Saturday, 8 August 2009

आईआरपीओएफ की चुनावी एजीएम संपन्न

लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सामने ठंढे पड़े सभी विरोधी सुर

मुंबई : इंडियन रेलवे प्रमोटी ऑफीसर्स फेडरेशन (आईआरपीओएफ) की चुनावी सर्वसाधारण वार्षिक सभा (एजीएम) यहां 16-17 जुलाई को सीएसटी ऑडिटोरियम, मध्य रेल में संपन्न हुई. इस अवसर पर फेडरेशन के अध्यक्ष जे.पी. सिंह, महासचिव श्री जितेंद्र सिंह, कार्याध्यक्ष श्री एम. राजेंद्रन, कोषाध्यक्ष श्री शशिरंजन सहित सभी पदाधिकारियों और जोनल रेलों एवं उत्पादन इकाईयों के अध्यक्ष एवं महासचिव तथा उनके प्रतिनिधिगण उपस्थित थे. इस अवसर पर फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष श्री पी. वी. सुब्बाराव, श्री आर. राजगोपालन, श्री एच. एस. खन्ना, पूर्व कार्याध्यक्ष श्री वी. आर. पात्रे, पूर्व पदाधिकारी श्री मार्सल डिसोजा, श्री एम. बी. दवे, श्री वी.एन. विके सहित आयोजक म.रे. के अध्यक्ष श्री एस. के. कुलश्रेष्ठ, महासचिव श्री एल. वी. दूदम एवं पड़ोसी रेलवे (प.रे.) के अध्यक्ष श्री वी. के. त्रिपाठी और महासचिव श्री दीपक शैली सहित उनके साथीगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

सर्वसाधारण सभा की अध्यक्षता श्री जे.पी. सिंह ने की. सभा का उद्घाटन दीप प्रज्वलित करके श्री जे.पी. सिंह ने किया. सभा की शुरुआत में श्री सिंह के प्रस्ताव पर 26/11 के आतंकवादी हमले में शहीद हुए लोगों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई. अपने उद्घाटन भाषण में श्री जे.पी. सिंह ने सभी उपस्थित अधिकारियों को अवगत कराया कि यह सभा जहां हो रही है, इसी इमारत के ठीक सामने के प्रतीक्षा हॉल में 26 नवंबर की शाम को आतंकवादियों ने 56 निर्दोष यात्रियों एवं रेल कर्मियों को मौत के घाट उतार दिया था. उन्होंने सभा में मौजूद सभी अधिकारियों से समन्वय बनाकर संगठन को मजबूत बनाने की अपील की. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह की गतिविधियां सामने आई हैं, उनके मद्देनजर यह कहना पड़ेगा कि इस तरह से कोई भी संगठन नहीं चल सकता. इसलिए ऐसी गतिविधियां समाप्त की जानी चाहिए और यदि कहीं कोई मतभेद है तो उन्हें आमने-सामने बैठकर सुलझा लेना चाहिए.

श्री सिंह ने कहा कि पिछले 5-6 वर्षों के दौरान संगठन के हस्तक्षेप से ग्रुप 'बी' अधिकारियों की कई समस्याएं हल हुई हैं. डीपीसी समय से होने लगी हैं. एस एंड टी की पेंडिंग डीपीसी का रिजल्ट भी अभी मीटिंग के दौरान ही आ गया है. इसके अलावा सभी ग्रुप 'बी' अधिकारियों को 5400 की ग्रेड पे, मिस्लेनियम कैडर को समान अवसर, 50 फीसदी कैडर, सभी ग्रुप 'बी' अधिकारियों को लैपटॉप और बोनस दिए जाने जैसे कई मुद्दों पर बोर्ड के साथ बातचीत चल रही है. इसमें से मिस्लेनियम पर बोर्ड के साथ बातचीत चल रही है. इसमें से मिस्लेनियस कैडर और 5400 ग्रेड पे का मुद्दा कैबिनेट के विचाराधीन है, जो कि जल्दी ही हमारे पक्ष में निर्णीत होकर आने वाला है.

