की सुविधा चाहते हैं. यह भी सही है कि यह सुविधा सिर्फ कुछ लोगों को दिए जाने से काम नहीं चलेगा. क्योंकि जो कारण एक के लिए उचित है, वही सब के लिए भी लागू माना जाना चाहिए.
—
पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई महाप्रबंधक कोटे में भर्तियों की जांच होनी चाहिए
भरे जाएंगे रेलवे के 1.70 लाख रिक्त पद
नयी दिल्ली : 9 जुलाई को रेलमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यसभा को बताया कि रेलवे के रिक्त पड़े 1.70 लाख पदों पर शीघ्र ही रेलवे भर्ती के लिए भर्ती बोर्डों और विभागीय भर्ती सेलों के माध्यम से विचार किया जाएगा. इसी के बाद वर्ष 2009-10 के रेल बजट को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी प्रदान करते हुए उच्च सदन (राज्यसभा) ने रेल बजट को अंतिम मंजूरी के लिए निचले सदन (लोकसभा) को अग्रसारित कर दिया, जहां दूसरे दिन 10 जुलाई को लोकसभा में रल बजट को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
तथापि रेलमंत्री ममता बनर्जी को चाहिए किपूर्व रेलमंत्री और उनके कुनबे ने जो लाखों रुपए लेकर और गरीब बेरोजगारों की जमीनें लिखवाकर, जिसके प्रमाण जेडी(यू) के नेता शिवानंद तिवारी एवं अन्य ने प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन में सौंपे थे और यह प्रमाण 'रेलवे समाचार' के पास भी मौजूद हैं, हजारों बिहारी युवकों को महाप्रबंधक कोटे में विभिन्न रेलों में भर्ती करवाया है, उनकी गहराई से जांच करवानी चाहिए और इस महाभ्रष्टाचार को उजागर करना चाहिए क्योंकि इससे विवेक सहाय जैसे चापलूस महाप्रबंधकों ने भी अपनी तथाकथित ईमानदारी को ताक पर रखकर लेटरल ट्रांसफर में मनचाही रेलवे में महाप्रबंधक बनने और लाखों कमाने का लाभ उठाया है.
मुंबई : रेलमंत्री ममता बनर्जी ने संसद में अपने बजट भाषण में रेलकर्मियों के लिए नये 6500 क्वार्टर बनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस घोषणा में उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया था कि यह नये आवास किस वर्ग के कर्मचारियों के लिए बनाए जाएंगे. कर्मचारियों का मानना है कि नये आवास बनाने की बजाय जो पुराने आवास हैं, उन्हीं को दुरुस्त कर दिया जाता तो बेहतर होता क्योंकि इस नीति से तो सिर्फ कुछ इंजी. अधिकारियों एवं उनके चहेते ठेेकेदारों का ही भला होने वाला है. वैसे भी कल्याण जैसी जगह में कई नये आवास बनकर वर्षों से खाली पड़े हैं और आज तक उनका आवंटन न होने से न सिर्फ उनमें असामाजिक तत्वों का कब्जा हो रहा है बल्कि वह खंडहर बनते जा रहे हैं.
-
मोबाइल चार्जर
नयी दिल्ली : रेल यात्रियों की सहूलियत के लिए सभी यात्री ट्रेनों के स्लीपर कोचों में भी मोबाइल चार्जर प्वाइंट लगाए जाने की तैयारी की जा रही है. 23 जुलाई को संसद में रेल राज्यमंत्री के. एच. मुनियप्पा ने बताया कि सौराष्ट्र मेल और सौराष्ट्र जनता एक्स. के सभी कोचों में यह सुविधा यात्रियों को प्रदान की जा चुकी है और जल्दी ही अन्य सभी प्रतिष्ठित गाडिय़ों में भी यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी. परंतु सच्चाई यह है कि कोचों के सभी कूपों में यह चार्जिंग प्वाइंट लगाने के बजाए कोचों के दोनों सिरों पर स्थित टायलेट्स के पास एक-एक या दो-दो प्वाइट्स लगाकर इस कर्तव्य की इतिश्री मान ली जा रही है जबकि इससे न सिर्फ यात्रियों को आवाजाही में परेशानी हो रही है बल्कि चार्जिंग के लिए मोबाइल को ताक कर वहां यात्रियों के खड़े रहने पर महिला यात्रियों को टायलेट जाने में शर्मिंदगी और भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा यह प्वाइंट लगाने के लिए रेलवे बोर्ड की नीति में भी स्पष्टता नहीं है, जिससे कई अधिकारी विजिलेंस या विभागीय कार्रवाई के शिकार भी हो रहे हैं. अत: रे.बो. को इस संबंध में स्पष्ट नीति जारी करनी चाहिए. ऐसा तमाम अधिकारियों का मानना है.
