Saturday 8 August, 2009

पू.म.रे. इंजी. विभाग में अवैध पदोन्नतियां
हाजीपुर : पूर्व रेलमंत्री के रहते पिछले पांच सालों में पूरा पू.म.रे. तो वैसे ही उनकी बपौती बनकर रह गया था और साथ ही यहां के कुछ विशेष अधिकारी एवं कर्मचारी उनके बच्चों के मामा बन गए थे, जिससे अन्य कोई अधिकारी अथवा रेलवे बोर्ड या विजिलेंस वाले उनका कुछ न बिगाड़ सकें. हालांकि उक्त स्थिति में अभी भी ज्यादा बदलाव नहीं आया है क्योंकि पीसीई जैसे कुछ खास पदों पर पूर्व रेलमंत्री द्वारा बैठाए गए उनके बच्चों के 'मामाओंÓ की मनमानी और निरंकुशता में अभी तक कोई तब्दीली नहीं आई है. इसका एक ताजा उदाहरण यहां प्रस्तुत है.
सोनपुर मंडल, पू.म.रे. के एक तदर्थ (एडहॉक) जेई/II/पी-वे को ऑफिस ऑर्डर नं. का./2/3/5/इंजी./सोन/7/09 दिनांक 06.02.09 के अनुसार प्रमोट करके रेगुलर सेक्शन इंजीनियर (एसई) पी-वे बना दिया गया है. यह एकमात्र ऐसे तदर्थ जेई हैं जिन्हें दि. 01.11.03 को हुई रिस्ट्रक्चरिंग को आधार बनाते हुए एसई बनाया गया है, जबकि यह वह तारीख है जब दुर्भाग्यवश इस रेलवे जोन के गठन का नोटिफिकेशन निकाला गया था. इसलिए तब तो यह कर्मचारी कहीं खलासी रहा होगा, तो जो कर्मचारी 01.11.2003 को जेई/ढ्ढढ्ढ भी नहीं था, वह जेई/1 कब बना, फिर उसे एसई कैसे बनाया गया? एकमात्र उसे ही 6 साल पहले हुई रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ कैसे दिया गया? यह विचारणीय है.
ज्ञातव्य है कि पू.म.रे. को अपनी बपौती समझने वाले पूर्व रेलमंत्री के इशारे पर अथवा उनके बच्चों के मामा बन गए यहां के कुछ अधिकारियों की मनमानी के कारण अवैध एवं अनियमित रूप से इंजी. विभाग के तमाम खलासियों/हेल्परों को तदर्थ पदोन्नतियां देकर उनसे वह काम करवाये गये जो डिग्री/डिप्लोमा लेकर कठिन प्रतिस्पर्धा पास करके आने वाले अनुभवी जेई/एसई/एसएसई करते हैं. यहां तक कि ऑफिस क्लर्क/स्टोर क्लर्क जैसे गैर तकनीकी कर्मियों तक को यह तदर्थ पदोन्नतियां अवैध रूप से नियम के विरुद्ध प्रदान की गई हैं. ऐसी भी जानकारी स्टाफ को मिली है.
यही नहीं तकनीकी कर्मचारियों को 6वें वेतन आयोग द्वारा दी गई 4200 ग्रेड पे को बढ़ाकर 4600 किए जाने की कोई गाइड लाइन अब तक रेलवे बोर्ड द्वारा जारी नहीं किए जाने से उच्च वेतनमान में प्रमोशन और सेलेक्शन में अघोषित रोक लगी हुई है. यही वजह है कि पू.म.रे. विजिलेंस द्वारा वीआई पद हेतु सिर्फ 6500-10500 के वेतनमान वाले कर्मचारियों से ही आवेदन मंगाए गए हैं, जबकि इससे पहले 5000 और 5500 ग्रेड वालों से यह आवेदन मंगाकर 6500 ग्रेड में उनकी नियुक्ति विजिलेंस में की जाती थी.
ज्ञातव्य है कि इस तदर्थ प्रोन्नति घोटाले के संबंध में विगत में 'रेलवे समाचार' न कई गंभीर खबरें प्रकाशित की थीं. उनके आधार पर पता चला है कि सभी विभागों से तदर्थ कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा कार्मिक विभाग के माध्यम से विजिलेंस ने मांगा है. इसी के मद्देनजर सिर्फ उपरोक्त एकमात्र कर्मचारी को आनन-फानन में रेगुलर कर दिया गया है. हालांकि चार अन्य आईओडब्ल्यू कर्मचारियों को भी बिना परीक्षा लिए ही रेगुलर किए जाने की खबर है. सूत्रों का यह भी कहना है कि इन पांचों से इसके लिए एक-एक लाख रुपए वसूल किए गए हैं.
