Tuesday, 7 July 2009

सीपीआरओ की पोस्टिंग में

महाप्रबंधक की रुचि नहीं


नयी दिल्ली : उत्तर रेलवे वर्तमान में सबसे बड़ी रेलवे है और इसके मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) का पद प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और रेलवे बोर्ड के साथ समन्वय के लिए भी जुड़ा हुआ है. तथापि पिछले करीब 2-3 महीने से खाली पड़े सीपीआरओ/उ.रे. के इस महत्वपूर्ण पद पर किसी योग्य आईआरटीएस अधिकारी की पोस्टिंग में महाप्रबंधक/उ.रे. श्री विवेक सहाय की कोई रुचि दिखाई नहीं पड़ रही है.


विश्वसनीय सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार एमआर सेल, रेलवे बोर्ड द्वारा श्रीमती चंद्रलेखा मुखर्जी को सीपीआरओ/उ.रे. के पद पर पदस्थ करने की सिफारिश को महाप्रबंधक/उ.रे. श्री सहाय ने नहीं माना है, जबकि सूत्रों का कहना है कि मेंबर ट्रेफिक और मेंबर स्टाफ जिन योग्य आईआरटीएस अधिकारियों को इस पद के लिए मानते हैं, उन्हें श्री सहाय सिर्फ इसलिए इस पद पर नहीं बैठाना चाहते हैं क्योंकि वे उन्हें अपनी विरोधी लॉबी और एमटी एवं एमएस का नजदीकी समझते हैं.


सूत्रों का कहना है कि महाप्रबंधक श्री सहाय की इस गलतफहमी अथवा नासमझी का कारण यह है कि उनका मानना है कि आईआरटीएस अधिकारियों ने उन्हें सीआरबी बनने में कोई मदद नहीं की थी. इसलिए वे अब सीपीआरओ/उ.रे. के पद पर किसी आईआरटीएस को पदस्थ करने के बजाय अन्य कैडर के अपने किसी खास चहेते अधिकारी को इस पद पर बैठाना चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि वे इसकी खोज भी बड़ी तत्परता से कर रहे हैं, जिससे एमआर सेल और एमटी एवं एमएस की ख्वाहिशों की काट निकाली जा सके. जबकि यह पद शुद्ध रूप से आईआरटीएस कैडर का है.


उल्लेखनीय है कि महाप्रबंधक/उ.रे. श्री विवेक सहाय का एमटी अथवा सीआरबी बनने का सपना अभी तक टूटा नहीं है. सूत्रों का कहना है कि सीआरबी बनने का उनका चांस तो खैर अब नहीं रह गया है परंतु वह एमटी बनने का सपना अभी भी पाले हुए हैं, क्योंकि आरसीटी के वाइस चेयरमैन के खाली पदों को भरने का नोटिफिकेशन रेलवे बोर्ड ने हाल ही में निकाल दिया है. इससे श्री सहाय की एमटी बनने की महत्वाकांक्षा एक बार फिर जोर मार रही है. उन्हें इस नोटिफिकेशन में अपने एमटी बनने का अवसर नजर आ रहा है. सूत्रों का कहना है कि चूंकि वर्तमान मेंबर ट्रेफिक (एमटी) श्री श्रीप्रकाश भी वाइस चेयरमैन/आरसीटी के एक उम्मीदवार हैं और इस चयन की प्रक्रिया सितंबर-अक्टूबर तक पूरी हो जाने वाली है, चूंकि डीओपीटी की गाइडलाइंस के अनुसार आरसीटी के चयनित मेंबर अथवा वाइस चेयरमैन का चयन के बाद एक महीने के अंदर चयनित पद पर ज्वाइन करने की अंडरटेकिंग देनी पड़ती है. इसी अंडरटेकिंग में श्री सहाय को अपना एमटी बनने का अवसर दिखाई दे रहा है, जिसके लिए उन्होंने पुन: पुरजोर लॉबिंग शुरू कर दी है.


