Tuesday, 21 July 2009

सीएससी/.रे. को विस्तार दिए जाने से बल
सदस्यों में आक्रोश, भूख हड़ताल की तैयारी


जम्मू : एक लंबे अर्से बाद जम्मू क्षेत्र में आल इंडिया रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स एसोसिएशन (एआईआरपीएफए) की वार्षिक सर्वसाधारण सभा (एजीएम) 5-6 जुलाई कोसंपन्न हुई। सभा में एसो. के महासचिव श्री यूएस झा ने अपना कार्यवृत्तांत और कोषाध्यक्ष श्री धरमवीर सिंह ने अपना लेखा-जोखा प्रस्तुतकिया। सभा में बड़ी संख्या में सभी रेलों से आये जोनल संगठनों केपदाधिकारी एवं बल सदस्य उपस्थित थे। सभा की अध्यक्षता एसो. के अध्यक्ष श्री के. कलईअरसन ने की.

सभा में पूरे समय जोनल रेलों में बल सदस्यों के अकारण अंतरजोन/मंडल ट्रांसफर और उनके उत्पीडऩ सहित सीएससी/.रे. की प्रतिनियुक्ति को लगातार तीसरी बार एक साल के लिए और विस्तार दिए जाने तथा लगातार 6 साल तक उन्हें एक जगह बनाए रखने के प्रशासन के भेदभाव एवं पक्षपातपूर्ण तथा नियमों के खिलाफ निर्णयका मुद्दा छाया रहा। उल्लेखनीय है कि रेलवे बोर्ड ने सीएससी/.रे. की प्रतिनियुक्ति को लगातार तीसरी बार विस्तार देकर उन्हें मरे. में हीबनाए रखा है. इससे .रे. सहित सभी बल सदस्यों में भारी आक्रोश एवं असंतोष व्याप्त हो गया है.

सभा में प्रशासन के उक्त निर्णय के खिलाफ एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर कहा गया है कि यदि प्रशासन ने अपने इस भेदभाव एवं पक्षपातपूर्ण तथा नियमों के खिलाफ प्रतिनियुक्ति विस्तारके निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया और यदि वर्तमान सीएससी/.रे. का सेवा विस्तार खत्म करके उन्हें उनके मूल कैडर में वापस नहीं
भेजा जाता है तो इसके खिलाफ बल सदस्यों द्वारा देशव्यापी धरना-मोर्चा कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सभा में पारित प्रस्ताव में यहभी कहा गया है कि यदि प्रशासन का यही मनमानीपूर्ण रवैया रहा तो प्रत्येक जोनल एवं डिवीजनल मुख्यालय में बल सदस्यों द्वारा आमरण अनशन और भूख हड़ताल भी की जाएगी।

ज्ञातव्य है कि सीएससी/.रे. रेलवे बोर्ड द्वारा लगातार तीसरी बार दिया गया प्रतिनियुक्ति विस्तार भारत सरकार के स्थापित प्रतिनियुक्ति नियमोंके खिलाफ है। किसी को भी इसकी जानकारी नहीं है कि यह विस्तार किस आधार पर और किन नियमों के तहत यों और कैसे दिया गया है तथा इसकी ऐसी क्या विशेष जरूरत थी?

उल्लेखनीय है कि वर्तमानसीएससी/.रे. पिछले पांच वर्षों से लगातार अपने निर्णयों, बल सदस्यों के अमानवीय एवं पक्षपातपूर्ण ट्रांसफर्स, उनके उत्पीडऩ और बल निरीक्षोकों के ट्रांसफर/पोस्टिंग में भ्रष्टाचार एवं भेदभाव तथा
26/11 के आतंकवादी हमले के बाद उनके द्वारा की गई मेनीपुलेशंस के कारण हमेशा विवादास्पद रहे हैं.

मध्य रेल के हमारे सूत्रों का कहना है कि आतंकवादी हमले के मद्देनजर उनकी और उनके चापलूसों की काबिलियत पर विशेष अदालत ने जो टिह्रश्वपणियां की हैं और इस परिप्रेक्ष्य में अदालत द्वारा अलग से अपना निर्णय दिए जाने की जो बात कही गई है, उससे सीएससी/.रे. की काबिलियत और उनके नेतृत्व में यात्रियों की सुरक्षा के प्रति आशंका मजबूत हुई है. परंतु उन्होंने पूरी व्यवस्था को अंधेरे में रखकर अथवा बरगला कर अपनी प्रतिनियुक्ति में विस्तार करा लिया है. यह संपूर्ण व्यवस्था के लिए अत्यंत शर्मनाक है.' रेलवे बोर्ड का सुरक्षा निदेशालय इस विषय में कुछ भी कहने अथवा कोई जानकारी देने से लगातार कतरा रहा है.

दूसरी तरफ सीएससी/.रे. द्वारा अपने प्रतिनियुक्ति विस्तार के लिए खुशी मनाई जा रही है और उनकी इस खुशी में शामिल होने के लिए डीजी/आरपीएफ द्वारा मुंबई जाने के लिए विशेष प्रोग्राम बनाया जा रहा है. अब देखना यह है कि आरपीएफ संगठन द्वारा इसके खिलाफ पारित किए गए प्रस्ताव पर रेलवे बोर्ड एवं सुरक्षा निदेशालय या रवैया अपनाता है...?

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