मिसिंग एसीआर निर्णय में बाधक नहीं : सीआईसी
नयी दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुझाव दिया है कि किसी अधिकारी के बारे में उसकी पदोन्नति आदि से संबंधित निर्णय लेने में उसकी खोई (मिसिंग) वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) बाधक
नहीं होनी चाहिए. केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री वजाहत हबीबुल्ला ने कैबिनेट सेक्रेटरी को यह सुझाव इस बात के मद्देनजर दिया है कि जब यह कहा गय कि अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट संबंधी फाइलें लगातार चल रही बिजली की कौटती अथवा इमर्जेंसी लाइट के अभाव के चलते एक ही चेंबर में स्टोर कर दी गई है, और मिल नहीं रही हैं.
रिकार्ड प्रबंधन सुविधाओं की खराब व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए श्री हबीबुल्ला ने कहा कि देश के एक महत्वपूर्ण विभाग, जो कि रिकार्ड कीपिंग के लिए जिम्मेदार है, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) की यह बहानेबाजी है. यह विभाग देश की उच्च सिविल सेवाओं के सभी अधिकारियों के कैरियर की देखभाल करता है. अपने आदेश में सीआईसी ने कहा है कि कैबिनेट सेक्रेटरी को डीओपीटी की इस वर्तमान नीति पर पुनर्विचार करन चाहिए, जिससे कि यदि डीओपीटी की वर्तमान नीतियों के चलते किसी अधिकारी की किसी वर्ष की कोई एसीआर खो जाती है अथवा समय पर उपलब्ध नहीं होती है तो उसे 'मैनडेटरी' न मानते हुए आवश्यक निर्णय लेने में देरी न की जाए.
नयी दिल्ली : केंद्रीय सूचना आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सुझाव दिया है कि किसी अधिकारी के बारे में उसकी पदोन्नति आदि से संबंधित निर्णय लेने में उसकी खोई (मिसिंग) वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) बाधक
नहीं होनी चाहिए. केंद्रीय सूचना आयुक्त श्री वजाहत हबीबुल्ला ने कैबिनेट सेक्रेटरी को यह सुझाव इस बात के मद्देनजर दिया है कि जब यह कहा गय कि अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट संबंधी फाइलें लगातार चल रही बिजली की कौटती अथवा इमर्जेंसी लाइट के अभाव के चलते एक ही चेंबर में स्टोर कर दी गई है, और मिल नहीं रही हैं.
रिकार्ड प्रबंधन सुविधाओं की खराब व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए श्री हबीबुल्ला ने कहा कि देश के एक महत्वपूर्ण विभाग, जो कि रिकार्ड कीपिंग के लिए जिम्मेदार है, डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) की यह बहानेबाजी है. यह विभाग देश की उच्च सिविल सेवाओं के सभी अधिकारियों के कैरियर की देखभाल करता है. अपने आदेश में सीआईसी ने कहा है कि कैबिनेट सेक्रेटरी को डीओपीटी की इस वर्तमान नीति पर पुनर्विचार करन चाहिए, जिससे कि यदि डीओपीटी की वर्तमान नीतियों के चलते किसी अधिकारी की किसी वर्ष की कोई एसीआर खो जाती है अथवा समय पर उपलब्ध नहीं होती है तो उसे 'मैनडेटरी' न मानते हुए आवश्यक निर्णय लेने में देरी न की जाए.
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