कर्मचारियों का कहना है कि नया जोन बनने के बाद अन्य जोनों से यहां जो एसई/एसएसई ऑप्शन देकर आये थे, उनका भविष्य और कैरियर दोनों अंधकारमय हो रहा है क्योंकि उनकी लीन मुख्यालय में दबी पड़ी है, जिससे उनके प्रमोशन कार्यान्वित नहीं हो रहे हैं, जबकि तदर्थ खलासी/हेल्पर और गैर तकनीकी कर्मचारी पदोन्नतियां लेकर उनके समकक्ष पहुंच गए हैं और वे जहां के तहां पड़े हैं. बताते हैं कि ऐसे कुछ एसई/एसएसई ने अपने पुराने जोन में वापस जाने के लिए भी कई-कई बार आवेदन दिए हैं. परंतु उनके इन आवेदनों पर न तो आज तक कोई सुनवाई हुई है, न तो उन्हें कोई जवाब दिया गया है और न ही उन्हें वापस जाने की अनुमति मिली है. इसके अलावा उन्हें कोई पदन्नति भी नहीं दी जा रही है. बताते हैं कि पू.म.रे. में ऐसी कोई सेंक्शन पोस्टें न होते हुए भी ऐसे कर्मचारियों को बुला लिया गया था.
ऐसे कर्मचारियों का कहना है कि जब पू.म.रे. में एसई/एसएसई की सेंक्शन पोस्टें ही नहीं थीं तो उन्हें बुलाया ही क्यों गया था? अब उन्हें अपनी पैरेंट रेलवे में वापस जाने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है? उनका कहना है कि उन्हें इस गलत तरीके से और धोखे में रखकर जिन अधिकारियों ने बुलाया था, उनकी जिम्मेदारी तय करके अब उनके खिलाफ विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए. क्योंकि अब वैसे भी यहां फंड नहीं होने से कर्मचारी सरप्लस हो रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि पू.म.रे. निर्माण संगठन में जो तदर्थ कर्मचारी ओपन लाइन के स्टेशनों पर कार्यरत हैं, उन्हें अब फंड या काम न होने से डिवीजनों में भेज दिया जाना चाहिए और जो प्रशिक्षित कर्मचारी अन्य जोनों से यहां आये हैं, उन्हें समुचित पदोन्नति देकर उनसे ही निर्माण संगठन में काम लिया जाना चाहिए.
इसके अलावा यहां 30 जून को रिटायर हो गए एक्सईएन श्री राम अयोध्या तिवारी का रिटायरमेंट सेटलमेंट अभी तक नहीं किया गया है. पू.म.रे. में ऐसे अन्य तमाम अधिकारी-कर्मचारी हैं, जो फाइनल सेटेलमेंट के लिए महीनों से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं परंतु उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जबकि जैसे चापलूसों को अवैध रूप से नियम के विरुद्ध पदोन्नति देने वाले ऐसे सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग यहां समस्त कर्मचारियों ने की है.
उज्जैन रनिंग मुख्यालय पर चौतरफा मार
ए. सुंदरेशन का स्टाफ का जबरदस्त कहर
उज्जैन : प.रे. के उज्जैन मुख्यालय पर पूर्व की तरह रतलाम मंडल के अधिकारियों, नेताओं की वजह से फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. स्टाफ का कहना है कि वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (क/प) (सीनियर डीईई/टीडी) की स्टाफ पर तानाशाही लगातार बढ़ रही है. स्टाफ के अनुसार सीनियर डीईई/टीडी कभी भी उज्जैन स्टाफ से कोई चर्चा नहीं करते हैं और रतलाम रनिंग मुख्यालय के कतिपय कर्मचारियों और नेताओं के दबाव में आकर उज्जैन रनिंग स्टाफ को हमेशा तनाव में रखते हैं. जिससे रेलवे की संरक्षा एवं सुरक्षा प्रभावित हो रही है. कभी वे 30 घंटे का साप्ताहिक विश्राम रद्द करने का आदेश देते हैं, तो कभी इंदौर में लॉबी बनाने का तुगलकी आदेश देते हैं. कभी 72 घंटे की अमावनीय लिंक बनाने का आदेश देते हैं, तो कभी कोई और तुगलकी आदेश देते हैं. स्टाफ ने बताया कि हाल ही में अपने पूर्व में किए वादे से फिरते हुए सीनियर डीईई/टीडी ने रतलाम के रनिंग स्टाफ को रतलाम-भोपाल-रतलाम मालगाड़ी की सौगात दी है. इतना ही नहीं उज्जैन का वर्किंग अब केवल रतलाम स्टाफ ही नहीं हड़प रहा है, बल्कि अब तो भोपाल (पश्चिम मध्य रेलवे) के साथ-साथ इटारसी का स्टाफ भी उज्जैन तक मालगाड़ी का वर्किंग कर रहा है. ऐसी ही एक घटना को लेकर हाल ही में यूनियन का उज्जैन शाखा ने आपत्ति जताई है, जिसमें उज्जैन के ड्राइवरों को रतलाम मुख्यालय के चालक ने चार्ज नहीं दिया और सारे आदेशों को धता बताते हुए गाड़ी को जबरदस्ती भोपाल से रतलाम तक ले गया.

No comments: