Wednesday 7 October, 2009

"जहँ-जहँ पाँव पड़े संतन के तहँ-तहँ बंटाधार"

'जो कल तक ईमानदार कहलाते
थे वो अब बेईमान हो गए हैं...!'


'जो
कभी समझे जाते थे ईमानदार
वो भी चल पड़े हैं चोरों की राह.....!'


सीनियर डीसीएम्/
मुरादाबाद के मामले
को लेकर सीओएम्/.रे. मिले एमटी से,
अपने और सीनियर डीओएम के गुनाहों
पर परदा डालने की कोशिश.....


नई दिल्ली : सीनियर डीसीएम्/मुरादाबाद का मामला काफी विवादास्पद होता जा रहा है। पता चला है की सीओएम/उ. रे. मंगलवार ६ अक्तूबर को 'रेलवे समाचार' के दि. १-१५ अक्तूबर २००९ के अंक में "जहँ-जहँ पाँव पड़े संतन के, तहँ-तहँ बंटाधार" शीर्षक से छपी ख़बर का इसकी वेब साईट से प्रिंट आउट लेकर मेंबर ट्राफिक (एमटी) को दिखने गए थे और इसके साथ ही उन्हें यह भी बताने गए थे कि 'देखो सीनियर डीसीएम्/मुरादाबाद मनोज शर्मा यह सब छपवा रहे हैं।' हालाँकि हमारे सूत्रों का कहना है कि तथाकथित ईमानदार सीओएम को उक्त प्रिंट आउट उनके वो महाभ्रष्ट सीनियर डीओएम/मुरादाबाद ने लाकर दिया था, तब सर्वप्रथम 'असहाय' महाप्रबंधक विवेक सहाय ने अपने हाथ ऊपर खड़े कर दिए और 'सोकाल्ड' ईमानदार सीओएम को आगे करके एमटी के पास भेज दिया कि 'जाकर उक्त कहानी बता आओ, जो आपके सीनियर डीओएम ने बताई है.'
अब ट्रैफिक अधिकारियों का कहना है कि "जो कभी समझे जाते थे ईमानदार वो भी अब चल पड़े हैं चोरों की राह". अधिकारियों का कहना है कि सीनियर डीओएम प्रफुल्ल गुप्ता एक महाभ्रष्ट अधिकारी हैं जिन्होंने मनोज कुमार के वाराणसी ट्रान्सफर आर्डर होते ही सभी स्थानीय व्यापारियों को यह कहकर हड़का दिया है कि 'तुम्हारे सबसे बड़े खैर-ख्वाह को तो यहाँ से भगा ही दिया है अब अगर तुम लोग अपनी खैर चाहते हो तो जो 'दाम' मैं कहूँगा वो तुम्हें देना पड़ेगा.' अधिकारी बताते हैं कि श्री गुप्ता की इस धमकी से सभी स्थानीय व्यापारी बुरी तरह सहमे हुए हैं.
श्री गुप्ता के खिलाफ ढेरों लिखित शिकायतें स्थानीय व्यापारियों ने की हैं जिनकी प्रतियाँ उन्होंने सीसीएम, सीओएम, जीएम को भी फैक्स से भेजी हैं, ऐसी सभी शिकायतें 'रेलवे समाचार' के पास बतौर सबूत मौजूद हैं. अब अगर इन अधिकारियों ने उक्त शिकायतों को विजिलेंस को फारवर्ड करके अपने महाभ्रष्ट सीनियर डीओएम प्रफुल्ल गुप्ता को बचा रहे हैं तो इसका जवाब इन्हें सीवीसी और सीबीआई को देना पड़ेगा, क्योंकि व्यापारियों को खुद इन अधिकारियों ने यह कहकर आश्वासन दिया था कि वह उनकी कम्प्लेंट को जांच के लिए विजिलेंस को भेजेंगे। व्यापारियों ने अपनी इन शिकायतों में आरोप लगाया है कि 'श्री गुप्ता अवैध रूप से गाड़ियों को रोक कर उनसे पैसा वसूल करते हैं और आउट ऑफ़ टर्न रेक अलाटमेंट करवाते हैं.'
प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसे ही एक व्यापारी ने जब उसके बाद वाले को रेक अलाट करने की शिकायत सीओएम से की तो सीओएम ने पहले तो उसकी बात नहीं सुनी, पर बाद में फोन करके उसे समझाने या उसके सामने गिडगिडाने वाले अंदाज में उससे कहा कि "परेशान हो और ज्यादा हल्ला मचाओ, तुम्हें भी जल्दी ही रेक दिला रहे हैं."