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही एंटी डेटिंग और सीनियर स्केल की पोस्टों के सरेंडर पर फेडरेशन कतई सहमत नहीं है और इस पर बोर्ड के साथ बात की जा रही है. उन्होंने कहा कि जेएजी में एडहॉक प्रमोशन के लिए 6 साल की समयावधि को कम करके पांच साल किया गया है. इसका काफी फायदा ग्रुप 'बी' अधिकारियों को मिला है. यह फेडरेशन की पहल पर ही हो पाया है. तो यदि हम एकजुट रहेंगे तो एक-एक करके ही सही हमारे सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी. उन्होंने साफ कहा कि कोई भी संगठन लफंगई के बल पर नहीं चल सकता. इसके लिए संपूर्ण बौद्धिकता और गरिमा की जरूरत होती है. पिछले कुछ समय से जो संगठन विरोधी गतिविधियां नजर आई हैं, उनका संदेश ठीक नहीं गया है. इसलिए उनका अनुरोध है कि जो भी मतभेद किसी के मन में हैं, उन्हें व्यक्तिगत द्वेष का कारण न बनाते हुए आपस में बैठकर सुलझा लेना चाहिए तथा एकजुटता का प्रदर्शन किया जाना चाहिए तभी संगठन मजदूर होगा और इसका फायदा प्रत्येक ग्रुप 'बी' अधिकारी को मिलेगा.

तत्पश्चात अध्यक्ष की अनुमति से महासचिव श्री जितेंद्र सिंह ने अपनी रिपोर्ट सदन के समक्ष प्रस्तुत की. इस बार की सेक्रेटरी जनरल रिपोर्ट काफी विस्तृत थी और उसमें फेडरेशन द्वारा पिछले दो-तीन टर्म के दौरान किए गए कार्यों तथा पेंडिंग मामलों की विस्तृत चर्चा की गई थी. महासचिव ने अपनी रिपोर्ट को न सिर्फ स्वयं पढ़कर प्रस्तुत किया बल्कि उसके प्रत्येक पहलू पर विस्तार से कारण एवं निवारण का भी उल्लेख किय. सेक्रेटरी जनरल रिपोर्ट में पिछले दो वर्षों के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों सहित सभी कैडरों की डीपीसी पोजीशन और 15 बड़ी समस्याओं की विस्तृत चर्चा की गई है और कहा गया है कि इनको जल्दी सुलझाए जाने की जरूरत है. इसके अलावा संगठन के स्तर पर भी काफी चर्चा की गई है. उन्होंने बताया कि संगठन की नई वेबसाइट (www.irpof.co.in) चालू हो गई है, जिसमें ग्रुप 'बी' सहित समस्त अधिकारी कैडर की ताजा जानकारी उपलब्ध होगी.

तत्पश्चात अध्यक्ष की अनुमति से कोषाध्यक्ष (वित्त सचिव) श्री शशि रंजन ने अपनी वित्तीय रिपोर्ट और आय-व्यय का समस्त लेखा-जोखा प्रस्तुत किया. इसके पश्चात सभी जोनल रेलों एवं उत्पादन इकाइयों के प्रतिनिधियों ने महासचिव एवं वित्त सचिव की रिपोर्टों पर अपने विचार प्रस्तुत किए. इस पर रे.बो. पीओए के महासचिव श्री एम. सी. यादव ने कहा कि यहां तो गरीबी हटाने के नाम पर गरीब को ही हटाने की नीति प्रशासन द्वारा अपनाई जा रही है. उन्होंने कहा कि महाचिव की रिपोर्ट काफी अच्छी है मगर और अच्छा होता कि यदि इसमें हमारे उन ज्वलंत मुद्दों पर ज्यादा फोकस किया जाता, जो कि ज्यादा जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में कई मुद्दे ऐसे बताए गए हैं जिन पर जल्दी निर्णय लिए जाने की जरूरत बताई गई है. परंतु इनका निर्णय कैसे हो पाएगा यदि उन तरीकों का भी उल्लेख इस रिपोर्ट में कर दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता. उन्होंने कहा कि सीनियर स्केल पोस्टों के सरेंडर से गलत संदेश गया है. एडहॉक खत्म होने की बात भी बेमानी है. सभी अधिकारियों को लैपटॉप और इंटरनेट कनेक्टिविटी क्यों नहीं दी जा रही है. यह बात समझ से परे है. यदि 10-12 सीनियर स्केल पोस्टें सरेंडर करके 2-3 एसएजी पोस्टें क्रियेट की जाती हैं तो इससे ग्रुप 'बी' के अधिकारियों का कोई भला नहीं होने वाला है, जबकि आज भी 10-12 साल से ज्यादा लोग जूनियर स्केल में ही पड़े हैं.

इसी प्रकार कोर के श्री आर. पी. श्रीवास्तव, सीएलडब्ल्यू के श्री एम. सेन, डीएलडब्ल्यू के श्री अशोक कुमार, आरडीएसओ के श्री आर. पी. तिवारी, मेट्रो रेलवे के आईसीएफ, आरडब्ल्यूएफ, डीएमडब्ल्यू, आरसीएफ आदि उत्पादन इकाइयों के प्रतिनिधियों सहित म.रे. के एस. के. कुलश्रेष्ठ, प.रे. के श्री दीपक शैली, उ.रे. के श्री रमन शर्मा, पूर्वोत्तर रेलवे के श्री पी. के. खुराना, पू.रे. के श्री वी. के. मणि, द.पू.रे. के श्री आर. एन. महापात्रा, पू.म.रे. के श्री यादव, द.प.रे. श्री बालाचंद्रन, उ.प.रे. श्री रावत, उ.म.रे. श्री एस.एस. पाराशर, द.रे. से श्री एम. राजेंद्रन, एनएफआर से श्री बी.के. पोद्दार आदि सभी वक्ताओं ने महासचिव एवं वित्त सचिव की रिपोर्टों को सकारात्मक बताते हुए लैपटॉप, मिस्ले. कैडर, बोनस, 5400 ग्रेड पे और सीनियर स्केल की पोस्टों आदि मुद्दों का उल्लेख करके इन्हें जल्दी सुलझाए जाने की बात पर जोर दिया. तत्पश्चात दूसरे दिन की शुरुआत में महासचिव एवं वित्त सचिव के विस्तृत स्पष्टीकरण के बाद दोनों रिपोर्टों का सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया.

इसके बाद संविधान संशोधन पर चर्चा शुरू हुई, जिस पर सदन में काफी हंगामा होने लगा. तब अध्यक्ष श्री जे.पी. सिंह ने तीन मुख्य संशोधनों को छोड़कर बाकी सभी प्रस्तावित संशोधन एक विशेष कमेटी के हवाले करने का प्रस्ताव रखा. इस पर सहमति होने के बाद कार्यकारिणी का कार्यकाल 2 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष किए जाने, कार्यकारिणी पदाधिकारियों के तीन टर्म के कार्यकाल के प्रतिबंध को समाप्त करके उसे ओपन रखते हुए प्रत्येक निवर्तमान पदाधिकारी के पुन: चुनाव लडऩे और वोट देने तथा बोर्ड के निर्देशानुसार एजीएम में जोनल रेलों से 5 प्रतिनिधियों की जगह 4 प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व नामक मात्र तीन संशोधन के लिए गुप्त मतदान कराया गया.

इस गुप्त मतदान प्रक्रिया में कुल 93 नामांकित प्रतिनिधियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिसमें उपरोक्त तीनों संशोधनों के पक्ष में कुल 222 मत पड़े, जबकि कुल 57 मत विपक्ष में पड़े.

1. कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ाकर 3 वर्ष किए जाने के पक्ष में कुल 69 मत और विपक्ष में मात्र 24 मत पड़े.
2. इसी प्रकार पदाधिकारियों के तीन टर्म के प्रतिबंध को समाप्त करने और निवर्तमान पदाधिकारियों को मताधिकार एवं पुनर्निर्वाचन का अधिकार दिए जाने के पक्ष में कुल 84 तथा विपक्ष में कुल 9 मत पड़े.
3. जबकि जोनल प्रतिनिधियों की संख्या 5 से घटाकर 4 किए जाने के पक्ष में कुल 69 और विपक्ष में कुल 24 मत पड़े.

