रेलवे बोर्ड के ऊपर गठित 'सुपर रेलवे बोर्ड'
नयी दिल्ली : रेलमंत्री ममता बनर्जी भले ही अपनी घोषणा के अनुरूप चेयरमैन रेलवे बोर्ड और सेक्रेटरी/रेलवे बोर्ड को न हटा पाई हों परंतु उन्होंने अपने नजदीकी और फिक्की के महासचिव डॉ. अमित मित्रा की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेेटी (विशेषज्ञ समिति) यानी रेलवे बोर्ड के ऊपर एक 'सुपर रेलवे बोर्ड' बनाकर इन दोनों पदों पर विराजमान उच्च रेल अधिकारियों को उनकी हैसियत का अहसास अवश्य करा दिया है. इस सुपर रेलवे बोर्ड के चलते उपरोक्त दोनों पदों सहित रेलवे बोर्ड के अन्य मेंबरों के पदों की भी हैसियत कम हुई है. क्योंकि डॉ. मित्रा की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में सीआरबी, एमटी, एमई, एफसी आदि मात्र सदस्य बनकर रह गये हैं. जहां भा.रे. में सीआरबी का एकमात्र सर्वोच्च पद है, वहीं यह सीआरबी अब सिर्फ एक सदस्य मात्र है जबकि बाकी बोर्ड मेंबर भी सामान्य सदस्य के रूप में इस कमेटी में शामिल किये गये है.
उल्लेखनीय है कि 25 जुलाई 2009 को रे. बो. ने पत्रांक ईआरबी-II/२००९/२३/२८ जारी करके इस विशेषज्ञ समिति के विधिवत गठन और इसके सदस्यों के नामों की घोषणा की है. इस समिति के अध्यक्ष डॉ. अमित मित्रा
(महासचिव-फिक्की) हैं जबकि सदस्यों में रिटायर्ड आईएएस और पूर्व सचिव ग्रामीण विकास, भारत सरकार श्री देववृत बंद्योपाध्याय, चेयरमैन एवं फाउंडिंग पार्टनर तमारा कैपिटल श्री उद्यान बोस, चेयरमैन इंडियन वेंचर
कैपिटल एसोसिएशन एवं नासकाम के सहस्थापक श्री सौदभ श्रीवास्तव, श्री सुधीर कुलकर्णी (भाजपा के पूर्व विचारक), सीआरबी श्री. एस. एस. खुराना, एमटी श्री प्रकाश, एफसी श्रीमती सौम्या राघवन, एमई श्री राकेश चौपड़ा
पूर्व सीमडी- ईस्टर्न कोल फील्डस श्री अब्दुल कलाम, पूर्व एमई श्री वी. के. अग्निहोत्री, पूर्व जीएम/पूर्व रेलवे श्री एस. रामनाथन. एआईआरएफ के प्रतिनिधि श्री शिवगोपाल मिश्रा, एनएफआईआर के प्रतिनिधि श्री एम.
राघवैया, एडवायजर (एलएंडए) रे.बो. श्री वी. के गुप्ता और बतौर मेंबर सेक्रेटरी फिक्की के सीनियर डायरेक्टर श्री एम.वाई. रेड्डी शामिल हैं.
रेलवे बोर्ड द्वारा 25 जुलाई को जारी उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया है कि डॉ. अमित मित्रा की अध्यक्षता में गठित यह विशेषज्ञ समिति (पढ़ें सुपर रेलवे बोर्ड) प्राईवेट पब्लिक-पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से रेलवे व्यवसाय के विकास और इसकी परिसंपत्तियों के लिए पूंजी जुटाने के संभावित विकल्पों का सुझाव देगी. इसके तहत यह समिति वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से लगकर दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए औद्योगिक के केंद्रों, रेल पोर्ट कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक पाक्र्स, मेगा पावर प्लांट्स और इन्हीं सबके लिए ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर से लगकर डंकुनी-लुधियाना कॉरिडोर के लिए भी यही सारे विकास कार्यों के लिए सुझाव और फंड की व्यवस्था करेगी.
अ. डंकुनी-माजेरहाट-नौपारा में ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर के साथ-साथ रेलवे बैंक लैंड का उपयोग करके वहां रोलिंग स्टाक प्रोडक्शन असेम्बली फैसल्टिज और कोच रिहैबिलिटेशन जैसे प्रोजेक्टस शुरु किए जायेंगे.
ब. प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्कस स्थापित किए जाएंगे.
स. कचरापाड़ा-हालीसहार रेलवे कॉम्प्लेक्स में नई रेलवे कोच फैक्ट्री स्थापित करने के लिए पीपीपी/जेवी की संभावनाए तलाश करना.
द. वल्र्ड क्लास स्टेशनों, मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स, मेडिकल कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना एवं फंडिंग.
र. रेलवे लैंड एवं एयर स्पेस के कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बिजनेस मॉडल एवं रणनीतियों का विकास.
7. सभी पूंजी धारकों और राज्य सरकारों की भागीदारी सहित रेलवे की वर्तमान सभी योजनाओं एवं सुविधाओं, जो कि आर्थिक रुप से रेलवे के लिए नुकसानदेह साबित हो रही हों, परंतु सामाजिक रुप से जिनकी जिम्मेदारी रेलवे पर है, ऐसी सभी योजनाओं की समीक्षक और उनकी फंडिंग.
य. एनटीपीसी के सहयोग से आद्रा में 1000 मेगावाट का विद्युत पावर प्लांट स्थापित करना.
4. रेलवे द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही तमाम योजनाओं की प्रगति की समीक्षा.
5. लघु, माध्यम एवं दीर्घावधि की योजनाबद्ध कार्रवाई के तहत रेलवे के लिए विजन 2020 का विकास करना.
6. इसके अलावा कमेटी को भेजे जाने वाले अन्य मुद्दे अथवा जिन्हें कमेटी आवश्यक समझे, उन मुद्दों पर विचार कर सकती है. यह कमेटी अपनी पहली बैठक के 15 दिन बाद से ही अपने सुझाव और सिफारिशें देने शुरु कर देगी. डॉ. मित्रा की अध्यक्षता में गठित यह विशेषज्ञ समिति रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा रेल बजट 2009-10 में जो भी रेल परियोजनाओं घोषित की गई हैं, उन सभी योजनाओं को पीपीपी के माध्यम से लागू किए जाने के बारे में विचार करेगी.
मान्यताप्राप्त लेबर फेडरेशनों का कहना है कि यह उन्हें दिए गये आश्वासन, कि रेलवे में निजीकरण नहीं किया जायेगा, रेलमंत्री द्वारा वादाखिलाफी है. जबकि भारतीय रेल को सुचारु रुप से चलाने के लिए रेलमंत्री ने आवश्यक
कैटेगरी में भर्ती का जो आश्वासन दिया था, वह भी पूरा होता नहीं दिख रहा है. एआईआरएफ ने कॉ. उमरावमल पुरोहित के नेतृत्व में ऐसे सभी निजीकरण और पीपीपी/जेवी के पूरी तरह खिलाफ है और इसका पुरजोर विरोध करने का निर्णय एआईआरएफ ने लिया है.
विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक
डॉ. मित्रा की अध्यक्षता वाली इस विशेषज्ञ समिति अथवा सुपर रेलवे बोर्ड की पहली बैठक पीपीपी के माध्यम से बिजनेज माडल्स एवं इन्नोवेटिव फंडिंग के विकास के लिए रे. बो. में 10 अगस्त 09 को हुई इसमें मल्टी फंक्शन
काम्प्लेक्स डंकुनी प्रोजेक्ट, काचरापाड़ा प्रोजेक्ट, लॉजिस्टिक पाक्र्स सहित किसान विजन प्रोजेक्ट्स, वल्र्ड क्लास रेलवे स्टेशन्स, भूमि की उपलब्धता और इसके वाणिज्यिक इस्तेमाल की संभावनाएं आदि मुद्दों पर केंद्रित विचार-विमर्श किया गया.