जबकि इस मामले में रेलवे बोर्ड की गाईड लाइन बिलकुल क्लियर है कि 'सिंगल पॉइंट डेस्टिनेशन लोडर को अन्य लोडरों से वरीयता दी जायेगी.' पर . रे. में रेक अलाटमेंट में बड़े पैमाने पर धांधली हो रही है और अधिकारीगण इसका सबसे बड़ा कारण यही बता रहे हैं कि 'जो कल तक स्वयं को ईमानदार कहलाते थे वो अब बेईमान हो गए हैं.'
हमारे सूत्रों का कहना है कि हालाँकि एमटी अब तक सीओएम/. रे. की कही बातों से प्रभावित नहीं दिखाई दिए हैं परन्तु क्या पता चलता है कि अंत में ऊंट किस करवट बैठता है. उधर श्रीमती प्रवीन गौड़ को लखनऊ से जबरन रिलीव करवाया जा रहा है और उन्हें तुंरत मुरादाबाद में ज्वाइन करने को कहा गया है. बताते हैं कि जब श्रीमती प्रवीन गौड़ ने इसकी सूचना एसएम्एस के जरिये सीओएम को दी कि किस तरह उन्हें परेशान किया जा रहा है तो तथाकथित ईमानदार सीओएम/. रे. ने इसे श्रीमती गौड़ की अनुशासनहीनता और दुष्टता करार देकर एमटी से रोना रोया है.

मगर अधिकारियों का मानना है कि मनोज शर्मा का ट्रान्सफर रद्द हो या हो, पूरे मामले की जाँच सीबीआई से करवाई जानी चाहिए, क्योंकि सीओएम, सीऍफ़टीएम् और जीएम तीनो ने ही कमर्शियल में कभी काम नहीं किया है और जो मुद्दे वास्तव में उठाये गए हैं उनमें बहुत सच्चाई है, यह जानने के कारण ही श्री शर्मा को बलि का बकरा बनाया जा रहा है जिससे जीएम और सीओएम तथा सीऍफ़टीएम् सब अपने अपने पाप छिपा सकें.
उत्तर रेलवे के ऐसे ही कुछ उच्च अधिकारियों को बचाने के लिए सीनियर डीसीएम /इज्जतनगर मंडल श्री अलोक सिंह को भी इसी तरह बलि का बकरा बनाया गया है और इज्जतनगर मंडल से वारणसी मंडल में ट्रान्सफर करके उन्हें भी उस गुनाह की सजा दी गयी है जो कि उन्होंने किया ही नहीं है. इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि यदि कैडर के संरक्षक (पैट्रन)
मेंबर ट्रैफिक अब भी नहीं चेतते हैं तो विवेक सहाय की लोंबी इस पूरे ट्रैफिक कैडर को 'असहाय' बनाकर रख देगी...!!
हालाँकि श्री मनोज शर्मा का मामला रेल मंत्री ममता बनर्जी के संज्ञान में लाया गया है. अब देखना यह है कि भ्रष्टाचार मिटाने की बड़ी-बड़ी बातें ही करने वाली रेल मंत्री जी कुछ ठोस करती भी हैं या नहीं...?
प्रस्तुति : सुरेश त्रिपाठी

No comments: