Tuesday 7 July, 2009

डीजीएम/पू.म.रे. के भाई ने व्यापारी से ठगे 3 करोड़

पटना : युवा राष्ट्रीय जनता दल के बिहार प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक तथा पू.म.रे. के डीजीएम/जी एवं सीपीआरओ ए.के. चंद्रा के सगे छोटे भाई सतीश पासवान ने स्क्रेप का ठेका दिलाने के नाम पर मुंगेर के एक प्रतिष्ठित व्यापारी राजकुमार खेमका से 3 करोड़ रुपए ऐंठ लिए थे, उन्हें स्क्रेप का ठेका तो नहीं मिला, मगर तीन करोड़ रुपए वापस पाने के लिए श्री खेमका मुंगेर में अपना व्यापार छोड़कर पिछले करीब एक साल से ज्यादा समय से पटना में सतीश पासवान और ए.के. चंद्रा के पीछे चक्कर काट रहे हैं, परंतु अब तक उन्हें अपने तीन करोड़ में से न तो फूटी कौड़ी वापस मिल पाई है और न ही मिलने के आसार नजर आ रहे हैं.

बताते हैं कि पैसा वापस मांगने वाले श्री खेमका को लालू संस्कृति के अनुरूप डराया-धमकाया जा रहा है. सतीश पासवान की वजह से ही उनके भाई ए.के. चंद्रा को लालू की नजदीकी मिली, जिसकी वजह से सतीश पासवान और ए.के. चंद्रा दोनों भाइयों ने रेलवे के ठेके दिलाने और लालू के नाम पर व्यापारियों एवं रेलवे ठेकेदारों से करोड़ों रुपए वसूले हैं. इससे संबंधित एक खबर पटना से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'डेमोक्रेटिक मिशन' ने मई 2009 के अंक में प्रकाशित की है. पत्रिका के अनुसार श्री चंद्रा कई विभागीय घोटालों में लिप्त हैं और लालू के नाम पर तमाम अनियमितताएं की हैं, जिनकी जांचें विजिलेंस में दबी पड़ी हैं.

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पू.म.रे. की इंजी. एलडीसी

में पुन: भारी गड़बडिय़ां


करीब 14 उम्मीदवारों को अधिकांश प्रश्न पहले ही बताए गए, बी.एम. दत्ता एवं बी.एम. कानिटकर लिखित पुस्तकों से हूबहू प्रश्न उतारे गए, खास उम्मीदवारों को इन दो पुस्तकों के प्रश्न पहले बताकर उन्हें रट लेने को कहा गया, नियम के खिलाफ इतर प्रश्न ज्यादा पूछे गए, पास उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की बारीकी से जांच करने पर नकल के साथ उपरोक्त सभी आरोप सच साबित होने का दावा.


हाजीपुर : पूर्व मध्य रेलवे, इंजीनियरिंग विभाग की एलडीसीई (30प्र.श.) परीक्षाएं हर बार विवाद का कारण बन रही हैं. इस बार भी 7 जून को हई इसकी लिखित परीक्षा पुन: आरोपों और विवादों के घेरे में हैं. 'रेलवे समाचार' को कुछ उम्मीदवारों द्वारा भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पीसीई द्वारा अपने कुछ खास चहेते एसएसई/एसई-वक्र्स एवं पी-वे को खुला फेवर किया जा रहा है. उन्हें एडवांस में प्रश्न बताए गए हैं और प्रश्नों को जहां से लिया गया, यथा इंजी. मैनुअल एवं बी.एम. दत्ता एवं बी.एन. कानिटकर जैसे लेखकों की पुस्तकें, उनकी जानकारी पहले से खास उम्मीदवारों को दी गई. यही नहीं इन खास उम्मीदवारों को मात्र डेढ़ मीटर की बेंच पर तीन-तीन के समूह में बैठाकर धड़ल्ले से नकल करवाई गई है.

शिकायत में कहा गया है कि पिछले कई वर्षों से इन परीक्षाओं में भा.रे. इंजीनियरिंग मैनुअल से ही सवाल पूछे जा रहे हैं. परंतु 7 जून को हुई लिखित एलडीसीई में करीब 6 प्रश्न इससे बाहर के पूछे गए हैं, जबकि परीक्षा से पहले न तो कोई सिलेबस दिया गया और न ही इस बारे में उम्मीदवारों को कुछ बताया गया था. उम्मीदवारों का आरोप है कि यह तरीका अपने कुछ खास पसंदीदा लोगों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से अपनाया गया है.

शिकायत में कहा गया है कि इस लिखित परीक्षा में पसंदीदा उम्मीदवारों को बैठाने की व्यवस्था भी मनमानी तरीके से की गई थी. मात्र डेढ़ मीटर की बेंचों में किसी रूम में 3-3 तो किसी रूम में 2-2 पसंदीदा उम्मीदवारों को बैठाया गया. यह बात उम्मीदवारों के बैठने के क्रम से साबित की जा सकती है. शिकायत में कहा गया है कि इससे पहले हुई परीक्षाओं में एक बेंच पर एक ही उम्मीदवार को बैठाया गया था, जो कि उपयुक्त और सर्वथा सही व्यवस्था थी.

शिकायत में कहा गया है कि पीसीई के खास चेहेते एसई/एसएसई-वक्र्स एवं पी-वे को एक ही बेंच पर साथ-साथ बैठाया गया था और उन्हें खुली नकल करने की छूट दी गई थी. यह बात इन उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की बारीक जांच से साबित की जा सकती है. जिसमें न सिर्फ उनके द्वारा लिखे गए प्रश्नों के क्रम समान होंगे बल्कि उनकी भाषा और उत्तर भी एक समान ही मिल जाएंगे. इससे यह प्रमाणित हो जाएगा कि लिखित उत्तरों की नकल हुई है.

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि 7 जून को हुई एलडीसीई के प्रश्न पत्र - 1 और 2 का प्रश्न सं. 2 और इसका उत्तर लेखक बी.एन. दत्ता की पुस्तक से हूबहू लिया गया है. प्रश्न पत्र-2 का उप प्रश्न-1 और इसका उत्तर हूबहू लेखक बी.एम. कानिटकर की सर्वे बुक की पूरी नकल है. इन प्रश्नों का नुमेरिकल डाटा भी इन्हीं लेखकों की पुस्तकों से ज्यों का त्यों उतारा गया है, जिससे उन खास एवं पसंदीदा उम्मीदवारों को नकल करने अथवा पहले बताये अनुसार हूबहू रटकर लिखने में उन्हें सुविधा रहे. यह एक बहुत बड़ा घोटाला है. शिकायत में कहा गया है कि इसमें पास करने हेतु प्रति खास उम्मीदवार 4 से 5 लाख रुपए की बोली लगी हुई है.

शिकायत में कहा गया है कि प्रश्न पत्र-2 के प्रश्न सं. 8 'लकड़ी में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के दोषों के साथ रेखा चत्र बनाने' यानी वूड डिफेक्ट को उपरोक्त लेखकों की पुस्तक से ज्यों का त्यों (टू द प्वाइंट) लिया गया हैे, चूंकि यह सब प्रश्न पीसीई के खास कंडीडेट्स को पहले से बता दिए गए थे, इसलिए इनके खास कंडीडेट्स ने प्रश्न पत्र मिलने से पहले ही इन प्रश्नों का हूबहू रटा-रटाया उत्तर लिखना शुरू कर दिया था. इससे जाहिर है कि उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर पहले से ज्ञात थे. शिकायत में ऐसे खास कंडीडेट्स की संख्या 14 बताई गई है.

शिकायत में बताया गया है कि 150 अंकों के प्रश्न पत्रों में सिविल इंजीनियरी से संबंधित 120 अंक के प्रश्न पूछे गए और बाकी 30 अंक के प्रश्न इससे बाहर के थे, जबकि नियमानुसार इंजीनियरी से संबंधित प्रश्न केवल 100 अंकों के होने चाहिए और इतर प्रश्न 50 अंकों के पूछे जाने चाहिए थे. इस प्रकार खास उम्मीदवारों को निर्धारित लेखकों की पुस्तकों से हूबहू उठाए गए इंजी. संबंधित प्रश्नों का पूर्व इशारा देकर और इंजी. के ज्यादा प्रश्न पूछकर उन्हें लाभान्वित किया गया है.

शिकायत में साफ तौर पर आरोप लगाया गया है कि यदि इससे पहले की भी लिखित परीक्षाओं में पास उम्मीदवारों की और 'उनका फेवर किया गया है' उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की जाए तो 'आपसी नकल हुई है' यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाएगा. इसके साथ ही इससे यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि एक खास बिरादरी के खास उम्मीदवारों तथा पूर्व रेल मंत्री एवं एक पूर्व खास सांसद के सगे संबंधियों को जानबूझकर लाभान्वित एवं फेवर किया गया है. शिकायत में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि यह सर्वविदित है कि वर्तमान पीसीई/पू.म.रे. श्री एस. सी. झा, पूर्व सांसद रघुनाथ झा और पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव के अत्यंत करीबी, कृपापात्र हैं तथा इन दोनो की ही कृपा पर वह पू.म.रे. में प्रमुख मुख्य इंजीनियर (पीसीई) बने थे.

शिकायत में यह भी कहा गया है कि बी.एन. दत्ता एवं बी.एम. कानिटकर की पुस्तकों के साथ पिछले 3-4 सालों से पू.म.रे. की इंजी. विभाग की एलडीसीई में लगभग सभी वही पुराने प्रश्न लगातार रिपीट हो रहे हैं. शिकायत में कहा गया है कि प्रश्न पत्र-2 का प्रश्न-9 बी.एम. कानिटकर की पुस्तक से हूबहू उतारा गया अनावश्यक सवाल है, क्योंकि रेलवे के कार्य से इस प्रश्न का दूर-दूर तक भी कोई संबंध नहीं है, क्योंकि कोई भी एईएन न तो अपने हाथ से कोई काम करता है और न ही कभी खुद सर्वे करने जाता है. फिर भी यह प्रश्न क्यों पूछा गया? इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है, जबकि खास उम्मीदवारों ने इसका उत्तर प्रश्न पत्र मिलने से पहले ही धड़ल्ले से लिखना शुरू कर दिया था. शिकायत में कहा गया है कि इसके अलावा भी दोनों प्रश्न पत्रों में कई अन्य प्रकार की गड़बडिय़ां भी हैं, जिन्हें बारीकी से देखा जाना चाहिए. शिकायत में मांग की गई है कि 7 जून को हुई लिखित परीक्षा के साथ-साथ पिछली 2-3 परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की गहन जांच उपरोक्त तथ्यों को मद्देनजर रखकर रे.बो. विजिलेंस द्वारा की जानी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की जिम्मेदारी तय करके उन्हें दंडित किया जाना चाहिए.

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