Tuesday 7 July, 2009

ममता बनर्जी की मजबूरी


रेलमंत्री ममता बनर्जी की मजबूरियां झलकने लगी हैं. पश्चिम बंगाल की राजनीति से उन्हें फुर्सत नहीं है. पूरा रेल बजट वह कोलकाता में बैठकर बना रही हैं. उधर रेल भवन (रेलवे बोर्ड) और बोर्ड एवं जोनल रेलों में बैठाए गए कुछ विशेष अधिकारियों के मार्फत आज भी उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव भारतीय रेल को चला रहे हैं. ममता की मजबूरी यह है कि उन्हें कोई समझदार और काबिल सलाहकार अथवा पीएस या ईडीपीजी/ओएसडी नहीं मिल पाया है. सेंट्रल सेक्रेट्रियट सर्विसेस से अस्थाई तौर पर ममता को दिए 57-58 वर्षीय पीएस श्री गौतम सान्याल ऊर्जा मंत्रालय से आये हैं. जहां ममता के पूर्ववर्ती लालू प्रसाद यादव के ओएसडी रहे महाचालबाज सुधीर कुमार रेल मंत्रालय से लालू का राजपाट खत्म होने से पहले ही पहुंच गए थे. अत: इस बात की पूरी संभावना है कि सुधीर कुमार गौतम सान्याल के माध्यम से अपने और लालू ने चहेते रहे रेल अधिकारियों का हित साधन करते रहें अथवा सुधीर कुमार ने गौतम सान्याल को कुछ 'गुर' अवश्य बताए होंगे या फिर श्री सान्याल रेल मंत्रालय को कैसे चलाना है, इसकी सलाह सुधीर कुमार से लेकर आये होंगे? इसके अलावा ममता ने जिन जे. के. साहा को अपना ईडीपीजी बनाया है, उनकी भी छवि रेलवे में बहुत अच्छी नहीं है और खबर यह है कि के.बी.एल. मित्तल, सेक्रेटरी/रे.बो., विवेक सहाय, महाप्रबंधक/उ.रे., बी. के. राय, सीएफटीएम/द.पू.रे. आदि लालू के विश्वासपात्र अधिकारियों ने उनके साथ अपनी 'पटरी' बैठा ली है, जिससे अब असली बातें ममता कत नहीं पहुंच पाएंगी. ममता जिस पूर्व आईएएस अधिकारी को अपना पीएस/ओएसडी बनाना चाहती हैं, वह आईएएस की नौकरी छोड़कर कुछ साल पहले 'भारत फोर्ज' नामक कंपनी में करोड़ों के पैकेज पर चला गया है. एक तो वह अपनी यह करोड़ों के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर ममता के पास आना नहीं चाहेगा, दूसरे ममता उसे उसके करोड़ों का पैकेज दिला नहीं सकेंगी. तीसरे केंद्र सरकार ने इसके लिए उन्हें पहली ही मना कर दिया है, परंतु लालकृष्ण आडवाणी के उप प्रधानमंत्री होने के समय उन्हें विशेष रूप से बाहर का आदमी दिया गया था, उसी को आधार बनाकर ममता उक्त आईएएस अधिकारी के लिए अड़ी हुई हैं, जो कि उचित नहीं है. ब्यूरोक्रेसी में एक से एक ईमानदार और काबिल अधिकारी हैं, ममता उनमें से अपने माफिक किसी योग्य अधिकारी का चयन कर सकती हैं. इसके अलावा सुना है कि लालू के 'मीडिया दलाल' (कंसल्टेंट) रहे एस.एम. तहसीन मुनव्वर भी ममता के साथ इसी पद पर बने रहने के लिए कुछ मुस्लिम सांसदों और लालू के कृपापात्र रहे कुछ अधिकारियों के मार्फत रेल भवन में लॉबिंग कर रहे हैं. यदि मुनव्वर को भी ममता रख लेती हैं तो इससे उनकी ईमानदार छवि के बारे में निश्चित रूप से एक गलत संदेश जाएगा.