उपरोक्त प्रमुख तीन संविधान संशोधनों के भारी बहुमत और अत्यंत लोकतांत्रिक तरीके तथा गैर विवादित ढंग से पारित हो जाने के बाद काफी समय से तीन टर्म-तीन टर्म का राग अलाप रहे एक ग्रुप विशेष का सारा उत्साह ठंडा पड़ गया, जबकि इससे पहल 'सेव फेडरेशन', 'सेव कैडर', 'सेव डेमोक्रेसी' के तमाम बैनर-पोस्टर ऑडिटोरियम में चारों तरफ चिपकाए गए थे. यही नहीं विरोध की गरिमा के निम्न स्तर पर जाकर कुछ पदाधिकारियों पर व्यक्तिगत छींटाकशी करते हुए उनके कार्टून बनाकर न सिर्फ दीवारों पर चिपकाए गए बल्कि अन्य पर्चों के साथ वह भी तमाम उपस्थित प्रतिनिधियों को बांटे गए. इससे एक बार तो पूरे सदन में काफी असंतोषजनक माहौल पैदा हो गया था. मगर कुछ लोगों की समझदारी और बीच-बचाव के चलते तथा प.रे. के महासचिव श्री दीपक शैली की सहृदय और व्यक्तिगत रूप से क्षमायाचना की घोषणा से पूरा वातावरण शांत हो गया.

इस संविधान संशोधन पर अधिकारियों द्वारा मिले पुरजोर समर्थन को देखते हुए उन कुछ वक्ताओं की भी समझ में यह आ गया कि वास्तव में वस्तुस्थिति क्या है, जो कि मंच से खुलेआम फेडरेशन विरोधी गतिविधियां चलाने वालों की 'काबिलियत' का गुणगान कर रहे थे. इसके अलावा असंतुष्ट रहे एक-दो कैडर के उन अधिकारियों की भी समझ में आ गया कि अब यदि ज्यादा खींचतान करते हैं तो अलग-थलग पड़ जाने की आशंका पैदा हो सकती है. इस सर्वथा ग्राह्यï लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बाद मीटिंग का माहौल चौतरफा मित्रतापूर्ण हो गया और विपक्षी पैनल द्वारा 'जितेंद्र - जे. पी. सिंह पैनल' को बिना शर्त समर्थन और उनके निर्विरोध निर्वाचन का प्रस्ताव दिया गया, क्योंकि सभी पदों पर चुनाव के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, इसलिए पर्चे भरने के बाद इस पर विचार करने की बात कही गई. परंतु श्री एम. सी. यादव द्वारा कार्याध्यक्ष के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिए जाने से फिर यह चर्चा संभव नहीं हो सकी.

उल्लेखनीय है कि अध्यक्ष (जे.पी. सिंह), महासचिव (जितेंद्र सिंह), वित्त सचिव (शशिरंजन), कार्यालय सचिव (जितेंद्र कुमार) पदों के लिए एक ही नामांकन होने से उन्हें निर्विरोध और सर्वसम्मति से निर्वाचित घोषित कर दिया गया. कार्याध्यक्ष पद पर श्री एम. राजेंद्रन के सामने श्री एम. सी. यादव ने अपना पर्चा दाखिल कर दिया था, जिसमें उन्हें 55 वोट पाकर विजयी घोषित किया गया, जबकि पूर्व कार्याध्यक्ष श्री राजेंद्रन 32 वोट पाकर चुनाव हार गए. इसी प्रकार उपाध्यक्ष के चार पदों पर श्री के. के. वर्मा (उ.प.रे.), श्री एम. ए. हक (पू.त.रे.), श्री पी. के. खुराना (पूर्वोत्तर रेलवे) और श्री बी. के. पोद्दार (एनएफ रेलवे) विजयी रहे. इसी तरह सचिव के चार पदों पर श्री के.वी.एस.वी. प्रसाद (उ.रे.), श्री आर. पी. तिवारी (आरडीएसओ), श्री एल. के. पात्रो (पू.त.रे.) और श्री आर. एन. महापात्रा (द.म.रे.) विजयी हुई.