इस मीङ्क्षटग में हुए विचार-विमर्र्श का कुल लब्बोलुआब यह था कि रेलमंत्री द्वारा बजट में घोषित की गई घोषणाओं पर अमल करना और उन्हें आगे बढ़ाना तथा इनके लिए पीपीपी के माध्यम से फंडिंग की व्यवस्था करना ही था. जबकि रेलवे की तरफ से जो पूर्व और वर्तमान सदस्यों और फेडरेशनों का झुकाव या जोर संयुक्त उपक्रम स्थापित करने पर ज्यादा था क्योंकि इस बारे में एआईआरएफ के महासचिव और इस समिति के सदस्य कॉ. शिव गोपाल मिश्रा का कहना था कि आंतरिक श्रोतों से ही लागत निकालने पर जोर होना चाहिए और सभी
रेल परियोजनाओं का निर्माण रेल मंत्रालय द्वारा ही किया जाये, किसी निजी एजेंसी द्वारा यह काम नहीं कराये जाने चाहिए.
कॉ. मिश्रा ने मीटिंग में साफ कहा कि इस कमेटी के गैर रेलवे सदस्य रेल की स्थितियों को नहीं समझ सकते हैं, वे इसे भी एक निजी औद्योगिक घराने की तरह मानकर चर्चा कर रहे हैं. परंतु एआईआरएफ ऐसे किसी भी पीपीपी निजीकरण का विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि जब तक यह समिति अथवा स्वयं रेलमंत्री तमाम रेल परियोजनाओं पर अमल रेलवे के अंतर्गत नहीं करती हैं, तब तक एआईआरएफ उनके साथ है. अन्यथा वह इनके विरोध में खड़ा नजर आयेगा क्योंकि फेडरेशन को रेलवे में निजीकरण किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विशेषज्ञ समिति चाहे जितना प्रयास कर ले, रेल योजनाओं की फंडिंग के लिए निजी क्षेत्र से कभी पैसा नहीं जुटा पायेगी.
नयी दिल्ली : रेलमंत्री ममता बनर्जी भले ही अपनी घोषणा के अनुरूप चेयरमैन रेलवे बोर्ड और सेक्रेटरी/रेलवे बोर्ड को न हटा पाई हों परंतु उन्होंने अपने नजदीकी और फिक्की के महासचिव डॉ. अमित मित्रा की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेेटी (विशेषज्ञ समिति) यानी रेलवे बोर्ड के ऊपर एक 'सुपर रेलवे बोर्ड' बनाकर इन दोनों पदों पर विराजमान उच्च रेल अधिकारियों को उनकी हैसियत का अहसास अवश्य करा दिया है. इस सुपर रेलवे बोर्ड के चलते उपरोक्त दोनों पदों सहित रेलवे बोर्ड के अन्य मेंबरों के पदों की भी हैसियत कम हुई है. क्योंकि डॉ. मित्रा की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी में सीआरबी, एमटी, एमई, एफसी आदि मात्र सदस्य बनकर रह गये हैं. जहां भा.रे. में सीआरबी का एकमात्र सर्वोच्च पद है, वहीं यह सीआरबी अब सिर्फ एक सदस्य मात्र है जबकि बाकी बोर्ड मेंबर भी सामान्य सदस्य के रूप में इस कमेटी में शामिल किये गये है.
उल्लेखनीय है कि 25 जुलाई 2009 को रे. बो. ने पत्रांक ईआरबी-II/२००९/२३/२८ जारी करके इस विशेषज्ञ समिति के विधिवत गठन और इसके सदस्यों के नामों की घोषणा की है. इस समिति के अध्यक्ष डॉ. अमित मित्रा
(महासचिव-फिक्की) हैं जबकि सदस्यों में रिटायर्ड आईएएस और पूर्व सचिव ग्रामीण विकास, भारत सरकार श्री देववृत बंद्योपाध्याय, चेयरमैन एवं फाउंडिंग पार्टनर तमारा कैपिटल श्री उद्यान बोस, चेयरमैन इंडियन वेंचर
कैपिटल एसोसिएशन एवं नासकाम के सहस्थापक श्री सौदभ श्रीवास्तव, श्री सुधीर कुलकर्णी (भाजपा के पूर्व विचारक), सीआरबी श्री. एस. एस. खुराना, एमटी श्री प्रकाश, एफसी श्रीमती सौम्या राघवन, एमई श्री राकेश चौपड़ा
पूर्व सीमडी- ईस्टर्न कोल फील्डस श्री अब्दुल कलाम, पूर्व एमई श्री वी. के. अग्निहोत्री, पूर्व जीएम/पूर्व रेलवे श्री एस. रामनाथन. एआईआरएफ के प्रतिनिधि श्री शिवगोपाल मिश्रा, एनएफआईआर के प्रतिनिधि श्री एम.
राघवैया, एडवायजर (एलएंडए) रे.बो. श्री वी. के गुप्ता और बतौर मेंबर सेक्रेटरी फिक्की के सीनियर डायरेक्टर श्री एम.वाई. रेड्डी शामिल हैं.
रेलवे बोर्ड द्वारा 25 जुलाई को जारी उक्त नोटिफिकेशन में कहा गया है कि डॉ. अमित मित्रा की अध्यक्षता में गठित यह विशेषज्ञ समिति (पढ़ें सुपर रेलवे बोर्ड) प्राईवेट पब्लिक-पार्टनरशिप (पीपीपी) के माध्यम से रेलवे व्यवसाय के विकास और इसकी परिसंपत्तियों के लिए पूंजी जुटाने के संभावित विकल्पों का सुझाव देगी. इसके तहत यह समिति वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से लगकर दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए औद्योगिक के केंद्रों, रेल पोर्ट कनेक्टिविटी, लॉजिस्टिक पाक्र्स, मेगा पावर प्लांट्स और इन्हीं सबके लिए ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर से लगकर डंकुनी-लुधियाना कॉरिडोर के लिए भी यही सारे विकास कार्यों के लिए सुझाव और फंड की व्यवस्था करेगी.
अ. डंकुनी-माजेरहाट-नौपारा में ईस्टर्न फ्रेट कॉरीडोर के साथ-साथ रेलवे बैंक लैंड का उपयोग करके वहां रोलिंग स्टाक प्रोडक्शन असेम्बली फैसल्टिज और कोच रिहैबिलिटेशन जैसे प्रोजेक्टस शुरु किए जायेंगे.
ब. प्राइवेट फ्रेट टर्मिनल और मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्कस स्थापित किए जाएंगे.
स. कचरापाड़ा-हालीसहार रेलवे कॉम्प्लेक्स में नई रेलवे कोच फैक्ट्री स्थापित करने के लिए पीपीपी/जेवी की संभावनाए तलाश करना.
द. वल्र्ड क्लास स्टेशनों, मल्टी फंक्शनल कॉम्प्लेक्स, मेडिकल कॉलेजों और नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना एवं फंडिंग.
र. रेलवे लैंड एवं एयर स्पेस के कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बिजनेस मॉडल एवं रणनीतियों का विकास.
7. सभी पूंजी धारकों और राज्य सरकारों की भागीदारी सहित रेलवे की वर्तमान सभी योजनाओं एवं सुविधाओं, जो कि आर्थिक रुप से रेलवे के लिए नुकसानदेह साबित हो रही हों, परंतु सामाजिक रुप से जिनकी जिम्मेदारी रेलवे पर है, ऐसी सभी योजनाओं की समीक्षक और उनकी फंडिंग.
य. एनटीपीसी के सहयोग से आद्रा में 1000 मेगावाट का विद्युत पावर प्लांट स्थापित करना.
4. रेलवे द्वारा वर्तमान में चलाई जा रही तमाम योजनाओं की प्रगति की समीक्षा.
5. लघु, माध्यम एवं दीर्घावधि की योजनाबद्ध कार्रवाई के तहत रेलवे के लिए विजन 2020 का विकास करना.
