Sunday 4 October, 2009

जबरन भूमि अधिग्रहण नहीं होगा : ममता

नयी दिल्ली : गत सप्ताह रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक एवं नीतिगत घोषणा करते हुए कहा कि रेल योजनाओं के लिए किसानोंकी भूमि का जबरन अधिग्रहण नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रेलवे की किसी भी परियोजना के लिए लोगों (भूस्वामियों) से सीधे संपर्क करके उनसेअपनी जमीन राष्ट्रीय योजनाओं के लिए देने का अनुरोध किया जाएगा। इस अधिग्रहण के लिए अब कोई एजेंसी की नियुक्ति नहीं की जाएगी। 'जनहितैषी' छवि रखने वाली रेलमंत्री ममता बनर्जी की इस महत्वपूर्ण घोषणा से केंद्र सरकार के लिए अब यह आवश्यक हो गया है कि वह पूर्व रेलमंत्री के दबाव में बनाए गए जबरन भूमि अधिग्रहण नियम में नीतिगत बदलाव करके व्यापक बनाए। भूस्वामियों से भूमि लेने के लिए सीधे उनसे ही बातचीत किए जाने के केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव पर संसदीय स्थायी समिति में विचार किए जाने की संभावना है, हालांकि कैबिनेट मीटिंग में रेलमंत्री ममता बनर्जी ने जबरन भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था तथापि उनका अंतिम विचार आना अभी बाकी बताया जा रहा है।
रेल मंत्री ममता बनर्जी द्वारा रेलवे की भूमि अधिग्रहण नीति पर पुनर्विचार किया जा रहा है, जो कि गत वर्ष 2008 में उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव के समय बनाई गई थी, जिसकी वजह से केंद्र सरकार परेशानी में सकती है क्योंकि इस लगभग जबरन भूमि अधिग्रहण से पूरे देश में सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी फैल सकती है।
हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि भूमि अधिग्रहण नियम में बदलाव सेरेलवे की तमाम बड़ी योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। इसमें वेस्टर्न और ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर वाली अति महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाएं शामिल हैं। जिनमें से सिर्फ वेस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के लिए ही 11 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। सूत्रों का कहना है कि इस मुद्दे पर व्यापक समझदारी और सलाह-मशविरे की जरूरत है।
सूत्रों ने कहा कि केंद्र सरकार को इस बात की चिंता है कि इस नियम में जहां भूमि का जबरन अधिग्रहण नहीं किए जाने का प्रावधान पहले से ही है, वहां भूस्वामियों से सीधे जमीन खरीदे जाने का रेल मंत्रालय का विचार तमाम रेल परियोजनाओं को ठंडे बस्ते में डाले जाने के लिए मजबूर कर सकता है।

शक्ति की देवी 'मां दुर्गा' बंगाल के जनमानस में रची बसी हैं
कोलकाता : पारिवारिक संस्कारों से ओत-प्रोत और बंगाल के सांस्कृतिक सामाजिक परंपरा का सतत निर्वहन करने वाली तृणमूल कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष रेल मंत्री यह बात ममता बनर्जी ने दुर्गा पूजन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। ममता ने बेहिचक यह बात स्वीकार की कि दुर्गा पूजा का समय उनके लिए अत्यंत महत्वूर्ण होता है। क्योंकि वह इस समय का सबसे अच्छा सदुपयोग अपने कार्यकर्ताओं और सामान्य जनों से संपर्क के लिए करती है। उन्होंने कहा कि आम जनों से संपर्क का इससे अच्छा और कोई समय नहीं होसकता है। ममता ने कहा कि मैं सभी पंडालों में जाकर लोगों से व्यक्तिगत संपर्क बनाती हूं. ममता ने कहा कि इस मेल-जोल से उन्हें बहुत ही मानसिक संतोष मिलता है. उन्होंने कहा कि शक्ति का प्रतीक दुर्गा बंगल के जनमानस में रची बसी है.
उधर, शक्ति की देवी की आराधना करने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी शनिवार 25 सितंबर को वीरभूम जिले में स्थित अपने पैतृक गांव मिरिती नगर पहुंचे और अपने गांववासियों के साथ पूजा-अर्चना की. भाकपा सांसद गुरुदास दासगुप्ता दुर्गा पूजा के दौरान दोस्तों को भोजन कराने, संगीत सुनने और फिल्में देखने में बिताते हैं. उन्होंने कहा कि उनके लिए यह शारीरिक एवं मानसिक आराम का बेहतर समय होता है. जबकि फारवर्ड ब्लाक के महासचिव देववृत विश्वास के लिए दुर्गा पूजा का समय 'राजनीति से विश्राम' जैसा होता है. वह कहते हैं कि हर साल हुगले जिले के अपने गांव बेलमुरिया चला जाता हूं. वहां दुर्गा पूजा में भाग लेता हूं और अपने पुराने दोस्तों को मिलता हूं. माकपा नेता रॉबिन देव भी रेल मंत्री ममता बनर्जी की तरह इस सय का उपयोग लोगों से संपर्क बनाने के लिए करते हैं. उनका कहना है कि दुर्गा पूजा उन्हें लोगों से संपर्क में रहने का अवसर प्रदान करती है.

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