Saturday 3 October, 2009

जहं-जहं पांव पड़े संतन के...
नयी दिल्ली : यह कावत बड़ी मौजूं है और उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विवेक सहाय पर एकदम फिट बैठती है कि जहं-जहं पांव पड़े संतन के, तहं-तहं बंटाधार. इसी तर्ज पर .रे. और ..रे. अधिकारियों-कर्मचारियों की ही तरह
आजकल उत्तर रेलवे के अधिकांश अधिकारी भी यह मानने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं कि 'जहं-जहं पांव पड़े सहाय के तहं-तहं विवाद' हो रहा है.
श्री सहाय के बतौर महाप्रबंधक उत्तर रेलवे में पांव पड़ते ही पहले उनका सीआरबी बनने और बाद में एमएस की रेस लगाने का विवाद पैदा हुआ. बाद में अपने भावी फायदे के लिए सीपीआरओ की पोस्ट पर आईआरटीएस के बजाय अपने खास बिरादरी भाई आईआरपीएस को बैठाया. उधर, क्लेम्स के मामलों में ढ़ाई से तीन गुनी वृद्धि हो गई. फिर अधिकारियों के सरप्लस होने पर भी विवादास्पद ढंग से खास तौर पर उन अधिकारियों को ही बारी-बारी से छुट्टï पर भेजा गया, जो श्री सहाय की गुड बुक में नहीं हैं. मंडल में ब्रांच अधिकारियों की
पोस्टिंग में भी विवादास्पद ढंग से निर्णय लिए जा रहे हैं. अब मुरादाबाद मंडल के सीनियर डीसीएम को भी श्री सहाय ने विवादास्पद ढंग से मेला अधिकारी हरिद्वार के पद पर रातों-रात ट्रांसफर करके नये विवाद को जन्म दे दिया है. हालांकि विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि यह मामला रेल मंत्री तक पहुंच गया है और अगले दो एक दिन में उक्त सीनियर डीसीएम का ट्रांसफर रद्द करने के लिए श्री सहाय को मजबूर होना पड़ सकता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुरादाबाद के ईमानदार सीनियर डीसीएम श्री मनोज शर्मा ने मालगाडिय़ों को अनावश्यक रूप से रोककर उनसे हो रही अवैध वसूली और आउट ऑफ टर्न रेक एलॉटमेंट की शिकायत रेलवे बोर्ड से कर दी थी. इसी खुन्नस में उनका तबादला रातों-रात हरिद्वार कर दिया गया, क्योंकि इस संबंध में उनकी सीनियर डीओएम से नहीं पट रही थी. 'रेलवे समाचार' ने इस संबंध में .रे. के सीओएम एवं सीसीएम से भी बात करने की कोशिश की, मगर उन्होंने यह कहकर बात खत्म कर दी कि कल जीएम जाएंगे, तो मामला शीघ्र ही निपटा लिया जाएगा. इस बारे में जीएम विवेक सहाय का मोबाइल आउट ऑफ नेटवर्क बता रहा था, जबकि डीआरएम/मुरादाबाद श्री रमेश चंद्र के मोबाइल पर कोई रेस्पांस नहीं मिला.
सूत्रों का कहना है कि आउट ऑफ टर्न रेक एलॉटमेंट से लेकर मालगाडिय़ों को अनावश्यक रूप से रोक कर और लोडिंग के लिए समय पर उनका प्लेसमेंट करके लोडिंग पार्टियों से बड़े पैमाने पर अवैध उगाही में वे लोग भी अब मशगूल हो गए हैं, जो अब तक ईमानदारों की श्रेणी में गिने जाते थे. आउट ऑफ टर्न रेक एलॉटमेंट की .पू.रे. की बीमारी अब .रे. में पूरी तरह फैल चुकी है.
सूत्रों का कहना है कि सीनियर डीसीएम ने शायद इसी बारे में कुछ उच्च अधिकारियों की कमजोर नस पर हाथ रख दिया था. जिसका खामियाजा उन्हें ट्रांसफर के रूप में भुगतना पड़ा है. बताते हैं कि अब .रे. लखनऊ मंडल की
सीनियर डीओएम/सेफ्टी श्रीमती प्रवीन गौड़ के मुरादाबाद मंडल में सीनियर डीसीएम के पद पर पोस्टिंग के ऑर्डर हुए हैं, मगर अभी तक उन्होंने ज्वाइन नहीं किया है.
-
सेलेम भेजे गए येशुरत्नम
चेन्नई : 16 सितंबर को सीनियर डीसीएम/चेन्नई मंडल, .रे. श्री येशुरत्नम के ठिकानों पर सीबीआई का छापा पड़ा था. इसके तत्काल बाद उन्हें ट्रांसफर करके नये बने डिवीजन सेलम में समान पद (सीनियर डीसीएम) सेलम मंडल में भेज दिया गया है. रेल प्रशासन के निर्णय की यह कितनी बड़ी विसंगति है कि जिस अधिकारी के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई चल रही है, उसे बजाय मुख्यालय की किसी साइडिंग वाली नॉन सेंसिटिव पोस्ट पर बैठाने के पुन: डिवीजन की सेंसिटिव पोस्ट पर पदस्थ कर दिया गया है.
.रे. के कई अधिकारियों का कहना है कि इससे जाहिर है कि श्री येशुरत्नम के साथ-साथ उनके आका सीसीएम नारायण दास और सीसीएम/पीएस(ओएसडी/कैटरिंग) शेखरन आदि सीबीआई और विजिलेंस से भी ज्यादा पावरफुल हैं, जबकि 'रेलवे समाचार' की सीवीसी को लिखित शिकायत पर .रे. विजिलेंस स्वयं इस मामले में उपरोक्त तीनों अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच कर रहा है और उसने इसकी पुष्टि ईमेल एवं डाक द्वारा 29-30 सितंबर को ही 'रेलवे समाचार' से करवाई है. रेलमंत्री सुश्री ममता बनर्जी और उनका व्यक्तिगत स्टाफ यदि वास्तव में भ्रष्टाचार खत्म करने के प्रति गंभीर है तो उन्हें ऐसे मामलों में बारीकी से ध्यान देने की जरूरत है. 'रेलवे समाचार' शीघ्र ही यह मामला सीवीसी के समक्ष उठाएगा.

No comments: