18 हजार ट्रेन कर्मचारियों के लिए 15 अरब डॉलर आईटी सिस्टम आपग्रेड करेगी
आधुनिक टेक्नोलॉजी से रेलवे में हो रहा परिवर्तन
अब तक रेलवे ड्राइवर को ट्रेन सौंपने का कार्य मैन्युअली करती थी. पहले यह तय नहीं था और विद्यमान ड्राइवर को यह जानकारी भी नहीं होती थी कि अगले स्टेशन पर ड्यूटी समाप्त होने पर वह इंजन किस ड्राइवर को सौंपेगा, परंतु अब ऐसा नहीं रहेगा. अब रेलवे में नई टेक्नोलॉजी के कारण स्थिति में बहुत परिवर्तन आया है. अब भारतीय रेल के 88,000 ट्रेन चालक दल, नई क्रू प्रबंध सिस्टम (सीएमएस) का लाभ उठाएंगे. यह एक इनहाऊस ड्राइवर डिक्लप्ड सॉफ्टवेयर है. इसमें बायोमेट्रिक पहचान अर्थात ड्राइवर की पहचान की व्यक्तिगत सांख्यिकी होगी और इसी पहचान के आधार पर ट्रेन आवंटन होगी. इस सिस्टम में प्रत्येक इंजिन क्रू के विवरण रहेंगे. इसी के आधार प्रत्येक चालक और ट्रेन का टाइम टेबल पहले से ही निर्धारित रहेगा. भारतीय रेलवे 37,000 करोड़ के बजट वाली एक स्वतंत्र और सर्वोपरि अर्थव्यवस्था है. प्रतिदिन 18,000 सवारी गाडिय़ों में 1.80 करोड़ यात्री यात्रा करते हैं. आगामी तीन वर्षों के अंदर-अंदर इस सॉफ्टवेयर को अपग्रेड करने के लिए 15 अरब डॉलर व्यय होने की संभावना है.
चालक दल को योग्य रीति से काम मिलेगा. राजधानी, शताब्दी और सामान्य एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाने/संचालन के लिए एक अलग विशिष्ट कौशल्य की जरूरत होती है. डीजल और विद्युत संचालित इंजनों के लिए भी विशिष्ट कौशल जरूरी है. अब हम चालक दल के सदस्य और उनके नंबर पर सर्च कर यह जान सकते हैं कि वह इस समय कहा है. सेंटर फार रेलवे इंफोर्मेशन सिस्टम (सीआरआईएस) ने वर्ष 2006 में क्रू मैनेजमेंट पाइलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इससे अब चालक दल के सदस्यों को उनके परिजन जान सकते हैं कि वे इस समय कहा हैं.
Saturday, 8 August 2009
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