कौन देगा काम्प्लिमेंट्री पास...?
९ कैडर मिलाने के बाद नाके पर खड़े
रहने वाले मजदूर बन जायेंगे रेल कर्मचारी
एक तरफ़ महाराष्ट्र सरकार (२४%) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (७६%) ने मिलकर भागीदारी करके और एक प्राइवेट सेक्टर कंपनी खोलकर सेवाएं उपलब्ध कराने का विचार किया है, दूसरी तरफ़ केन्द्र सरकार कहाँ पीछे रहने वाली है। उसने भी टीसीएस, आईएनऍफ़, विप्रो, महिंद्रा, और सत्यम जैसी कंपनियों द्वारा अपनी रेलवे सम्बन्धी सेवाएं उपलब्ध कराने की तयारी कर ली है। यह तो हो गई आम आदमी की बात, परन्तु अब रेलवे के दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को यह समझ लेना चाहिए की रिटायर हो गए तो यहाँ नई भरती नहीं है, तो उन्हें रिटायर्मेंट के बाद पास कौन देगा? एक तरफ़ पास बनने वाला कोई नहीं होगा, दूसरी तरफ़ रेलवे ने प्रिंटिंग प्रेस बंद करने की तयारी कर ली है। सोचिये आगे क्या होने वाला है?
मान लो कार्यरत कर्मचारी अपने लिए कंप्यूटर जनरेटेड पास बनाएगा मगर तब रिटायर्ड कर्मचारी का क्या होगा? खासकर मुंबई जैसे शहर में जहाँ इतने प्रकार के कर्मचारी हैं जैसे एम्आरवीसी, इरकॉन, डीऍफ़सीसीआईएल, आईआरसीटीसी, आरवीएनएल, कंस्ट्रक्शन आदि, जो की मूल कैडर से वहां डेपुटेशन पर गए लोग हैं। इस स्थिति में फिलहाल की व्यवस्था है की जो भी स्टेशन पर उपलब्ध स्टेशन मास्टर सहित अन्य विभागों के कार्यालय एवं मुख्यालय से पास दिया जाता है, इसमें भी सबसे ज्यादा लोड इंजीनियरिंग विभाग के ठाणे, कल्याण, मानखुर्द, पम्वेल, इगतपुरी और लोनावला के एईएन कार्यालयों में रहता है, क्योंकि ज्यादातर रेल कर्मचारी इन्हीं स्टेशनों के आस पास रहते हैं। इन कार्यालयों से सिर्फ़ इंजीनियरिंग के ही नहीं अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी पास दिया जाता है। रेल कर्मियों को आशा है की जब तक ममता दीदी रेलमंत्री हैं तब तक उनकी कोई सुविधा बंद नहीं होगी।
उनहोंने इसका एक उपाय यह बताया है की सभी रिटायर्ड और कार्यरत कर्मचारियों को मुख्यालय से क्रेडिट/डेबिट कार्ड जैसा एक फोटो आई कार्ड जारी कर दिया जाए जिसे स्वीप करने से उस साल के बकाया पास की सुविधा उसे मिल जायेगी और चूँकि सभी कर्मचारियों को शार्टेस्ट रूट पता होता है इसलिए उनके लिए एक कर्मचारी खिड़की खोल दी जाए जिससे वहां से उन्हें रिजर्वेशन कम जर्नी टिकट जारी कर दिया जाए। इस कार्ड को हर तीन साल में मुख्यालय से रिन्यू करने का एक नियम और बना दिया जाए तो सारी समस्या का समाधान हो जाएगा. यदि ऐसा किया जाए तो सभी को सुविधा होगी और किसी को असुविधा का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
६ वें वेतन आयोग कि सिफारिशों के मुताबिक ९ कैडर को एक करना है और उन्हें रिट्रेनिंग देकर एक कामन कैडर में बदल देना है। फिर उनसे काम करवाना है, जैसे नाके पर मजदूर खड़े रहते है वैसे, उन्हें जो भी काम करने को कहा जायेगा, करना पड़ेगा। इससे पहले ही मेडिकली डीकैटगराइज्द/सरप्लस सर्कुलर जारी कर दिया गया है। इस सर्कुलर में रिक्त पदों को भरने का उल्लेख कहीं भी नहीं है। क्लेरिकल (ऑफिस) पदों पर तो १९८७ के बाद स्पोर्ट्स कोटे के अलावा अभी तक भर्ती नहीं हुई है, रेल कर्मियों का कहना है कि ऐसे में ममता दीदी रिटायर्मेंट पास के बारे में जरूर सोचेंगी।
९ कैडर मिलाने के बाद नाके पर खड़े
रहने वाले मजदूर बन जायेंगे रेल कर्मचारी
एक तरफ़ महाराष्ट्र सरकार (२४%) और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (७६%) ने मिलकर भागीदारी करके और एक प्राइवेट सेक्टर कंपनी खोलकर सेवाएं उपलब्ध कराने का विचार किया है, दूसरी तरफ़ केन्द्र सरकार कहाँ पीछे रहने वाली है। उसने भी टीसीएस, आईएनऍफ़, विप्रो, महिंद्रा, और सत्यम जैसी कंपनियों द्वारा अपनी रेलवे सम्बन्धी सेवाएं उपलब्ध कराने की तयारी कर ली है। यह तो हो गई आम आदमी की बात, परन्तु अब रेलवे के दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारियों को यह समझ लेना चाहिए की रिटायर हो गए तो यहाँ नई भरती नहीं है, तो उन्हें रिटायर्मेंट के बाद पास कौन देगा? एक तरफ़ पास बनने वाला कोई नहीं होगा, दूसरी तरफ़ रेलवे ने प्रिंटिंग प्रेस बंद करने की तयारी कर ली है। सोचिये आगे क्या होने वाला है?