बाद में सेक्रेटरी पद पर श्री रमन कुमार शर्मा (महासचिव, एनआरपीओए) और श्री उमेश कुमार को नामांकित किया गया. संगठन सचिव के पद पर श्री डी. डी. लोलगे, श्री पी. बी. रक्षित, श्री आर. बी. प्रसाद, श्री अशोक कुमार, श्री एस. बोस, श्री के. वी. वरदराजन, श्री पी.वी.एन. रवि कुमार, श्री जी. के. सिरोही और श्री आर. एन. महापात्रा को चुना गया.

सभा में सभी सहभागी जोनल प्रतिनिधियों सहित सभी वक्ताओं ने सीआरपीओए को बेहतर आयोजन एवं खानपान सहित आवास व्यवस्था के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया. सभा में सहभागी सभी प्रतिनिधियों के मूड को भांपते हुए अध्यक्ष श्री जे.पी. सिंह ने चुनाव करवाने का निर्णय लिया, जबकि कार्यकारिणी में प्रस्तावित सचिव एवं उपाध्यक्षों के पदों को कम करके 17 संगठन सचिव के पद प्रत्येक जोनल रेलवे को दिए जाने के प्रस्ताव और अन्य संशोधन प्रस्तावों को इसीलिए फिलहाल ठंडे बस्ते में डालना उचित समझा गया क्योंकि तब चुनाव के लिए उचित समय पर नोटिस जारी करना पड़ता था, जबकि सदन में कोई भी प्रतिनिधि चुनाव टाले जाने के मूड में नहीं था.

इसलिए कार्यकारिणी में पदों के संशोधन को भी फिलहाल टाल दिया गया. अध्यक्ष के इस निर्णय से समस्त प्रक्रिया उचित लोकतांत्रिक तरीके से पूरी हुई और इसका एक सकारात्मक संदेश भी गया है. अब वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा और कोई भी निवर्तमान पदाधिकारी कितनी भी बार चुनाव लड़ सकेगा तथा निवर्तमान पदाधिकारियों को वोट देने का अधिकार भी होगा. संविधान संशोधन और पदाधिकारियों के चुनाव के लिए मतदान की लोकतांत्रिक पद्धति के इस्तेमाल से हर प्रकार की आशंका निर्मूल साबित हुई है. अधिकारियों का मानना था कि इतनी साफ सुथरी प्रक्रिया और व्यवस्था को अपनाए जाने से किसी भी प्रकार की कोई आशंका नहीं रह गई है, जबकि इससे पहले फेडरेशन में इतना लोकतंत्र कभी नहीं रहा था.

इसके अलावा फेडरेशन के खिलाफ करीब दो साल पहले दिल्ली की एक अदालत में मामला दायर करने वाले श्री वाई. एस. चौधरी ने चुनाव परिणाम घोषित किए जाने से पहले मामला वापस लेने की मंच से घोषणा करके सभी की प्रशंसा बटोर ली. श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने यह मामला इसलिए दायर किया था क्योंकि उन्हें फेडरेशन की कार्यप्रणाली में विसंगति नजर आई थी, जो कि अब दूर हो गई है. इसलिए वे बिना शर्त अपना मामला वापस लेने की घोषणा करते हैं. इस घोषणा और श्री चौधरी का सभी अधिकारियों ने करतल ध्वनि से स्वागत किया. संपूर्ण सभा अंतत: अच्छे और सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई.

नवनिर्वाचित राष्ट्रीय कार्यकारिणी - एक नजर में
अध्यक्ष - श्री जे. पी. सिंह.
कार्याध्यक्ष - श्री एम. सी. यादव.
उपाध्यक्ष - सर्वश्री के. के. वर्मा, एम. ए. हक, पी. के. खुराना, बी. के. पोद्दार.
महासचिव - श्री जितेंद्र सिंह.
सचिव - सर्वश्री के.वी.एस.वी.प्रसाद, आर. पी. तिवारी, रमन कुमार शर्मा, अमेश कुमार, आर. एन. महापात्रा, एल. के. पात्रो.
संगठन सचिव - सर्वश्री डी. डी. लोलगे, आर. बी. प्रसाद, अशोक कुमार, एस. बोस, के. वी. वरदराजन, पी.वी.एन.रवि कुमार, जी. के. सिरोही, आर. एन. महापात्रा, पी. बी. रक्षित.
कार्यालय सचिव - श्री जितेंद्र कुमार

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