सूत्रों के अनुसार यदि सितंबर-अक्टूबर में आरसीटी के चयन हो जाते हैं तो अक्टूबर अंत तक वर्तमान एमटी श्री श्रीप्रकाश को 31 दिसंबर को अपने रिटायरमेंट से करीब दो माह पहले अपना वर्तमान पद छोड़कर आरसीटी में जाना पड़ेगा. सूत्रों का कहना है कि अपनी गोटी फिट करने के लिए श्री सहाय द्वारा अपनी लॉबिंग के जरिए श्री श्रीप्रकाश को रिटायरमेंट से डेढ़-दो महीने पहले पद छोडऩे के लिए दबाव बनाया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि इसके लिए श्री सहाय द्वारा अपनी बिरादरी के जरिए अपने बिरादर होने और एमटी में बिरादरी को ही फेवर करने की दुहाई श्री श्रीप्रकाश के सामने दी जा सकती है.


सूत्रों का कहना है कि श्री श्रीप्रकाश पर बिरादरी और बिरादर को फेवर करने और इसीलिए डेढ़-दो महीने पहले अपना पद छोडऩे का दबाव इसलिए बनाया जाएगा क्योंकि तब जिस दिन से वह पद छोड़ेंगे उसी दिन वैकेंसी मानी जाएगी. अत: उसमें श्री सहाय का दावा मजबूत हो जाएगा. क्योंकि यदि श्री श्रीप्रकाश अपने रिटायरमेंट (31 दिसंबर) से कुछ दिन पहले पद छोड़ते हैं तो फिर वैकेंसी 31 दिसंबर से गिनी जाएगी और तब इस पद पर श्री सहाय का नहीं श्री कुलदीप चतुर्वेदी, महाप्रबंधक/द.प.रे., हुबली का दावा मजबूत हो जाएगा. तब उन्हें बायपास करवाना श्री सहाय के लिए मुश्किल हो जाएगा. क्योंकि श्री चतुर्वेदी की वरिष्ठता 28-29 दिसंबर 08 से मानी जाएगी, जिस दिन उनसे कनिष्ठ श्री एम.एस. जयंत ने आईसीएफ में बतौर महाप्रबंधक ज्वाइन किया था.


एक अपुष्ट खबर के अनुसार एमटी बनने के अवसर को पुष्ट करने के लिए ही बताते हैं कि जून के दूसरे हफ्ते में श्री सहाय ने रेलमंत्री के पीएस और ईडीपीजी को दिल्ली के एक फाइव स्टार होटल में डिनर पार्टी दी थी. सूत्रों का कहना है कि इसका भुगतान उन्होंने पूर्व सीआरबी के एक खास चहेते से करवाया था. सूत्रों का कहना है कि चापलूसी और चमचागिरी में तो श्री सहाय का कोई सानी नहीं है, क्योंकि अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते वे अपनी तथाकथित ईमानदारी को पहले ही उठाकर ताक पर रख चुके हैं.


सूत्रों ने बताया कि श्री श्रीप्रकाश और श्री ए. के. गोयल, एमएस, श्री सहाय को उनकी लॉबिंग और बिरादरी कार्ड खेलने जैसी अनैतिक गतिविधियों के कारण पसंद नहीं करते हैं. यही नहीं सूत्रों का यहां तक कहना है कि इन्हीं अनैतिक गतिविधियों के लिए श्री सहाय को कोई भी आईआरटीएस अधिकारी पसंद नहीं कर रहा है. यही वजह है कि एमटी और एमएस की पसंद के किसी आईआरटीएस अधिकारी को श्री सहाय उ.रे. का सीपीआरओ नहीं बनाना चाहते हैं. इसीलिए इस पद के लिए वह अन्य कैडर से अपने किसी खास चहेते की खोज कर रहे हैं.

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