ममता द्वारा अब तक लिए गए कुछ निर्णयों और नियुक्तियों से पहले ही कुछ गलत संदेश जा चुके हैं. सर्वप्रथम यह कि जैसी उन्होंने घोषणा की थी कि रेलवे बोर्ड में बदलाव करेंगी और सीआरबी एवं सेक्रेटरी/रे.बो. सहित कुछ बोर्ड सदस्यों को भी हटाएंगी. उस पर उनकी तरफ से अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. जबकि डीआरएम पैनल में फेरबदल करके कुछ ऐसे लोगों को डीआरएम पदस्थ किया गया है, जिससे उनके पूर्ववर्ती के बिहारवाद की तर्ज पर उनके द्वारा भी बंगालीवाद चलाए जाने के संकेत मिले हैं. जिस अनंतरामन नामक अधिकारी की डीआरएम पैनल से निकाल दिया गया है. वह अगली बार भी इस पैनल में नहीं आ पाने की आशंका से 'कैट' में केस दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है. इधर, आईआरसीटीसी की जीजीएम/मुंबई की पोस्ट पर एक ऐसे अवांछित अधिकारी को ममता ने एक मुस्लिम सांसद की सिफारिश पर रातों-रात पुराने पैनल को ताक पर रखकर पदस्थ कर दिया है, जो सांप्रदायिक मानसिकता और अकर्मण्यता तथा झगड़ालू प्रवृत्ति के लिए भा.रे. में जाना जाता है. इस अधिकारी की सीआर खराब होने से इसे अपने बैच के अधिकारियों के एसएजी में प्रमोट होने के डेढ़-दो साल बाद प्रमोशन मिला था और आगे दो सीआर खराब होने से इसे आगे डीआरएम बनने का भी मौका शायद नहीं मिल पाएगा. इससे जाहिर है कि इस अधिकारी की परफार्मेंस और कार्यप्रणाली हमेशा संदिग्ध और नकारात्मक रही है. इसे दो योग्य अधिकारियों को दरकिनार करके जीजीएम/मुंबई की पोस्ट पर पोस्टिंग दी जा रही है. इसकी फाइल को एमटी और सीआरबी ने पहले ही क्लीयर कर दिया था और अब एमडी/आईआरसीटीसी ने भी इस पर अपनी संस्तुति दे दी है. यह फाइल अब ममता के फाइनल अप्रूवल के लिए उनके एमआर सेल में पहुंच गई है. जाहिर है कि यह जल्दी ही वहां से भी क्लीयर हो जाएगी, जबकि इसकी पोस्टिंग से आईआरसीटीसी के मुंबई कार्यालय के समस्त अधिकारी/कर्मचारी सांसत और दहशत में आ गए हैं.


उधर, विवेक सहाय जैसे कुछ महाप्रबंधक हैं जिनकी तरफ अभी ममता का ध्यान भी नहीं गया है. जिस तरह इन महाप्रबंधकों ने लालू और उनके कुनबे द्वारा बिहार के गरीब बेरोजगारों की जमीन लिखवाकर अथवा उनसे रेलवे में भर्ती के लिए 5-6 लाख रुपए वसूले हैं, उस मामले की गहन जांच ममता द्वारा कराए जाने की अपेक्षा बहुत से लोगों को है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो भा.रे. की लालू की टर्न एराउंड स्टोरी की जांच करवाने की खुली मांग ममता से कर चुके हैं. विवेक सहाय, महाप्रबंधक/उ.रे. की ही बात करें तो यह अधिकारी पहले नीतीश कुमार का करीबी था, बाद में लालू के भ्रष्ट कुनबे में शामिल हो गया, जहां इसने बतौर महाप्रबंधक/उ.म.रे. में लालू अथवा एमआर सेल से भेजे गए करीब ढाई-तीन सौ बिहारियों को चतुर्थ श्रेणी में रेलवे में भर्ती किया और इतनी ही संख्या अब तक उ.रे. में इसके द्वारा भर्ती किए गए लालू के आदमियों की भी हो गई है. पूर्व में तथाकथित ईमानदारी का ढोंग करने वाले इस अधिकारी ने इसी अवैध कमाई के बदले पहले सीआरबी और बाद में एमएस बनने की पुरजोर लॉबिंग की थी. अब यह ममता के सेल में सेंध लगा रहा है. एक अपुष्ट खबर के अनुसार इस अधिकारी ने रेलमंत्री के पीएस और ईडीपीजी को जून के दूसरे सप्ताह में दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में डिनर पार्टी करवाई है, जिसका भुगतान बताते हैं कि एक पूर्व सीआरबी के खास चेहेते रहे एक व्यक्ति से करवाया है. इस तरह ममता बनर्जी के कुनबे में भी ऐसे कदाचारी अधिकारी सेंध लगाकर अपनी पैठ बना रहे हैं, जिनकी छवि अत्यंत धूमिल है. यदि एमआर सेल और रेलमंत्री के व्यक्तिगत सचिवालय में ऐसे गलत छवि वाले भ्रष्ट और अकर्मण्य तथा चोरों, चापलूसों एवं चरित्रहीन अधिकारियों की पैठ बन गई, जैसी कि उनके पूर्ववर्ती के समय थी, तो रेलमंत्री व्यवस्था में जो सुधार और दबे-कुचले अधिकारियों/कर्मचारियों सहित करोड़ों रेल यात्रियों की सुख-सुविधाओं के साथ न्याय करना चाहती हैं, वह सब कतई नहीं कर पाएंगी.


यह सब वैसे भी नहीं हो पाएगा जैसे कोलकाता में उनके कैंप कार्यालय के आसपास से अवैध कब्जे हटाने पर उससे प्रभावित हुए एक लंगड़े व्यक्ति की शिकायत पर डीआरएम/सियालदह को शंट आउट करके अपने बंगाली बाबू को वहां पदस्थ कर दिया. इससे न तो उस लंगड़े व्यक्ति को न्याय मिल पाया, न ही उसका पुनर्वास हो गया, मगर एक काबिल अधिकारी, जो कि उनका कैंप कार्यालय ही व्यवस्थित करने और उनकी सुविधाओं का ही ख्याल रखने के लिए बरसों से लावारिस पड़ी जगह को साफ-सुथरा रखने/बनाने की कोशिश कर रहा था, उनकी इस अनावश्यक कार्रवाई से अवश्य आहत और हीनभावना का शिकार हुआ है. ममता को यदि वास्तव में कुछ बड़ा और अलग करके दिखाना है तो रेलवे के महत्वपूर्ण पदों पर काबिज लालू के खास और विश्वासपात्र रहे विवेक सहाय एवं के.बी.एल. मित्तल जैसे महाचापलूसों पर कार्रवाई करके दिखाना चाहिए. उन्हें अगले एमएल बनने जा रहे यू.सी.डी. श्रेणी जैसे चोर, चापलूस और चरित्रहीन अधिकारियों को ऊपर जाकर व्यवस्था को भ्रष्ट और बरबाद करने से रोकने के पुख्ता उपाय करने चाहिए.


यदि संपूर्ण व्यवस्था में पारदर्शिता और न्याय का वातावरण बनाना है तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है तो ममता को ऊपर से शुरुआत करनी होगी। रेलवे बोर्ड में एकाध मेंबर को छोड़कर बाकी सभी को हटाना होगा। लालू की दलाली करने वाले और उनके जाने के पूर्व आसार भांप कर उनके रहते ही बोर्ड में डायरेक्टर विजिलेंस ट्रेफिक की सुरक्षित पोस्ट पर जा दुबके के.पी. यादव जैसे महाभ्रष्टों को रेलवे बोर्ड से बाहर का दरवाजा दिखाना होगा. लालू के राजपाट में जिन योग्य, ईमानदार, कर्तव्यपरायण और कर्मठ तथा रेल सेवा के प्रति हमेशा समर्पित रहे अधिकारियों से उनके प्रमोशन और योग्य पोस्टिंग के अवसर छीने गए, जिन्हें उत्पीडि़त किया गया और साइड लाइन में डाल दिया गया, उनके साथ न्याय करना होगा. के.बी.एल. मित्तल (सेक्रेटरी/रे.बो.) सहित विवेक सहाय, ए.के. चंद्रा, के.पी. यादव, बी. डी. राय आदि ऐसे अधिकारी हैं, जो लालू के खास चेहेते और कृपा पात्र रहे हैं. इन्होंने लालू की आड़ में तमाम ईमानदार अधिकारियों का उत्पीडऩ करवाया है. इन्हें इनकी असली जगह दिखाई जानी आवश्यक है. वास्तव में ममता को भी प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की तरह अगले 100 दिनों के लिए अपना प्रमुख कार्य एजेंडा घोषित करना चाहिए या बनाना चाहिए, जिसमें भा.रे. में उनके द्वारा किए जाने वाले बाहरी सुधारों के साथ ही उपरोक्त आंतरिक/विभागीय सुधार भी प्रमुखता से शामिल होने चाहिए. तभी कुछ पुख्ता हो पाएगा, वरना बतौर रेलमंत्री उनके पिछले कार्यकाल को लोग भूले नहीं हैं.