6. इसके अलावा कमेटी को भेजे जाने वाले अन्य मुद्दे अथवा जिन्हें कमेटी आवश्यक समझे, उन मुद्दों पर विचार कर सकती है. यह कमेटी अपनी पहली बैठक के 15 दिन बाद से ही अपने सुझाव और सिफारिशें देने शुरु कर देगी. डॉ. मित्रा की अध्यक्षता में गठित यह विशेषज्ञ समिति रेलमंत्री ममता बनर्जी द्वारा रेल बजट 2009-10 में जो भी रेल परियोजनाओं घोषित की गई हैं, उन सभी योजनाओं को पीपीपी के माध्यम से लागू किए जाने के बारे में विचार करेगी.
मान्यताप्राप्त लेबर फेडरेशनों का कहना है कि यह उन्हें दिए गये आश्वासन, कि रेलवे में निजीकरण नहीं किया जायेगा, रेलमंत्री द्वारा वादाखिलाफी है. जबकि भारतीय रेल को सुचारु रुप से चलाने के लिए रेलमंत्री ने आवश्यक
कैटेगरी में भर्ती का जो आश्वासन दिया था, वह भी पूरा होता नहीं दिख रहा है. एआईआरएफ ने कॉ. उमरावमल पुरोहित के नेतृत्व में ऐसे सभी निजीकरण और पीपीपी/जेवी के पूरी तरह खिलाफ है और इसका पुरजोर विरोध करने का निर्णय एआईआरएफ ने लिया है.
विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक
डॉ. मित्रा की अध्यक्षता वाली इस विशेषज्ञ समिति अथवा सुपर रेलवे बोर्ड की पहली बैठक पीपीपी के माध्यम से बिजनेज माडल्स एवं इन्नोवेटिव फंडिंग के विकास के लिए रे. बो. में 10 अगस्त 09 को हुई इसमें मल्टी फंक्शन
काम्प्लेक्स डंकुनी प्रोजेक्ट, काचरापाड़ा प्रोजेक्ट, लॉजिस्टिक पाक्र्स सहित किसान विजन प्रोजेक्ट्स, वल्र्ड क्लास रेलवे स्टेशन्स, भूमि की उपलब्धता और इसके वाणिज्यिक इस्तेमाल की संभावनाएं आदि मुद्दों पर केंद्रित विचार-विमर्श किया गया.
इस मीङ्क्षटग में हुए विचार-विमर्र्श का कुल लब्बोलुआब यह था कि रेलमंत्री द्वारा बजट में घोषित की गई घोषणाओं पर अमल करना और उन्हें आगे बढ़ाना तथा इनके लिए पीपीपी के माध्यम से फंडिंग की व्यवस्था करना ही था. जबकि रेलवे की तरफ से जो पूर्व और वर्तमान सदस्यों और फेडरेशनों का झुकाव या जोर संयुक्त उपक्रम स्थापित करने पर ज्यादा था क्योंकि इस बारे में एआईआरएफ के महासचिव और इस समिति के सदस्य कॉ. शिव गोपाल मिश्रा का कहना था कि आंतरिक श्रोतों से ही लागत निकालने पर जोर होना चाहिए और सभी
रेल परियोजनाओं का निर्माण रेल मंत्रालय द्वारा ही किया जाये, किसी निजी एजेंसी द्वारा यह काम नहीं कराये जाने चाहिए.
कॉ. मिश्रा ने मीटिंग में साफ कहा कि इस कमेटी के गैर रेलवे सदस्य रेल की स्थितियों को नहीं समझ सकते हैं, वे इसे भी एक निजी औद्योगिक घराने की तरह मानकर चर्चा कर रहे हैं. परंतु एआईआरएफ ऐसे किसी भी पीपीपी निजीकरण का विरोध करेगा. उन्होंने कहा कि जब तक यह समिति अथवा स्वयं रेलमंत्री तमाम रेल परियोजनाओं पर अमल रेलवे के अंतर्गत नहीं करती हैं, तब तक एआईआरएफ उनके साथ है. अन्यथा वह इनके विरोध में खड़ा नजर आयेगा क्योंकि फेडरेशन को रेलवे में निजीकरण किसी भी कीमत पर मंजूर नहीं होगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह विशेषज्ञ समिति चाहे जितना प्रयास कर ले, रेल योजनाओं की फंडिंग के लिए निजी क्षेत्र से कभी पैसा नहीं जुटा पायेगी.
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