-
क्या रेलवे में भी ऐसा होगा.......
मुंबई : गर्डर उठाने और क्रेनों को हैंडल करने में दो-दो बार हुई लापरवाही और मेट्रो के 18 पिलर्स में आई दरारों के लिए डीएमआरसी ने अपने प्रतिष्ठित कांट्रेक्टर गैमन इंडिया लि. के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया है. क्योंकि इस लापरवाही के चलते 5-6 निर्दोष लोगों की जान चली गई. इसके अलावा 18 खंभों में आई दरारों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ कमेटी गठित करके संबंधित जिम्मेदार कांट्रेक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने के संकेत दे दिए हैं तथा दो डिप्टी इंजीनियरिों को निलंबित भी किया जा चुका है.
डीएमआरसी में भले ही मीडिया के दबाव के चलते यह संभव हुआ है, परंतु जब वहां हो सकता है तो यही सब मुंबई में क्यों नहीं हो पा रहा है. यदि यहां भी ऐसा हो जाए तो मुंबई में बाढ़ तथा रेलवे में भी जल-जमाव के लिए कितने ही बीएमसी और रेल अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जो कि लाखों उपनगरीय यात्रियों एवं करोड़ों मुंबईवासियों की सालाना परेशानी के लिए वास्तव में जिम्मेदार हैं. इसके अलावा म.रे. में प्लेटफार्मों की छतें गिर जाती हैं, कई यात्री गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं, प्लेटफार्मों पर पर लटके पंखे यात्रियों के सिर पर गिर पड़ते हैं, ट्रेकों के किनारे से मिट्टïी निकालने के बजाय वहीं छोड़ दिए जाने से वह पुन: वहीं भर जाती है, जिसके लिए पुन: टेंडर निकाले जाते हैं और कांट्रेक्टरों को ओब्लाइज करने के साथ करोड़ों का चूना रेलवे को लगाया जाता है. तथापि किसी कांट्रेक्टर अथवा अधिकारी को इस सबके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता. यह कहां तक उचित है?
-
वैगन उत्पादन के लिए सेल एवं बीईएमएल में समझौता
बंगलोर : रेलवे द्वारा बनाए जाने वाले हाईस्पीड कॉरिडोर के लिए 100 मीट्रिक टन क्षमता वाले स्टील वैगनों के निर्माण हेतु भारत अर्थमूवर्स लि. (बीईएमएल) और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. (सेल) ने यहां 8 जुलाई को एक आपसी समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार बीईएमएल द्वारा अपनी बंगलोर स्थित उत्पादन इकाई से रेलवे को इन वैगनों की डिजाइन, विकास, निर्माण और आपूर्ति की जाएगी, जबकि सेल द्वारा अपने सालेम स्टील प्लांट से इन वैगनों के निर्माण हेतु संपूर्ण स्टील की आपूर्ति बीईएमएल को की जाएगी. समझौते के बाद जारी बयान में कहा गया है कि इन स्टेनलेस स्टील वैगनों के आ जाने से माल की छीजन कम होगी और ढुलाई सस्ती पड़ेगी. कम टेयर वेट होगा तथा इनकी मरम्मत लागत काफी कम हो जाएगी एवं इनसे उच्चतम पेलोड प्राप्त होगा. बयान में कहा गया है कि देश में रेलवे द्वारा माल परिवहन के क्षेत्र में इन वैगनों के आ जाने से एक असामान्य परिवर्तन आ जाएगा.
—
गैंगमैन बने कुली पुन: कुली बन सकेंगे
नयी दिल्ली : रेल मंत्री ममता बनर्जी ने विगत में कुली से गैंगमैन बने और इसकी घोषणा होने पर बंडलबाज पूर्व रेलमंत्री की वाहवाही करने वाले 14000 लोगों के प्रति सहानुभूति दर्शाते हुए कहा कि जो लोग पुन: कुली बनना चाहते हैं वे संबंधित डीआरएम को एक आवेदन देकर ऐसा कर सकते हैं. रेलमंत्री ने यह भी कहा कि हालांकि यह अवसर सभी को नहीं मिलेगा परंतु जो लोग वास्तव में कुछ लोगों को उनके व्यक्तिगत एवं स्वास्थ्यगत कारणों को देखते हुए उन्हें पोर्टर (कुली) बनने का अवसर दिया जाएगा. हालांकि सच्चाई यह है कि एक-डेढ़ साल में ही कुली से गैंगमैन बने कई लोगों के रनओवर हो जाने तथा काम की कठिन परिस्थितियों के अलावा बंधी-बंधाई पगार एवं सुपरवाइजरों के शोषण ने इनका सारा हौसला और सरकारी नौकरी एवं सुविधा का लालच तोड़कर रख दिया है. इन्हीं तमाम कारणों के चलते पूर्व पोर्टर अब पुन: अपने पेशे में लौट जाने की सुविधा चाहते हैं. यह भी सही है कि यह सुविधा सिर्फ कुछ लोगों को दिए जाने से काम नहीं चलेगा. क्योंकि जो कारण एक के लिए उचित है, वही सब के लिए भी लागू माना जाना चाहिए.
—
पिछले पांच वर्षों के दौरान हुई महाप्रबंधक कोटे में भर्तियों की जांच होनी चाहिए
भरे जाएंगे रेलवे के 1.70 लाख रिक्त पद
नयी दिल्ली : 9 जुलाई को रेलमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यसभा को बताया कि रेलवे के रिक्त पड़े 1.70 लाख पदों पर शीघ्र ही रेलवे भर्ती के लिए भर्ती बोर्डों और विभागीय भर्ती सेलों के माध्यम से विचार किया जाएगा. इसी के बाद वर्ष 2009-10 के रेल बजट को ध्वनिमत से अपनी मंजूरी प्रदान करते हुए उच्च सदन (राज्यसभा) ने रेल बजट को अंतिम मंजूरी के लिए निचले सदन (लोकसभा) को अग्रसारित कर दिया, जहां दूसरे दिन 10 जुलाई को लोकसभा में रल बजट को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
तथापि रेलमंत्री ममता बनर्जी को चाहिए किपूर्व रेलमंत्री और उनके कुनबे ने जो लाखों रुपए लेकर और गरीब बेरोजगारों की जमीनें लिखवाकर, जिसके प्रमाण जेडी(यू) के नेता शिवानंद तिवारी एवं अन्य ने प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन में सौंपे थे और यह प्रमाण 'रेलवे समाचार' के पास भी मौजूद हैं, हजारों बिहारी युवकों को महाप्रबंधक कोटे में विभिन्न रेलों में भर्ती करवाया है, उनकी गहराई से जांच करवानी चाहिए और इस महाभ्रष्टाचार को उजागर करना चाहिए क्योंकि इससे विवेक सहाय जैसे चापलूस महाप्रबंधकों ने भी अपनी तथाकथित ईमानदारी को ताक पर रखकर लेटरल ट्रांसफर में मनचाही रेलवे में महाप्रबंधक बनने और लाखों कमाने का लाभ उठाया है.
No comments:
Post a Comment