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ममता की प्राथमिकता : सफाई, सुरक्षा, अच्छी

गुणवत्ता का जनता खाना और पीने का पानी


कोलकाता : हावड़ा स्टेशन पर 'कंडारी एक्सप्रेस' के उद्घाटन समारोह के दौरान रेलमंत्री ममता बनर्जी को देखने हेतु लोगों की भारी भीड़ एकत्रित हुई थी. स्टेशन का न्यू कॉम्प्लेक्स इतना भरा हुआ था कि लोग मंच के पास आने के लिए उलझ गए. मीडियाकर्मियों की भीड़ को मंच के सामने से हटाने के लिए लोग पीछे से चिल्लाने लगे. कई बार मंच पर बैठे लोगों और मीडियाकर्मियों के बीच झड़पें हुई. स्थिति बिगड़ती देख रेल मंत्री ममता बनर्जी ने स्वयं कुर्सी पर बैठे-बैठे अपनी तर्जनी से चुप रहने का इशारा किया तो सारा माहौल शांत हो गया.


इस अवसर पर रेल मंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि पूरे देश में लोग सुरक्षित रूप से यात्रा कर सकें, इसके लिए रेलवे विभाग यात्रियों की हर सुविधा का ध्यान रखेगा. इसमें सफाई, अच्छी गुणवत्ता का भोजन व सुरक्षा व्यवस्था शामिल है. गरीब लोगों के लिए प्रत्येक स्टेशन पर 'जनता खानाÓ व पीने का पानी देेने की व्यवस्था भी की जाएगी. इसके लिए शीघ्र कार्य शुरू किया जाएगा. हावड़ा से दीघा जाने वाले यात्रियों के लिए दो जोड़ी ट्रेनों की शुरुआत करते हुए बताया कि प्रथम ट्रेन प्रात:काल 6 बजे ताम्रलिप्ता एक्सप्रेस और दूसरी अपराह्न 2 बजकर 10 मिनट पर कंडारी एक्सप्रेस चलेगी. कंडारी एक्सप्रेस में यात्रियों के लिए भोजन की भी व्यवस्था है. इस अवसर पर रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे यात्रियों की लाइफलाइन है, इसमें उनकी सुरक्षा व उन्हें बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जाएगा. भोजन की गुणवत्ता बढ़ाई जाएगी और रेल डिब्बों में सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. उन्होंने रेल अधिकारियों, कर्मचारियों व आरपीएफ से यात्रियों के साथ बेहतर व्यवहार करने की अपील की.

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बच्चों को बचाने हेतु आरपीएफ पुरस्कृत


कोलकाता : पूर्व रेलवे के रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के इंस्पेक्टर ए. शंकर और आरपीएफ के अन्य अधिकारियों द्वारा छापेमारी कर 25 बच्चों को बचाने के लिए आरपीएफ के जवानों को संयुक्त रूप से 20 हजार रुपए पुरस्कार के तौर पर दिए गए. यह पुरस्कार पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक श्री दीपक कृष्ण के हाथों दिया गया. इसकी जानकारी पूर्व रेलवे द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गई है. ये बच्चे मणिपुर के बताए गये हैं. विज्ञप्ति के अनुसार 17 जून को गुप्त सूचना के आधार पर आरपीएफ के जवानों ने आधी रात को हावड़ा स्टेशन के पार्सल पोस्ट पर लगी गुवाहाटी-बंगलुरू एक्सप्रेस में छापामारी कर 25 बच्चों को बचाया था. इन बच्चों को तीन युवक कहीं ले जा रहे थे.

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