Tuesday 7 July, 2009

कैंसर के नाम पर इमर्जेंसी घोटाला

लखनऊ : कैंसर पीडि़त मरीजों को सीधे इमर्जेंसी कोटे से बर्थ एलॉट करने के रेलवे बोर्ड के आदेश का देश भर में दुरुपयोग किए जाने की खबरें मिलने लगी हैं. इस आदेश के चलते दलालों और विभिन्न अस्पताल कर्मियों/डॉक्टरों की मिलीभगत से देश में रातों-रात हजारों फर्जी कैंसर पीडि़त पैदा हो गए हैं, जिन्हें यह इमर्जेंसी कोटा सीधे मिल जा रहा है. इस गोरखधंधे का पर्दाफाश पूर्वोत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल की तेजतर्रार सीनियर डीसीएम श्रीमती इंदूरानी दुबे ने हाल ही में किया है. मामले की गंभीरता से रेलवे बोर्ड को भी अवगत कराया गया है.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में रेलवे बोर्ड ने कैंसर मरीजों को इलाज के लिए जाने-आने हेतु इमर्जेंसी कोटे से सीधे कंफर्म बर्थ उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया था. इस आदेश के चलते कंप्यूटर आरक्षण डाटा बेस में तुरंत इसके अनुरूप बदलाव कर दिए गए थे. इस प्रकार जैसे ही चार्टिंग के समय किसी कैंसर मरीज का विवरण चार्ट में डाला जाता है, वैसे ही उसे सीधे लोअर बर्थ एलॉट हो जाती है. इसके चलते कितनी ही लंबी प्रतीक्षा सूची और इमर्जेंसी कोटे के कितने ही वीआईपी दावेदार क्यों न हों, कैंसर सर्टिफिकेट का विवरण आते ही सबको दरकिनार करते हुए कैंसर मरीज को कन्फर्म बर्थ मिल जाती है.

सूत्रों का कहना है कि इस नियम के लागू होते ही कुछ समय तक तो सब ठीक-ठाक चला मगर थोड़े ही समय में आरक्षण दलालों ने इसकी भी 'काट' ढूंढ़ ली और अस्पताल कर्मियों/डॉक्टरों से मिलकर वे फर्जी कैंसर पीडि़त सर्टिफिकेट बनवाकर यह कोटा भी हड़पने लगे हैं. बताते हैं कि एक-एक दिन में लखनऊ से सीएसटी के बीच चलने वाली 2533-2534 पुष्पक एक्स. जैसी सुपरफास्ट और अत्यंग भीड़ वाली ट्रेनों में अपर क्लास (वातानुकूलित दर्जे) की दर्जनों बर्थों का आरक्षण तथाकथित कैंसर मरीजों को मिलने लगा. बताते हैं कि जब हमेशा इमर्जेंसी कोटा लेने वाले सांसदों और अन्य गणमान्य लोगों ने इस पर असंतोष व्यक्त किया तथा बड़े पैमाने पर इस गड़बड़ी की जानकारी जब पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के डीआरएम श्री ए.के. सिंह और सीनियर डीसीएम श्रीमती इंदूरानी दुबे को मिली तो उन्होंने इसकी जांच के लिए पूर्वोत्तर रेलवे की एंटीफ्राड टीम को लगाया. इसके बाद हुई जांच में बड़ी संख्या में फर्जी कैंसर सर्टिफिकेट बनवाकर बड़े पैमाने पर इमर्जेंसी कोटा हड़पने के प्रमाण इस टीम को प्राप्त हुए हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस जांच में यह आश्चर्यजनक तथ्य उजागर हुआ है कि कैंसर पीड़त कोटे में कन्फर्म बर्थ एलॉट करवाकर ये तथाकथित कैंसर मरीज भोपाल, नासिक, अजमेर, पटना, बांदीकुईं जैसी जगहों पर जा रहे हैं, जहां कैंसर का कोई इलाज नहीं होता है. बताते हैं कि पीजीआई, लखनऊ से जारी किए गए ऐसे कई फर्जी कैंसर पीडि़त प्रमाण पत्रों के बारे में जब एंटी फ्राड टीम ने पीजीआई के एक डाक्टर से पूछताछ की तो उक्त डॉक्टर का कहना था कि उसे इस मामले में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि ऐसे प्रमाणपत्र रेडियोथेरेपिस्ट द्वारा जारी किए गए हैं, जबकि यह फर्जी कैंसर पीडि़त प्रमाणपत्र उसी डॉक्टर के हस्ताक्षरों से जारी किए गए हैं इसी तरह आरक्षण दलाल कुछ अन्य अस्पतालों के डॉक्टरों से साठगांठ करके फर्जी कैंसर प्रमाणपत्रों के आधार पर रेल किराये में 75 प्र.श. छूट का फायदा उठाकर और कंफर्म बर्थ लेकर रेलवे को रोजाना लाखों का चूना लगा रहे हैं. बताते हैं कि सीनियर डीसीएम श्रीमती दुबे ने इस संपूर्ण गड़बड़ घोटाले की जानकारी सीसीएम, एसडीजीएम और रे.बो. को तत्काल भेजकर इसकी रोकथाम के पुख्ता उपाय किए जाने का अनुरोध किया है.

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