मान लो कार्यरत कर्मचारी अपने लिए कंप्यूटर जनरेटेड पास बनाएगा मगर तब रिटायर्ड कर्मचारी का क्या होगा? खासकर मुंबई जैसे शहर में जहाँ इतने प्रकार के कर्मचारी हैं जैसे एम्आरवीसी, इरकॉन, डीऍफ़सीसीआईएल, आईआरसीटीसी, आरवीएनएल, कंस्ट्रक्शन आदि, जो की मूल कैडर से वहां डेपुटेशन पर गए लोग हैं। इस स्थिति में फिलहाल की व्यवस्था है की जो भी स्टेशन पर उपलब्ध स्टेशन मास्टर सहित अन्य विभागों के कार्यालय एवं मुख्यालय से पास दिया जाता है, इसमें भी सबसे ज्यादा लोड इंजीनियरिंग विभाग के ठाणे, कल्याण, मानखुर्द, पम्वेल, इगतपुरी और लोनावला के एईएन कार्यालयों में रहता है, क्योंकि ज्यादातर रेल कर्मचारी इन्हीं स्टेशनों के आस पास रहते हैं। इन कार्यालयों से सिर्फ़ इंजीनियरिंग के ही नहीं अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी पास दिया जाता है। रेल कर्मियों को आशा है की जब तक ममता दीदी रेलमंत्री हैं तब तक उनकी कोई सुविधा बंद नहीं होगी।
उनहोंने इसका एक उपाय यह बताया है की सभी रिटायर्ड और कार्यरत कर्मचारियों को मुख्यालय से क्रेडिट/डेबिट कार्ड जैसा एक फोटो आई कार्ड जारी कर दिया जाए जिसे स्वीप करने से उस साल के बकाया पास की सुविधा उसे मिल जायेगी और चूँकि सभी कर्मचारियों को शार्टेस्ट रूट पता होता है इसलिए उनके लिए एक कर्मचारी खिड़की खोल दी जाए जिससे वहां से उन्हें रिजर्वेशन कम जर्नी टिकट जारी कर दिया जाए। इस कार्ड को हर तीन साल में मुख्यालय से रिन्यू करने का एक नियम और बना दिया जाए तो सारी समस्या का समाधान हो जाएगा. यदि ऐसा किया जाए तो सभी को सुविधा होगी और किसी को असुविधा का सामना भी नहीं करना पड़ेगा।
६ वें वेतन आयोग कि सिफारिशों के मुताबिक ९ कैडर को एक करना है और उन्हें रिट्रेनिंग देकर एक कामन कैडर में बदल देना है। फिर उनसे काम करवाना है, जैसे नाके पर मजदूर खड़े रहते है वैसे, उन्हें जो भी काम करने को कहा जायेगा, करना पड़ेगा। इससे पहले ही मेडिकली डीकैटगराइज्द/सरप्लस सर्कुलर जारी कर दिया गया है। इस सर्कुलर में रिक्त पदों को भरने का उल्लेख कहीं भी नहीं है। क्लेरिकल (ऑफिस) पदों पर तो १९८७ के बाद स्पोर्ट्स कोटे के अलावा अभी तक भर्ती नहीं हुई है, रेल कर्मियों का कहना है कि ऐसे में ममता दीदी रिटायर्मेंट पास के बारे में जरूर सोचेंगी।
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