Saturday 8 August, 2009

कटरा-बनीहाल प्रोजेक्ट पुन: डिरेल
नाराज रेलमंत्री ने नोट वापस किया
नयी दिल्ली : कटरा-बनीहाल रेल लिंक विवादित प्रोजेक्ट पर दिखाई गई जल्दबाजी के लिए रेलमंत्री ममता बनर्जी ने भारी नाराजगी व्यक्त की है और रेलवे बोर्ड द्वारा प्रस्तुत किए गए नोट को वापस कर दिया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस विवादित प्रोजेक्ट पर सुझाव देने के लिए पूर्व सीआरबी एम. रवींद्र की अध्यक्षता में गठित की गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट वर्तमान एलाइनमेंट के पक्ष में दी है. रेलवे बोर्ड के एक सेक्शन ऑफीसर द्वारा उक्त विशेषज्ञ कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान एलाइनमेंट में काम शुरू करने के लिए बनाए गए नोट पर रे.बो. के चेयरमैन एस.एस. खुराना सहित सभी मेंबरों के हस्ताक्षर देखकर आश्चर्यचकित ममता बनर्जी भड़क उठी थीं. बताते हैं कि उन्होंने उक्त फाइल को वापस करते हुए कहा कि मुझे आश्चर्य इस बात का हो रहा है कि फाइल में समिति की रिपोर्ट पर रे.बो. ने अपना कोई नजरिया प्रस्तुत क्यों नहीं किया है.
सूत्रों का कहना है कि 25 जून को पुटअप किए गए उक्त नोट पर ममता बनर्जी ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 'मंत्री के सामने बजाय सीआरबी द्वारा नोट पुटअप किए जाने के एक मामूली सेक्शन अफसर का नोट भेजा जा रहा है. क्या सीआरबी और बोर्ड मेंबरों ने उन्हें बच्चा समझ रखा है.' सूत्रों का कहना है कि वास्तव में बोर्ड द्वारा मंत्री को अंधेरे में रखकर नोट पर उनके हस्ताक्षर लेकर चालाकी से उक्त विवादित प्रोजेक्ट पर समिति के सुझावों का आधार लेकर जल्दी से जल्दी 'वर्तमान एलाइनमेंट' पर काम शुरू करवा देना था, जिससे उनकी खाल बच जाए, जबकि उक्त प्रोजेक्ट का काम बंद हुए करीब एक साल से ज्यादा हो चुका है और अब तक इसमें लगभग 2000 करोड़ का नुकसान रेलवे को हुआ है.
उल्लेखनीय है कि करीब साल भर पहले वर्तमान एलाइनमेंट को रद्द करते हुए नये एलाइनमेंट में काम करने की मंजूरी के तहत इस महत्वपूर्ण परियोजना का काम बंद कर दिया गया था. अब समिति के सुझावों का सहारा लेकर इस पर काम शुरू कराने की जल्दबाजी बोर्ड द्वारा बिना सुरक्षा एवं संरक्षा के कारणों का निराकरण किए ही की गई है, जिनकी वजह से इस अति महत्वाकांक्षी रेल परियोजना का काम बंद करना पड़ा था. इसके अलावा इस विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों एवं विसंगतियों पर अपनी टिप्पणी दर्ज करते हुए ममता बनर्जी ने सीआरबी को लिखकर यह पूछा है कि उक्त प्रोजेक्ट का काम शुरू करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों या सुझावों की क्या और कितनी उपयोगिता हो सकती है. इस बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी शीघ्र मुहैया कराई जाए.
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान और प्रस्तावित एलाइनमेंट का तुलनात्मक अध्ययन करके दोनों के अलग-अलग फायदे-नुकसान के बारे में अपनी सिफारिशें/सुझाव देने के बजाय विशेषज्ञ समिति ने यथास्थिति बनाए रखने की साधारण रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। यहां तक कि समिति ने यथास्थिति बनाए रखते हुए वर्तमान एलाइनमेंट पर ही काम शुरू करने का सुझाव देते समय इस बारे में भी विचार नहीं किया। उक्त एलाइनमेंट का तीन चौथाई हिस्सा पहले ही उखाड़ा जा चुका है. कमेटी ने इसे 'लोकलाइज्ड चेंजेज' कहकर दरकिनार कर दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि समिति ने यह काम अब तक रेलवे को हो चुके भारी नुकसान को ध्यान में रखकर नहीं किया है. ज्ञातव्य है कि अब तक इस परियोजना के निर्माण मेरेलवे 570 करोड़ रु. खर्च कर चुकी है, जबकि करीब 200 करोड़ रु. के कार्य रोक दिए गए हैं और संबंधित कांट्रेक्टर ने इस नुकसान की भरपाई के लिए 1000 करोड़ रु. से ज्यादा का दावा रेलवे पर किया है.
उल्लेखनीय है कि पांच साल में यह महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी करने का लक्ष्य तय करके इसके निर्माण कार्य की शुरुआत वर्ष 2002 में की गई थी, जबकि गत वर्ष यानी काम बंद करते समय तक इसका मात्र 10 प्र.श. काम ही हो पाया था. बताते हैं कि रेलमंत्री ने सीआरबी को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस 'परियोजना को पूरा करने के लिए सख्त मॉनीटरिंग मैकेनिज्म के साथ एक निश्चित समय सीमा तय की जानी चाहिए.Ó सूत्रों का कहना है कि सीआरबी द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी से ऐसा जाहिर होता है कि वे पूर्व मेंबर इंजीनियरिंग के उस निर्णय को पलट देना चाहते हैं जो कि उन्होंने वर्तमान की जगह नए एलाइनमेंट पर निर्माण कर्य करने के लिए लिया था. ममता बनर्जी ने ताजा वस्तुस्थिति जल्दी से जल्दी पुटअप करने को सीआरबी से कहा था, परंतु महीने भर से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ है.

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